Wo Maya he - 69 in Hindi Adventure Stories by Ashish Kumar Trivedi books and stories PDF | वो माया है.... - 69

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वो माया है.... - 69



(69)

साइमन पूरे समय विशाल की फितरत को समझने की कोशिश करता रहा था। इसलिए उसने खुद विशाल से अधिक बातचीत नहीं की थी। उसने इंस्पेक्टर हरीश को यह काम सौंप दिया था। जब कभी साइमन को कुछ पूछने की ज़रूरत‌ महसूस होती थी तब बोलता था। अब तक विशाल के बारे में उसने जो समझा था वह बहुत उलझा हुआ था। एक नज़र से देखा जाए तो ऐसा लग रहा था कि उससे जो कुछ पूछा जा रहा है वह उसका सही और सीधा जवाब दे रहा है। विशाल ने जो किया है उसका उसे अफसोस भी है। पर उसे ऐसा लग रहा था कि जैसे उसके व्यक्तित्व के दो पहलू हैं। एक वह जो थोड़ी सी कोशिश करने पर लोगों को समझ आ जाएगा। पर उसके भीतर कहीं एक और विशाल है जिसे समझ पाना आसान नहीं है। वह उसके भीतर छिपा हुआ है।
इंस्पेक्टर हरीश के सवाल का जवाब देते हुए विशाल ने कहा था कि जब उसने कौशल को फोन किया तो उसने बताया कि पुष्कर का ताबीज़ खो गया था और वह अपना काम कर गई। साइमन ने उससे पूछा,
"विशाल तुम कह रहे हो कि कौशल ने तुम्हें बताया कि वह अपना काम कर गई। मुझे बताओ वह से उसका क्या मतलब था ?"
विशाल ने वैसे ही सामान्य तरीके से जवाब दिया,
"हमने कौशल को माया के श्राप के बारे में बताया था। कौशल माया का ज़िक्र कर रहा था।"
"मतलब पुष्कर का खून माया ने किया था ?"
"बिल्कुल....."
"पर यह कैसे संभव है ? माया तो मर चुकी थी। तुमने इंस्पेक्टर हरीश को खुद यह कहानी बताई थी। जब माया इस दुनिया में है नहीं तो वह कैसे किसी को मार सकती थी ?"
विशाल ने उसकी तरफ देखकर कहा,
"माया का श्राप अभी भी काम कर रहा है।"
साइमन ने उसके चेहरे पर आए भावों को पढ़ा। उसने कहा,
"बेकार की बात है यह। ऐसा संभव नहीं है। किसी का श्राप ऐसे काम नहीं करता है। माया का अब कोई अस्तित्व नहीं है। वह तुम्हारे और तुम्हारे घरवालों का दिमागी फितूर है।"
यह बात सुनते ही विशाल के चेहरे के भाव बदल गए। ऐसा लगा कि जैसे साइमन ने माया के नहीं बल्की उसके अपने अस्तित्व को दिमागी फितूर बता दिया हो। उसने गुस्से से कहा,
"माया अभी भी है....वह अपने साथ हुई ज्यादती का बदला ले रही है।"
उसने जिस तरह यह बात कही थी उससे साइमन और इंस्पेक्टर हरीश दोनों सकते में आ गए थे। कुछ पल लगे दोनों को सामान्य होने में। इंस्पेक्टर हरीश ने कहा,
"यह किस तरह से बात कर रहे हो तुम।"
विशाल इस समय सामान्य नहीं लग रहा था। साइमन ने हाथ के इशारे से इंस्पेक्टर हरीश को चुप रहने के लिए कहा। इंस्पेक्टर हरीश भी विशाल की स्थिति देखकर परेशान हो गया था। ऐसा लग रहा था कि शक्ल भले ही विशाल की हो पर इस समय उसके अंदर कोई और है। साइमन ने आगे कहा,
"तुम्हारा मतलब है कि मरने के बाद भी माया इस दुनिया में है। अपने साथ हुए गलत व्यवहार का बदला ले रही है।"
"हाँ यही बात है। वह अपने साथ हुए अन्याय को भूली नहीं है।"
साइमन को लग रहा था कि अब तक जो कुछ सामने आया था वह बस एक छोटा सा हिस्सा था। एक बहुत बड़ा हिस्सा अभी तक छिपा हुआ है। उसने सोचा कि अगर सच जानना है तो धैर्य से काम लेना होगा। विशाल की इस स्थिति में उससे कुछ निकलवाया जा सकता है। उसने कहा,
"ऐसी बात है तो तुम्हें कौशल को पुष्कर की हत्या के लिए क्यों कहना पड़ा। माया खुद ही पुष्कर की हत्या करके अपना बदला ले सकती थी। तुमने जब कौशल को पुष्कर की हत्या की सुपारी दी तो उसने तुम्हें रोकने की कोशिश नहीं की ?"
साइमन के इस सवाल के बाद ऐसा लगा जैसे कि विशाल के मन में कुछ उलझन पैदा हो गई हो। ऐसा लग रहा था जैसे कि वह अपने भीतर बसे दो लोगों के बीच हुई बातचीत सुन रहा हो। कुछ देर बाद उसने कहा,
"हमने जो किया वह माया की मर्ज़ी से किया।"
यह जवाब अजीब था। लेकिन इस जवाब से स्पष्ट था कि उसके लिए माया का अस्तित्व है। वह उसके कहे अनुसार ही काम करता है। यह जवाब देने के बाद विशाल के हावभाव बदल गए। वह इधर उधर देखने लगा। ऐसा लग रहा था कि जैसे बीते कुछ पलों में जो हुआ था उसके बारे में उसे कुछ पता ही ना हो। उसने कहा,
"सर हमने आप लोगों को सब सच बता दिया है। अब कुछ और नहीं है बताने के लिए। हमारी तबीयत ठीक नहीं लग रही है। हमें कुछ देर आराम करना है।"
साइमन के दिमाग में बहुत कुछ चलने लगा था। उसने इंस्पेक्टर हरीश को अपने साथ आने का इशारा किया। इंस्पेक्टर हरीश उसके साथ कमरे के बाहर चला गया। बाहर जाकर उसने पूछा,
"कोई खास बात है सर....."
साइमन अभी भी कुछ सोच रहा था। उसने इंस्पेक्टर हरीश की तरफ देखकर कहा,
"तुमको विशाल के व्यवहार में कुछ अजीब लगा ?"
"कुछ नहीं सर... बहुत अजीब लगा।"
"क्या अजीब लगा ?"
"ऐसा लग रहा था जैसे कि उस कमरे में अचानक कोई और विशाल आ गया हो। उसने जिस तरह से कहा कि उसने जो किया वह माया की मर्ज़ी थी, वह बहुत अजीब लगा।"
"सही पहचाना तुमने। अंदर कमरे में दो विशाल थे। एक गिरफ्तारी से हमारे सामने था। दूसरा कुछ देर के लिए अचानक आया और फिर अचानक ही चला गया। इस समय पहले वाला विशाल है। यह‌ वह विशाल है जो दुनिया के सामने रहता है। लेकिन दूसरा वाला विशाल छिपा रहता है। उसके बारे में शायद उसके परिवार को भी पता ना हो। हमारे सामने ना जाने कैसे आ गया ?"
इंस्पेक्टर हरीश पूरी तरह से तो नहीं लेकिन कुछ हद‌ तक समझ गया था कि साइमन कहना क्या चाहता है।‌ उसने भी कमरे के अंदर विशाल के दो व्यक्तित्व का अनुभव किया था। उसने कहा,
"अब करना क्या है सर ?"
"उस दूसरे विशाल को जानना है। उसके ज़रिए बहुत कुछ पता चलेगा। मैं विशाल के साइकोलॉजिकल टेस्ट की व्यवस्था कराता हूँ। फिलहाल उसे उसके सेल में भिजवा दो।"
"ठीक है सर...."
इंस्पेक्टर हरीश जाने लगा तो साइमन ने कहा,
"ज़रा ठहरो...."
इंस्पेक्टर हरीश रुक गया। साइमन ने कुछ सोचकर कहा,
"तुमने विशाल की पत्नी और बच्चे की मौत के बारे में कुछ पता किया था।"
"हाँ सर.... अस्पताल का और डॉक्टर का नाम पता चला था। लेकिन वह अस्पताल उस घटना के कुछ ही दिनों के बाद बंद हो गया था। वह डॉक्टर आजकल कहाँ है किसी को नहीं पता। फिर भी मैं पता लगाने की कोशिश कर रहा था। तब तक कौशल और विशाल की गिरफ्तारी हो गई। हम लोग इसमें व्यस्त हो गए।"
"मुझे ऐसा लगता है कि उस केस का विशाल की मानसिक स्थिति से कोई संबंध है। तुम जितना हो सके उस केस के बारे में पता करो।"
"जी सर......"
"सुमेर सिंह को तुमने इस्माइल की गिरफ्तारी के लिए कहा था।"
"सर सुबह पहला काम यही किया था। सुमेर ने अपने एक सब इंस्पेक्टर नवीन को यह काम सौंपा है। उम्मीद है कि वह उसे गिरफ्तार कर लेगा।"
"ठीक है तुम जाओ......"
इंस्पेक्टर हरीश चला गया। साइमन विशाल के साइकोलॉजिकल टेस्ट के बारे में सोचने लगा।

सुमेर सिंह ने सब इंस्पेक्टर नवीन को इस्माइल को लेकर आने के लिए कहा था। किसी कारण से उसे जाने में देर हो गई थी। दोपहर के समय सब इंस्पेक्टर नवीन युसुफ ट्रैवेल्स के दफ्तर में पहुँचा। ऐजेंसी के मालिक इरफान ने उसे देखकर पूछा,
"कहिए जनाब..... क्या काम था आपको ?"
सब इंस्पेक्टर नवीन ने कहा,
"इस्माइल खान आपकी ऐजेंसी में टैक्सी चलाने का काम करता है।"
इस्माइल का नाम सुनकर इरफान ने कहा,
"बात क्या है जनाब ? उसने कुछ किया है क्या ?"
"आप उसे बुलाइए। हमें कुछ बात करनी है।"
"जनाब इस्माइल यहाँ नहीं है।"
"किसी राइड पर गया है ? उसे फोन करिए और कहिए कि भवानीगंज थाने में आकर मिले। अगर इधर उधर किया तो उसके लिए मुश्किल होगी।"
सब इंस्पेक्टर नवीन की बात सुनकर इरफान परेशान हो गया। उसने कहा,
"जनाब इस्माइल हमारे बड़े भाई का बेटा है। अच्छा ड्राइवर है इसलिए हमने अपने साथ लगा लिया था। हमारे साथ ही रह रहा था। ठीक ठाक काम कर रहा था। पर पिछले कुछ समय से ना जाने क्या हो गया था कि काम में मन नहीं लगाता था। कल किसी ने टैक्सी बुक कराई तो उसने ले जाने से मना कर दिया। हमें दूसरे ड्राइवर को भेजना पड़ा। गुस्से में हमने डांट दिया तो कल शाम से ही ना जाने कहाँ चला गया है।"
"बिना कुछ बताए चला गया। आपने फोन करके उससे पूछा नहीं कि कहाँ गया है ?"
"जी जनाब वह बिना बताए ही चला गया है। हमने उसे फोन किया था। पहले तो उठाया नहीं। अब स्विचऑफ है। हम खुद बहुत परेशान हैं। आप बताइए कि कोई खास बात है क्या ? हमारा दिल घबरा रहा है।"
सब इंस्पेक्टर नवीन ने उसकी बात का कोई जवाब नहीं दिया। कुछ सोचकर उसने कहा,
"आप उसका नंबर दीजिए। आपके पास कोई तस्वीर हो तो वह भी दीजिए।"
"पर जनाब कुछ तो बताइए कि बात क्या है ?"
"ज़ाहिर सी बात है कुछ गलत किया होगा। पर हम उसे ढूंढ़ लेंगे। आपसे जो कहा है करिए।"
इरफान ने नंबर लिखा दिया। अपने फोन पर पड़ी इस्माइल की एक तस्वीर भी सब इंस्पेक्टर नवीन को सेंड कर दी।
"अगर वह आ जाए तो कहिएगा कि चुपचाप भवानीगंज थाने में आ जाए।"
यह कहकर सब इंस्पेक्टर नवीन वहाँ से चला गया।

सब इंस्पेक्टर कमाल ने फोन करके इंस्पेक्टर हरीश को बताया कि खबर रोज़ाना में खबर छपी है कि पुलिस ने कौशल और विशाल को गिरफ्तार कर लिया है। यह खबर इंस्पेक्टर हरीश को चिंता में डालने वाली थी।