Lalkile ki prachir se in Hindi Short Stories by bhagirath books and stories PDF | लाल किले के प्राचीर से

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लाल किले के प्राचीर से

 लाल किले के प्राचीर से

      लाल किले के प्राचीर से इस बार भी सपने दिखाए गए । जनता को लुभाने के लिए नये-नये सपने बुने गए। लोगों की आँखों में सपने तैरे और फिर तालियों की गड़गड़ाहट के बीच आने वाले वर्षों में सत्ता पर जमे रहने का  भरोसा मिल गया। उद्बोधक स्वयं अपने लिए सपने बुन रहा था। पूरे एक हजार साल राज करने के सपने। जन गण भले ही मन ही मन हँस रहा हो पर उद्बोधक के मन में लड्डू फूट रहे थे। सुनहरे सपने दिखाने और देखने में किसी को क्या एतराज  हो सकता है। दिखाओ, हम भी स्मार्ट सिटी में घूमेंगे, आदर्श गाँव की सैर करेंगे और देखेंगे कि किसानों भाइयों की आय दुगनी हो गई है। सभी युवा और युवतियाँ अपने अपने कार्यस्थल की ओर भागे जा रहे हैं, अहा क्या दृश्य होगा!

      बात आम जन की होगी और सेवा कॉर्पोरेट की होगी। जनता पर नये टेक्स लादकर और  मौजूदा टेक्स की दरें बढाकर कानूनी शोषण स्वयं लोकहितैषी सरकार करेगी। जन गण विरोध की  मुद्रा में, फिर विद्रोह की मुद्रा में आ जायगा। तब ‘राज’ अपने स्वाभाविक अंत की ओर उन्मुख हो जायेगा । तब न धन, न सत्ता, न लच्छेदार भाषण, कुछ भी काम नहीं आयेगा । 

      इस बार लगता है ओबीसी वोट खिसक रहा है। इसलिए ओबीसी कामगार भाइयों के लिए, हजारों करोड़ की योजना की घोषणा हुई है। नाई, धोबी, दर्जी, सुथार, लोहार, राजमिस्त्री आदि को टूल किट बांटे जाएंगे। उनके लिए फाइनैन्स की सुविधा मिलेगी और इनकी उन्नति होगी।

      आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर लाल किले की प्राचीर से लोकतंत्र मजबूत करने की प्रतिबद्धता जतायी । लेकिन ऐसे कानून पास किये गए जो जन विरोध के अधिकार को कम करते हैं, पंद्रह दिन की हिरासत को नब्बे दिन तक बढ़ाकर, विरोधियों की संपत्ति को बुलडोज कर, सीबीआई और ईडी के छापे मार कर, आंदोलन को आतंकी गतिविधि करार कर, एनएसए लागू कर ताकि लंबे समय तक जमानत भी न मिल सके और जेल में सड़ते रहें । 

      नयी-नयी हजारों करोड़ की योजनाओं की घोषणाएं, जरा पूछिए पिछली दफे जो योजना की सौगात दी थी उसका क्या हुआ? 

      लालकिले की प्राचीर से देश के अतीत का गौरव गान करते हैं। सरकार और देश की समझ को गडमड कर देते है और देश भक्ति और राज भक्ति एक हो जाती है।          

      लालकिले की प्राचीर से भारी भरकम शब्दों की जुगाली की जाती है जिसका कोई अर्थ नहीं होता जैसे ‘भारत का सबसे बड़ा सामर्थ्य बना है विश्वास, सरकार के प्रति जन जन का विश्वास और विश्व का भारत के प्रति विश्वास.’ इस जुमले से आप कौन सी समस्या का समाधान निकाल रहे हो?

      अर्थ व्यवस्था को खोखला करके अब अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की घोषणा- अगले पांच साल में भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनेगा.'  

      दरबारियों ने तालियाँ बजाई लेकिन तालियों की गूँज में दम नजर नहीं आया। उद्बोधक थके हारे से बूढ़े नजर आए पोडियम से उतरते वक्त उद्बोधक लड़खड़ाए लेकिन कमांडो ने उन्हें सम्भाल लिया। जिस फोटोग्राफर ने फ़ोटो खींची थी वहीं के वहीं डिलीट करवाया आखिर तीन घंटे खड़े होकर भाषण देना आसान काम नहीं है।