Ishq Hona hi tha - 9 in Hindi Love Stories by Kanha ni Meera books and stories PDF | इश्क़ होना ही था - 9

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इश्क़ होना ही था - 9

** ओम नमः शिवाय **


** इश्क़ होना ही था part- 9 **

अब तक हमने देखा है कि संगीत की रात सब कुछ मस्ती और उत्साह से भरी होती है, और लड़कियां इतनी थक चुकी थी की वो जल्दी ही रूम रो जाकर सो जाती है, अक्षत को शिव अपने साथ छत पर ले कर चले जाता है...

रात की संगीत में हंसी, नाच, और धूमधाम छाई हुई थी और इसी वजह से ही दोनों भाई जो आपने पुरे परिवार को इस तरह से खुश देख कर बहोत खुश थे...

अक्षत बोलता है...

" तुम चलो पहले ... "

शिव बोलता है...

वो दोनों छत पर जाते है और शिव अपने हाथ बांध कर उसके सामने खड़ा होता जाता है...

" यहाँ क्या चल रहा है...? "

शिव बोलता है...

अक्षत जो ये सुन कर कुछ समज नहीं पाता ...

" क्या चल रहा है... "

अक्षत शिव के सवाल के सामने ही दूसरा सवाल करता है...

" दिया और... "

शिव बोलता है और ये सुन कर ही अक्षत को समज नहीं आता की वो अब क्या कहे...

" तू मुझे बता सकता था.. "

शिव नाराज़ हो कर बोलता है...

" में तुजे बताने ही वाला था... "

अक्षत बोलता है...

" कब जब तुम दोनों की सादी होने वाली होती... "

शिव गुस्से में बोलता है....

ये सुन कर पता नहीं क्यों अक्षत के चेहरे पे बड़ी सी मुस्कान आ जाती है...

" देखो में नाराज़ हु और तुम है रहे हो.. "

शिव बोलता है...

" तुम काम से बहार गए थे और मेने सोचा यहाँ आ कर ही बताता हु... "

अक्षत बोलता है...

" चल इस बात मान जाता हु पर अगली बार गलती नहीं होनी चाहिए... "

शिव बोलता है...

ये सुन कर अक्षत शिव को गले लगा लेता है...

*****

एक सुंदर और शानदार सुबह थी और इस सादी के दिन प्रेम, उम्मीद और नई शुरुआतों की खुशियों से भरा था...

आज घर में बहोत रौनक थी और सब तैयारिओं में लगे हुए थे...

तीनो लड़किया जो आज जल्दी उठ कर तैयार होने लग चुकी थी और पलार वाली लड़कीया आज घर पर ही उन्हें तैयार करने के लिए आय थी...

शिव और अक्षत जो आज जल्दी तैयार हो कर घर की सारी तैयारी में लग जाते है...

" जल्दी चलो जान आए चुकी है... "

एक लड़की जो मिताली के रूम में बैठे सभी लोगो को बुलाने के लिए आती है...

ये सुन कर मिताली जो खुश हो जाती है ये जानने के लिए की नितिन आज कैसे लग रहा होगा वो उत्सुक हो जाती है...

दीपाली बहन जो जान का स्वागत करती है और नितिन की आरती उतरती है...

धीरे धीरे साडी रस्मे हो रही थी...

नितिन को मंडप में बिठाया जाता है और विधि शुरू होती है...

दीपाली बहन जो मिताली को लेने के लिए जाती है...

मिताली को देख कर ही उनके आखो में आँशु आ जाते है, पर कोई देखे उसे पहले ही उसे साफ कर देते है...

" चलो मिताली तैयार हो गई ना तुम... "

दीपाली बहन बोलती है...

" हा , हम तैयार ही है... "

मिताली बोलती है...

सब मिताली को बहार ले कर जाते है, मिताली ने लाल जोड़े में न केवल सुंदरता की मिसाल प्रस्तुत की है , बल्कि उसने इसे और भी शानदार बना दिया है और उसके कानों में बड़ी इयरिंग से वह और भी आकर्षक दिख रही है, गले में बड़ा हार उसकी शैली को निर्मलता से परिपूर्ण कर रहा है, और माथे पर मरूंग रंग की छुड़ी से उसका चेहरा आकर्षकता से भरा हुआ है, इसके अलावा उसके हाथ में लाल रंग का चूड़ा उसके इस शानदार लुक को और भी महका रहा है...

आज का इस पूरे आयोजन में वह बिना किसी संदेह के सबकी नजरों का केंद्र बनी हुई है, लोग उसकी सुंदरता और उसके गहनों की बड़ी बातें कर रहे हैं और यह सब उसकी खासीयतों को और भी बढ़ा रहा है...

मिताली की हंसी और खुशी ने उसके चेहरे पर एक और आभा डाल दी है, और इस सभी के साथ वह आज का इस खास दिन और भी मेमोरेबल बना रहेगा, इसके साथ ही, लोग उसे आज के आयोजन का सितारा मान रहे हैं और उसकी खूबसूरती की चर्चा कर रहे है...

सब मिताली को देख कर खुश भी होते है और थोड़े भावुक भी...

मिताली आकर नितिन के बाजू में बैठ जाती है, नितिन जो मिताली को ही देखे जा रहा था...

अक्षत की नज़रे जो किसीको ठुड रही थी पर पता नहीं वो कहा थी...

" अक्षत जाओ तुम दिया को बुला कर आओ...

उसे मेने कब से कुछ सामान लेने के लिए मेरे रूम में भेजा है... "

दीपाली बहन बोलती है...

ये सुन कर अक्षत जो दिया को हु ठुड रहा था उसे उसी का ही पता मिल गया...

अक्षत जल्दी से दीपाली बहन के कमरे में जाता है और कमरे के दरवाजे पर ही रुक जाता है...

दिया जो कब से यहाँ से वह कुछ खोज रही थी और उसके चेहरे पर परेशानी आराम से देख सकते है जब दिया को किसीके पीछे होने का अहसास होता है तो वो पीछे मुड कर देखती है...

दिया अक्षत को देख कर चौक जाती है और अक्षत जो बस एक तक दिया को ही देख रहा था...

अक्षत को खुद को इस तरह देखते देख कर दिया को भी थोड़ा अजीब लगता है...

"अक्षत ....अक्षत..."

दिया बोलती है और दिया की आवाज सुन कर उसे होस आता हैऔर उसे ये भी याद आता है की वो यहाँ क्यों आया था...

"हा , वो... आपको... "

अक्षत बोलता है...

" आपको दीपाली चाची बुला रही है... "

अक्षत जल्दी से बोलता है...

"हां... "

दिया बोल कर चली जाती है, और अक्षत खुदको ही एक तपली मारता है और दिया के पीछे ही चला जाता है...

" अक्षत को इस तरह देख कर क्या दिया गुस्सा होगी...? "

ये जाने के लिए बने रहिये मेरे साथ ....

इश्क़ होना ही था ....
अगर मेरी कहानी आपको पसंद आये तो मुझे कमेन्ट कर के जरूर बताना ...

इश्क़ होना ही था का part - 10 आपके सामने 16 October को आ जायेगा ...