ये कहानी हैं दो अजनबी की जिसकी अनचाही शादी के बंधन में बंध जाते हैं,इस कहानी के नायक रणविजय रावत एक बड़े बिजनेसमैन हैं उसे अपने बिजनेस के लिए किसी भी हद तक गुजरने कि लत है वो अपने आप के सिवा दूसरों का कोई महत्व नहीं समझता वो एक सनकी और खुदगर्ज इंसान हैं , अचानक वो कॉंन्ट्रैक्ट के तहत सौदा करता है और नायिका अक्षा देसाई से शादी के बंधन में बंधता है ,अक्षा एक महत्वाकांक्षी लड़की है उसे भी अन्याय के प्रति झुकना पसंद नहीं ,जब दोनों एक दूसरे के साथ होते हैं तो किसका दिल जिद्दी होता है बड़ा दिलचस्प मामला होता है ,तो चलिए कहानी में.......
बनारस के एक गली में......
"ललन यादव,अपने घर में बने अखाड़ा ग्राउंड में अपने कुछ दोस्तों और परिवार के लोगों के साथ बैठा रहता है और अखाड़ा में अपने पहलवानों को आपस में कुश्ती करवाते आनंद ले रहा था,,,,,,,
उसी समय एक सूट बूट्स में एक शख्स आता है जो देखने में एक नौजवान था लगभग 27 -28 साल का उच्च पूरा जिसकी कद 6.2इंच लग रही है,वो आते ही जोर से बोलते हुए पूछा " तुम में से ललन यादव कौन है??
"सभी उस शख्स के तरफ देखने लगे ..... फिर
ललन यादव उठकर अपनी मुंछ को ताव देते आता है , मैं हूं ललन बोलब का बात है....
"गेट पर पहरा देने वाले दो लोग उस शख्स के पीछे दौड़ते आते रहता है वो बोले ललन को ," ये आदमी जबरदस्ती घूस आया है मालिक ,हम बहुत रोकने की कोशिश करबे रहा बा,,,,,,
"ललन यादव अपनी आंखों को फैलाकर ततेरकर रौबदार आवाज में कहा ," कौन है रे तू ..??और का चाहत बा...
उस शख्स ने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा ,"मैं यहां अपना परिचय देने नहीं आया ये पूछने आया हूं, कल तुमने अपने आदमियों से पंडित जी पर हमला करवाया और उसकी घर पर तोड़फोड़ भी करवाया था ..??
"ललन यादव ने अब भौंहों को तान कर कहा ,"अच्छा तो तुम पंडित के वकील राहत बा...??
"उस शख्स ने फिर हल्का मुस्कुराते हुए कहा,"मैंने जो पूछा उसकी जवाब दो..??
"ललन यादव गुस्सा दिखाते हुए कहा , " हां... तू क्या कर लेगा बे..??
"उस शख्स ने मुस्कुराते हुए अपने कोट की बटन निकालते हुए कहा,"इसलिेए आया हूं कि मैं क्या कर सकता हूं...
"ललन यादव की गुस्सा बढ़ने लगा और भौंहों को तान देखते हुए बोला, "लगता है तेरी मौत आई है बे जो तू आया है , तू जानता नहीं है मैं क्या चीज़ हुं,,,,
"उस शख्स ने अपने कोर्ट को निकालते मुस्कुराते हुए कहा ," मैं मौत से डरता नहीं आज से पहले भी कई बार मेरी मौत से मुलाकात हो चुकी है वो मेरा कुछ नहीं बिगाड़ा पाई तो तू मुझे मौत से मत डरा मुझे मौत से डर नहीं लगता,और तू क्या चीज़ है, वहीं तो जानने आया हूं कि जो सब पर अपनी ताकत आज़माता है, फिर वो अपनी कोर्ट को वहीं अखाड़ा में बने रस्सी के घेरे में लटकाता है,,,,
"ललन यादव अपनी अखाड़े में खड़े आदमियों को इशारा करता है और कहता है,"अबे खड़े क्या देख रहे हो मार साले को और हड्डी पसली तोड़कर बैठा दो , मुझसे लड़ने आया है.. ललन के बोलते ही उसके पहलवान आदमी उस शख्स के सामने दौड़कर जाता है और कुछ दूर में घेर कर खड़े हो जाता है ... फिर