Aise Barse Sawan - 3 in Hindi Love Stories by Devaki Ďěvjěěţ Singh books and stories PDF | ऐसे बरसे सावन - 3

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ऐसे बरसे सावन - 3

स्वरा उनकी बातों से समझ गयी थी कि ये निहायती
बदतमीज हैं, और वह बस में कोई तमाशा नहीं करना चाहती थी,,, इसलिए वह मन ही मन उन्हें सबक सिखाने का फैसला करती हैं ।

अब आगे...

इस बार स्वरा अपने गुस्से को नए अंदाज में उन लफंगे पर बरसाने के लिए मानसिक रूप से तैयार थी । उसने मन ही मन तय कर लिया था ,"आज इन लड़कों को छठी का दूध न याद दिलाया तो मेरा नाम भी स्वरा नहीं" जैसे ही वह लड़का स्वरा पर गिरने का नाटक करता हैं , वैसे ही स्वरा अपने सैन्डल की हिल से उसके पैरों पर चोट करती है जिस से वह लड़का कुछ देर के लिए सम्भल जाता है पर कुछ देर बाद वह फिर से अपनी हरकत दोहराता हैं.....इस बार स्वरा पूरे जोर के साथ अपनी सैन्डल से उसके पैरों पर प्रहार कर कुचल देती हैं ....जिस कारण वह दर्द से तिलमिला जाता है और उसके मुह से एक तेज चीख़ निकल जाती हैं...जिससे उसकी चीख सुनकर सब लोग उसकी ओर देखने लगते हैं, पर वह ऐसे नाटक करता हैं जैसे कुछ हुआ ही नहीं ।

कुछ देर बाद उसका दोस्त गुस्से के भाव में "क्यों मैडम आप ढंग से खड़ी नहीं हो सकती, आपकी वज़ह से मेरे दोस्त के पैर में कितनी तेज चोट लग गई "

स्वरा "सॉरी भाई, देख ही रहे हो कितनी भीड़ हैं,

ऐसे में तो थोड़ा बहुत लग ही जाता है .....मैंने कोई जानबूझकर थोड़ी ना किया हैं .... वैसे भी यदि आप लोग ज्यादा' वीआईपी 'हो तो अपनी खुद की पर्सनल गाड़ियों से सफ़र किया करो....इस तरह पब्लिक ट्रांसपोर्ट में धक्का खाने की क्या जरूरत हैं "

यह डायलॉग बोलते वक़्त स्वरा के चेहरे पर विजय मुस्कान थी.....और उस वक़्त उन चारों की शक़्ल देखने लायक थी।

उन में से एक लड़का धीरे से अपने दोस्तों को बोलता है, ये साली तो हमारा डायलॉग हमी को चिपका गयी , दूसरा लड़का - चुप कर इसे तो हम बाद में देख लेंगे।

इतने में कन्डक्टर बस का टिकट चेक करने आ जाता है। स्वरा रोज़ बस से सफर करती है इसलिए उसने बस पास बनवा रखा था.....बस कन्डक्टर के पैसे मांगने पर वह अपना बस पास दिखाती हैं ।

तभी उन में से एक लड़का अपनी कुटिल मुस्कान में से कहता है, अरे, यह मैडम तो रोज़ की सवारी हैं इन से हिसाब पूरे करने के और भी मौके मिलेंगे ....बोलकर चारों हंसने लगते हैं।

स्वरा का स्टॉप आते ही स्वरा उतर जाती हैं और वह चारों लड़के भी वहीं उतर जाते हैं और कुछ दूर तक स्वरा का पीछा करते हैं ....उसके बाद वे अपने रास्ते चले जाते हैं।

स्वरा पहले तो उनको अपने पीछे आते देख मन ही मन घबरा जाती है .....और जल्दी जल्दी कॉलेज की तरफ कदम बढ़ाती है ..... जब वह कॉलेज के गेट के पास पहुँचती हैं...... तब वह दुबारा पीछे मुड़ कर देखती हैं ....जब उसे कोई नहीं दिखाई देता है....तब वह चैन की साँस लेती हैं ।

फिर भगवान का शुक्र मना कर, जल्दबाज़ी में क्लास की ओर बढ़ती हैं और इस जल्दबाजी के चक्कर मे स्वरा गैलरी में किसी अजनबी से टकरा जाती है ....और उसके हाथों का सामान बिखर जाता है....वह जैसे ही गिरने वाली होती हैं वह अजनबी उसका हाथ थाम लेता है.....जिससे वह गिरने से बच जाती है..... पर अजनबी को थैंक्स बोलने की बजाए वह उल्टा उस पर चिल्ला देती हैं - "अंधे हो क्या ? देख कर नहीं चल सकते ,तुम्हारी वज़ह से मेरी सारी किताबें गिर गयी " ❤️❤️

क्रमश:
-देवकी सिंह