रिश्ते… दिल से दिल के
एपिसोड 7
[प्रदिति और आकृति की मुलाकात]
आकृति और राहुल दोनों अपनी क्लास के बाहर पहुंचे ही थे कि एक प्यारी सी आवाज़ उनके कानों में पहुंची। उन्होंने अंदर जाकर देखा तो प्रदिति अपने गिटार के साथ आंखें बंद करके गाना गा रही थी और सारे स्टूडेंट्स उसको गौर से सुन रहे थे। आकृति और राहुल भी अपनी–अपनी सीट्स पर जाकर बैठ गए।
"तेरी चाहतों में कितना तड़पे हैं
सावन भी कितने तुझ बिन बरसे हैं
ज़िंदगी में मेरी सारी जो भी कमी थी
तेरे आ जाने से अब वो नहीं रही
सदा ही रहना तुम मेरे करीब होके
चुराया है मैंने किस्मत की लकीरों से
मिले हो तुम हमको बड़े नसीबों से
चुराया है मैंने किस्मत की लकीरों से"
प्रदिति ने इतना गाकर गाना बंद कर दिया और उसके गाना खत्म करते ही पूरे क्लासरूम में तालियों की गड़गड़ाहट की आवाज़ सुनाई दी। प्रदिति ने एक मुस्कान के साथ तालियां बजा रहे सभी स्टूडेंट्स की तरफ देखा। अचानक से उसकी नज़र आकृति पर पड़ी जो ज़ोर–ज़ोर से तालियां बजाए जा रही थी और उसकी नज़र उसी पर ठहर गई। प्रदिति के मुंह से धीरे से निकला, "अक्कू!"
जब आकृति को ये एहसास हुआ तो उसके चहरे की मुस्कान गायब हो गई। वो अपने पास बैठे राहुल से बोली, "ए राहुल! देख ना, ये म्यूजिक टीचर मुझ ही को घूर रही है।"
राहुल ने आकृति की नज़र की दिशा में देखा तो उसने पाया कि प्रदिति की नज़र सच में आकृति पर ही थी। वो धीरे से आकृति के कान में बोला, "आकृति! मुझे तो लगता है कि इन्हें पता चल गया है कि तू ही इस कॉलेज की हिटलर है और अब ये तुझे इसलिए घूर रही हैं ताकि तू गुस्से से उन पर बरस पड़े और वो तुझे पनिशमेंट दें।"
"क्या तू भी! कुछ भी बोले जा रहा है। ऐसा क्यूं करेंगी ये? देख ना शक्ल से तो कितनी डीसेंट लग रही हैं।", आकृति भी राहुल से फुसफुसाते हुए बोली।
राहुल ने उसकी बात के जवाब में कहा, "शक्ल का क्या है, देखने में तो तू भी डीसेंट लगती है पर है ना तू नकचड़ी।"
राहुल की बात या यूं कह लो ताने को सुनकर आकृति ने उसे घूरकर देखा तो राहुल अपनी बात को संभालते हुए बोला, "अ… मेरा मतलब है कि देखने में तो तू भी डीसेंट है पर है तो हमारी क्लास की लीडर।"
"हां, ये ठीक है।", आकृति ने ये कहकर फिर से सामने देखा तो राहुल की सांस में सांस आई।
प्रदिति तो जैसे आकृति में खो ही गई थी आखिर उसने पहली बार अपनी बहन को अपने सामने देखा था। लेकिन आकृति को ये बात बहुत अजीब लग रही थी।
आकृति मन ही मन बोली, "ओह गॉड! क्या प्रॉब्लम है! मुझे तो लगा था कि ये बहुत अच्छी टीचर हैं पर ये तो बाकी टीचर्स से भी ज़्यादा अजीब हैं।"
तभी एक स्टूडेंट ने प्रदिति के पास जाकर कहा, "मैम!"
लेकिन प्रदिति को कुछ सुनाई नहीं दिया। उस लड़के ने फिर कहा, "मैम!"
इस बार प्रदिति अपने ख्यालों से बाहर आई और अपने पास खड़े लड़के को देखा। वो प्रदिति से बोला, "मैम! आप तो बहुत अच्छा गाती हैं। सच में आपकी आवाज़ बहुत अच्छी है।"
प्रदिति ने मुस्कुराकर कहा, "थैंक यू"
फिर उसने सामने की तरफ देखा लेकिन उसे आकृति उसकी जगह पर नहीं दिखी। फिर उसने चारों तरफ नज़र फैलाई लेकिन आकृति कहीं नहीं थी।
उसने उस लड़के से ही पूछा, "सुनो, वो अक… मेरा मतलब वो लड़की कहां है जो वहां बैठी थी?"
"आकृति? वो तो अभी अपने फ्रेंड राहुल के साथ क्लास से बाहर निकल गई।"
"ओके, थैंक यू!", प्रदिति ने उसे कहा और फिर बाकी सबको म्यूजिक के लेसंस सिखाने लगी लेकिन ध्यान उसका बाहर की तरफ ही था। उसे तो आकृति से बात करनी थी पर वो क्लास से जा चुकी थी।
अपनी क्लास खत्म करने के बाद प्रदिति क्लास से बाहर आई और चारों तरफ आकृति को ढूंढने लगी। तभी उसकी नज़र सामने खड़ी आकृति पर पड़ी जोकि राहुल से बात कर रही थी। प्रदिति उसके पास आई और बोली, "आकृति!"
आकृति ने उसकी तरफ देखा और मन ही मन बोली, "अरे यार! ये मैम तो मेरे पीछे ही पड़ गई हैं। क्या करूं मैं इनका?"
आकृति ने एक नकली मुस्कान के साथ प्रदिति से कहा, "जी, मैम! कोई काम था?"
प्रदिति ने आकृति से सवाल किया, "तुम्हें मेरी सिंगिंग अच्छी नहीं लगी?"
"नहीं, मैम! वो तो बहुत अच्छी थी।", राहुल बीच में ही बोल पड़ा तो आकृति ने उसे शांत रहना का इशारा किया और खुद बोली, "हां, मैम! आपकी सिंगिंग तो कमाल थी।"
"तो, फिर तुम क्लास बीच में छोड़कर क्यों आ गई?"
"अ… वो मेरी तबियत थोड़ी खराब हो गई थी।", आकृति ने कहा तो प्रदिति उसके माथे पर हाथ रखकर बोली, "क्या हुआ, बुखार तो नहीं आया तुम्हें?"
"नहीं, वो बस थोड़ा सा सिर दर्द था।", आकृति ने जवाब दिया तो प्रदिति बोली, "तो तुमने दवाई क्यों नहीं ली? तुम चलो मेरे साथ, दवाई खा लो।"
उसकी इन हरकतों को देखकर आकृति मन ही मन बोली, "अरे, यार! ये तो मुझे छोड़ ही नहीं रही हैं।"
"नहीं, मैम! मैं बस अभी घर जा रही हूं। वहां जाकर दवाई ले लूंगी।", आकृति ने प्रदिति से कहा तो वो बोली, "आर यू श्योर, तुम ठीक हो?"
"हां, मैम! मैं ठीक हूं।", आकृति ने जवाब दिया तो प्रदिति मुड़कर जाने लगी।
तभी पीछे से एक आवाज़ आई, "आकृति!" उन तीनों ने मुड़कर उस आवाज़ की दिशा में देखा तो वहां मुस्कुराता हुआ विराज आंखों पर ब्लैक कलर का चश्मा लगाकर खड़ा था। उसे देखकर प्रदिति के चहरे पर प्रश्नात्मक भाव आ गए और आकृति खुश होकर उसकी तरफ भागकर चली गई जिसे देखकर प्रदिति और भी ज़्यादा हैरान रह गई।
राहुल उन्हें देखकर जाने लगा कि प्रदिति ने उसे रोका और बोला, "राहुल! ये लड़का कौन है?"
राहुल ने प्रदिति के सवाल के जवाब में कहा, "ये, ये तो आकृति का ब्वॉयफ्रेंड है, विराज।"
"ब्वॉयफ्रेंड?"
"हां, दोनों एक–दूसरे को पिछले तीन महीने से डेट कर रहे हैं।", राहुल ने आगे कहा तो प्रदिति ने एक फीकी सी मुस्कान दी और उसे अपनी क्लास में जाने की अनुमति दे दी। राहुल अपनी क्लास की तरफ चला गया लेकिन प्रदिति धीरे से आकृति और विराज से थोड़ी दूरी पर आकर खड़ी हो गई। वो छुपकर उनकी बातें सुनने लगी।
आकृति विराज से रूठे स्वर में बोले, "दैट इज़ नॉट फेयर, विराज! मैं तुम्हारा कब से वेट कर रही हूं और तुम अब आ रहे हो!"
विराज अपने कान पकड़कर बोला, "सॉरी, बाबा! गलती हो गई। मुझे माफ कर दो।"
आकृति मुस्कुराकर बोली, "तुम्हें पता है ना कि मैं तुमसे गुस्सा नहीं रह सकती।" कहकर वो उसके गले लग गई।
विराज ने उसे खुद से अलग किया और अपनी शक्ल पर उदासी के भाव ले आया जिसे देखकर आकृति परेशान होकर बोली, "क्या हुआ, विराज? तुम इतने टेंस क्यों लग रहे हो?"
"नहीं, कुछ नहीं। बस ऐसे ही"
"विराज! बताओ मुझे, क्या हुआ?"
"वो… आकृति! मेरी मां की तबियत बहुत खराब है। मैंने उन्हें हॉस्पिटल में एडमिट करवाया लेकिन…" कहकर विराज चुप हो गया तो आकृति बोली, "लेकिन, क्या?"
"डॉक्टर ने बताया कि उनके इलाज में दो लाख रुपए लगेंगे पर मेरे पास तो दस हज़ार से ज़्यादा ही नहीं हैं।", विराज ने कहा तो प्रदिति तो ये सुनकर चौंक ही गई लेकिन आकृति बोली, "हां, तो क्या हुआ? दो लाख ही तो हैं। तुम्हारा मां मतलब मेरी मां, मैं दूंगी उनके ट्रीटमेंट के पैसे।"
प्रदिति आकृति की बात से और भी ज़्यादा हैरान थी। वो खुद से ही बोली, "कहीं ये लड़का अक्कू को धोखा तो नहीं दे रहा? कहीं ये सिर्फ उसके पैसों के पीछे तो नहीं है?"
प्रदिति ये सब सोच ही रही थी कि आकृति विराज से बोली, "मैंने तुम्हारे अकाउंट में दो लाख रुपए ट्रांसफर कर दिए हैं। अब तुम्हारे मां के ट्रीटमेंट में कोई परेशानी नहीं आयेगी।"
प्रदिति तो उनकी बातों पर हैरान ही रह गई थी।
विराज ने आकृति को झट से गले लगा लिया और बोला, "थैंक यू सो मच, आकृति! अगर तुम नहीं होती तो पता नहीं क्या होता मेरा? कैसे कर पाता मैं सबकुछ मैनेज?"
आकृति ने उसे खुद से अलग किया और बोली, "किस हॉस्पिटल में एडमिट हैं आंटी? चलो, मैं तुम्हारे साथ चलती हूं।"
"अरे, नहीं नहीं, उसकी कोई ज़रूरत नहीं है।", विराज ने उसे रोकते हुए कहा तो आकृति बोली, "ज़रूरत कैसे नहीं है, आखिर मुझे ही तो आगे चलकर उनकी सेवा करनी है। उनके परिवार का एक हिस्सा बनने वाली हूं मैं तो फिर ज़रूरत कैसे नहीं है?"
"नहीं, वो… अगर मैं तुम्हें वहां ले गया तो उन्हें पता चल जायेगा कि उनके इलाज के लिए पैसे तुमने दिए हैं और फिर वो ये सब एक्सेप्ट नहीं करेंगी। इसलिए प्लीज आकृति समझने की कोशिश करो।"
"अच्छा, ठीक है। नहीं चलूंगी। पर आंटी का ख्याल रखना।"
"ओके, मुझे अभी डॉक्टर से और भी बात करनी है तो मैं चलता हूं।"
"ओके, टेक केयर!", आकृति ने इतना कहा और अपनी क्लास की तरफ चली गई और विराज बाहर की तरफ।
प्रदिति वहीं खड़ी सोच रही थी, "नहीं, मुझे ये लड़का ठीक नहीं लगता। मुझे लगता है कि ये झूठ बोल रहा है। इसकी सच्चाई तो पता करनी पड़ेगी।" कहकर वो विराज के पीछे लग गई।
विराज ने अपनी बाइक स्टार्ट की और आगे चला गया। प्रदिति एक ऑटो में बैठी और उसने ऑटो ड्राइवर से विराज का पीछा करने को कहा।
क्रमशः