MANJUR THA in Hindi Short Stories by Abhishek Joshi books and stories PDF | मंजूर था

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मंजूर था

सोचा  की  एक  बार  तुजे  रोक लू  । 

तुजसे  बात  करना  मोहब्बत  के  लिए  जरूरी था ।। १ ।।   

 

है   अन-गिनत  गलत फहमी  हमारे  बीच । 

उसे भी मिटाना  बहुत  जरूरी  था ।। २ ।।  

 

पर  ना  जाने  क्या हुआ  था  । 

दूर  मुजसे  मेरा  साया हुआ था ।। ३ ।। 

 

तेरे  नजदीक  आते ही  । 

ना  जाने  क्यू  तू  दिल से दूर  हुआ था  ।। ४ ।। 

 

अब तुजसे  बात  करना भी  फिजूल हुआ था  । 

भेस के  सामने  बिन बजाना  किस को  मंजूर  था ।। ५ ।। 

 

किसी  ओर  की  सुनली  हजार  तूने । 

पर  मेरी  एक  सुनना  कहा  तुजे  मंजूर था ।। ६ ।।  

 

तेरे लिए  तरसती  आँखों का  देखना  तुजे  कहा  मंजूर  था । 

मेरी  ओर  मूडके  देखना  कहा  तुजे  मंजूर  था ।। ७ ।। 

 

था  किसी  ओर  का गुनाह । 

ये  बता  इसमे  मेरा  क्या  कसूर  था ।। ८ ।। 

 

 

वो  आज भी  खुश  है  देखकर  हमे  जुदा  । 

वरना  तुजसे  बिछड़ना  कहा  मुजे  मंजूर  था ।। ९ ।। 

 

ये तो दिल ही  था  की । 

हम  जुक  गए  जरा सा । 

वरना  

किसी  ओर  के  किए  साजिस  का  । 

पश्चाताप  कहा  मुजे  मंजूर  था ।। १० ।। 

 

 

अब  देखता हु  तुजे  हररोज  दूर  खड़ा  रहकर । 

वरना  तेरा  दूर  खड़ा  रहेना भी  कहा  मुजे  मंजूर  था ।। ११ ।। 

 

तरसती  है  मेरी  आंखे  तेरी  जलक  पाने को । 

इतना  इंतेजार  तो  किस्मत  को  भी  कहा  मंजूर  था ।। १२ ।। 

 

 

अब  देखकर  तुजे  आंखे  फिर  भर  आती  है । 

वरना  इन  शरारती  आँखों मे  अश्क  किसे  मंजूर  था ।। १३ ।। 

 

है तू भी  बेखबर  हकीकत  के  उस  सच से  । 

वरना  मुजे  यू  इस  तरह   तड़पाना  कहा  तुजे  मंजूर  था ।। १४ ।। 

 

 

नहीं  मे  आशिक  और जैसा  । 

वरना  तुजे  भी  भूलना  कहा  नामुमकिन था ।। १५ ।।  

 

आज भी  तरशते  है  कान  तेरी  बात  सुनने को । 

वरना  तेरे  शब्दों  के  अलावा  कहा  मेरा  सुकून  था ।। १६ ।।  

 

लड़किया  कम नहीं  है  इस  शहर मे  । 

पर  तेरे  अलावा किसी  ओर  को  चुनना  कहा  मुजे  मंजूर  था ।। १७ ।। 

 

तू  भी  याद  करती  है  मुजे  । 

पता  चलता  है  मुजे । 

वरना  बे - वजह  आना  हिचकी  को  कहा  मंजूर  था ।। १८ ।। 

 

पड़ते  है  मेरे  पाव  उस  गली  मे  । 

जहा से  तू हररोज  गुजरा  करती  है । 

ना हो  ताल्लुकात  तो । 

बे वजह  पीछा  करना  कहा  किसे  मंजूर  था ।। १९ ।। 

 

अभी  भी  तू   सोचती  रहेती  है  की  । 

मे  बुरा  हु  । 

अगर  ना हो  फिक्र  तो  । 

जिक्र  कहा  किसे  मंजूर  था ।। २० ।।  

 

एक  बार तो  कहे के  देख  लेती  । 

तेरे  लिए  मुजे  सबको  छोड़ना  मंजूर  था । 

पर  तू  मुजे  छोड़  जाए । 

ये  कब  मुजे  मंजूर  था ।। २१ ।।  

 

तेरी  खुशिओ  के  खातिर  । 

सो  दर्द  सहेना  मंजूर  था । 

पर  तू  ही  दर्द  बन जाए   । 

ये  कहा  मुजे  मंजूर  था ।। २२ ।।  

 

चलो  अब  भूल  भी  जाते  है । 

हम  मिलके  रहे   । 

ये  ना  खुदा को  मंजूर  था  ।। २३ ।।  

 

तू  भी  अधूरी  रहे  ये  । 

कहा  मुजे  मंजूर  था ।। २४ ।।  

 

मिले  कोई  तुजे  । 

तुजसे  भी  प्यारा  । 

तेरे  लिए  हमारा  प्यार  । 

सायद  एक  भ्रम  था  ।। २५ ।। 

 

तू  जहा  रहे  । 

खुश  रहे  - खुशाल  रहे  । 

तेरी  खुशी  का  ख्याल  । 

कल  भी  कहा  हमे  कम  था ।। २६ ।।  

 

तुजे  मिले  लाखों  खुशिया  । 

वरना   तेरे  हर  गम  पे  अनंत का   अधिकार  कहा  कम था ।। २७ ।।