सिकंदर दिल्ली में सरकारी नौकरी करता था, वह जब भी अपने गांव आता था, तो अपने बचपन के दोस्त रामफल और उसके परिवार के लिए दिल्ली से कुछ ना कुछ खाने पीने की चीज या अन्य कोई सामान लेकर जरूर जाता था।
रामफल अनपढ़ सीधा-साधा ईमानदार सच्चा इंसान था, उसे अपने गांव के अलावा दुनिया की कोई जानकारी नहीं थी, वह बचपन से आज तक अपने गांव से अपने आसपास के गांव में भी घूमने फिरने नहीं गया था।
रामफल बहुत ज्यादा मेहनत मजदूरी करने के बाद भी अपने बीवी बच्चों को दो वक्त का खाना भी बड़ी मुश्किल से खिला पता था, दूसरी जरूरते जैसे कपड़े घूमना फिरना आदि पूरा करना तो उसके लिए दूर की बात थी।
रामफल अपनी गरीबी तंगहाली की वजह से हमेशा दुखी रहता था।
एक बार उसका बचपन का दोस्त सिकंदर दिल्ली से अपने गांव घूमने आया हुआ था, तो रामफल अपनी गरीबी तंगहाली के बारे में उसे बताता है, इसलिए उसके बचपन का दोस्त सिकंदर उसे अपने साथ दिल्ली में नौकरी करने के लिए ले जाता है।
रामफल अनपढ़ था, इसलिए सिकंदर उसके लिए अच्छी नौकरी ढूंढ़ते ढूंढ़ते परेशान हो जाता है और जब एक-दो महीने तक रामफल की दिल्ली में नौकरी नहीं लगती है, तो वह सिकंदर से अपने गांव वापस जाने की कहता है क्योंकि वह अपने बचपन के दोस्त सिकंदर पर ज्यादा बोझ नहीं डालना चाहता था, क्योंकि सिकंदर उसके साथ उसके परिवार का भी खर्चा उठा रहा था, इसलिए वह गांव वापस जाकर अपनी पुरानी मेहनत मजदूरी करना ही ठीक समझ रहा था।
और उन्हीं दिनों सिकंदर को दो महीने के लिए किसी जरूरी काम से दूसरे शहर में जाना था, इसलिए सिकंदर रामफल से कहता है कि "बस दो महीने का इंतजार और कर ले मैं दिल्ली आने के बाद तेरी कहीं ना कहीं अच्छी नौकरी लगवा दूंगा, क्योंकि मैं जिस बड़े आदमी के काम से शहर से बाहर जा रहा हूं, उसने तेरी नौकरी लगवाने का मुझे वायदा किया है।"
और सिकंदर रामपाल से फिर कहता है"मैं दूसरे शहर में जाने से पहले तुझे दिल्ली घुमा देता हूं।" और उसे कुतुब मीनार घूमने ले जाता है।
सिकंदर रामफल के साथ कुतुब मीनार घूमने के बाद उससे एक छोटा सा मजा करते हुए कहता है कि "कुतुब मीनार मेरी है और मैं कल दो महीने के लिए दिल्ली से बाहर जा रहा हूं, इसलिए तुझे मेरी कुतुब मीनार की पूरी देखभाल करनी होगी मैं अपनी अमानत कुतुब मीनार तेरे पास दो महीने के लिए छोड़कर जाऊंगा।"
और दूसरे सिकंदर रामफल को अपने घर पर अकेला छोड़कर दूसरे शहर दो महीने के लिए चला जाता है।
रामफल अपने बचपन के दोस्त सिकंदर की अमानत कुतुब मीनार की देखभाल करने के लिए रोज सुबह ही पहुंच जाता था और कुतुब मीनार के आसपास झाड़ू लाकर वहां बैठकर घूमने फिरने आने वाले लोगो और विदेशी पर्यटकों को देखता रहता था कि कोई कुतुब मीनार के आसपास गंदगी तो नहीं फैला रहा या कुतुब मीनार को नुकसान तो नहीं पहुंचा रहा है, अगर कोई पर्यटक कुतुब मीनार के आसपास गंदगी फैलता था, तो रामफल उसे रोककर कहता था कि "यह कुतुब मीनार मेरे दोस्त की है और यह मुझे उसकी देखभाल की जिम्मेदारी सौंफ पर गया है, अगर कोई मेरे दोस्त की अमानत को नुकसान पहुंचाएगा, तो मैं उसे माफ नहीं करूंगा।"
सारे पर्यटक उसकी यह की बात सुनकर हंसते थे।
इसलिए रामफल की वजह से कुतुब मीनार के आसपास बहुत सफाई रहने लगी थी, क्योंकि वह दिन में तीन-चार बार कुतुब मीनार के आसपास झाड़ू लगाता था।
दो महीने के बाद सिकंदर दिल्ली आता है और अखबार में रामफल का फोटो देखकर सीधे कुतुब मीनार पर रामफल से मिलने जाता है।
और रामफल को अखबार में उसका फोटो दिखाकर कहता है कि "तूने दो महीने कुतुब मीनार की इतनी अच्छी देखभाल की और कुतुब मीनार को साफ सुथरा रखा, इसलिए पर्यटन विभाग ने खुश होकर तुझे कुतुब मीनार की साफ सफाई और देखभाल के लिए नौकरी पर रख लिया है।"
रामफल की ईमानदारी सच्चाई की वजह से उसे अच्छी नौकरी मिल जाती है और रामफल की गरीबी हमेशा के लिए दूर हो जाती है।