Robot 2.0 in Hindi Fiction Stories by DINESH DIVAKAR books and stories PDF | रोबोट 2.0

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रोबोट 2.0

1.
फुटपाथ पर बैठा एक बच्चा सड़क के लाइट के सहारे पढ़ने की कोशिश कर रहा था। वह दिखने में बहुत कमजोर लग रहा था जैसे उसने क‌ई दिनों से कुछ नहीं खाया हो लेकिन उसके चेहरे पर एक जुनून था जो कुछ कर गुजरने का था।

तभी एक बच्चा दौड़ते हुए उसके पास आया और हांफते हुए बोला "राकेश जल्दी चल तेरी मां की तबीयत बहुत खराब हो रही है वह तेरा ही नाम ले रही हैं।

राकेश दौड़ते हुए अपने मां के पास पहुंचता है उसकी मां की आखरी सांसें चल रही थी उसने बड़ी मुश्किल से राकेश को अपने पास बुलाया और बोली "बेटा राकेश मुझसे एक वादा कर तु कैसे जियेगा ये मुझे नहीं पता लेकिन तू मरेगा सबसे अमीर आदमी बन कर।"

राकेश "मैं वादा करता हूं मां चाहे मुझे कोई जीते जी याद ना करें लेकिन मेरे मौत पर सब मुझे याद करेंगे और मुझे हमेशा याद रखेंगे।"


2.
साइंटिस्ट का लैब....
राधिका देखना हमारे इस अविष्कार से देश को कितना फायदा होगा हमारा देश कितना तरक्की करेगा।

राधिका "यस सर, यह तो बिल्कुल अजुबा है। यह साइंस को एक नया मुकाम देंगा।"

साइंटिस्ट "अच्छा चलो, इसे एक बार चेक कर लेते हैं आज इसका परिक्षण किया जाएगा। मुझे पक्का यकीन है यह माडल उन्हें जरूर पसंद आएगा।"

परिक्षण कक्ष....
सर अगर हम इस माडल को पास कर देते हैं तो यह हमारे तथा हमारे देश के लिए खतरा बन सकता है। इतिहास में ऐसे कई उदाहरण हैं जो साबित करने के लिए काफी है कि ये हमारे लिए कितना हानिकारक हो सकता है। अगर इनमें थोडा सा भी गड़बड़ी हुई तो अंजान बहुत खतरनाक होगा। अतः मेरा मानना है कि इस माडल को रस्टिगेट कर देना चाहिए।

साइंटिस्ट "नहीं सर, मैं इसकी गैरेन्टी लेता हूं इसे बहुत सोच समझकर बनाया गया है ये कोई गलत काम नहीं कर सकता। यह खुद अपने आप को कन्ट्रोल नहीं कर सकता इसे सिर्फ हम कन्ट्रोल कर सकते हैं। यह हमारे आदेशों पर ही कार्य करेगा।"

निर्णयकर्ता बोले "लेकिन हम रिस्क नहीं ले सकते यह पुरे देश कि सुरक्षा का सवाल है। इसलिए इस माडल को रस्टिगेट किया जाता है।"

साइंटिस्ट "नहीं सर मैं बर्बाद हो जाऊंगा... पुरे 15 साल की मेहनत से मैंने इसे बनाया है अपनी सारी सम्पत्ति इसे बनाने में लगा दिया। आप ऐसा नहीं कर सकते। आप एक बार और परीक्षण करके देख लिजिए यह एकदम परफेक्ट है।"

निर्णय कर्ता "सारी, लेकिन इस माडल से देश को खतरा हो सकता है हम रिस्क नहीं लेना चाहते!"

साइंटिस्ट गुस्से से"आप ऐसा नहीं कर सकते आप सभी को इसका नतीजा भुगतना पड़ेगा मैं आप लोगों को नहीं छोडूंगा... देख लेना...!!"

4.
साइंटिस्ट का घर
मेरे प्यारे मैंने तुम्हें बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। लेकिन इस दुनिया ने तुम्हें ठुकरा दिया। मेरे इतने सालों के मेहनत और ज्ञान का अपमान किया है। तुम मुझसे वादा करो कि जिस तरह मैं तड़प तड़प कर मर रहा हूं उसी तरह जिसने तुम्हें ठुकराया है वो भी तड़प तड़प कर मरे। क्या कह रहे थे वो लोग "अगर तुम्हें लांच किया तो दुनिया खतरे में पड़ जाएगा।" अब ऐसा ही होगा इस दुनिया में इतनी तबाही फैलाना कि ये दुनिया कांप उठे तभी मेरे आत्मा को शांति मिलेगा।

"मैं वादा करता हूं मेरे जन्मदाता जिस तरह इन लोगों ने आपको दुख पहुंचाया है उसी तरह मैं इन लोगों को चुन चुन कर मारूंगा। आप जिस तरह मर रहे हैं उससे ज्यादा भयानक मौत उन्हें नसीब होगा।"

एक साल बाद
रात के ग्यारह बज रहे थे दिल्ली के सड़क पर एक ट्रक तेजी से चल रहा था। अचानक ड्राइवर की नजर सामने से आती एक यात्रियों से भरी एक बस पर पड़ी जो अपना नियंत्रण खो चुका था। ड्राइवर के लाख कोशिशों के बावजूद वह बस ट्रक से आ टकराया पर समय रहते ड्राइवर और उसका साथी ट्रक से कुद ग‌ए। ड्राइवर कराहते हुए खड़ा हुआ और अपने साथी का तलाश करने लगा वह उसके पास में बेहोश पड़ा था।

फिर उसकी नजर बस पर पड़ी तो उसके शरीर कांप उठा, ऐसा भयानक एक्सीडेंट। क‌ई लोगों की लाशें बस के बाहर लटक रहे थे। बस के पूरे परखच्चे उड़ गए थे बस के अंदर से कराहने और चिखने की आवाज धीरे धीरे कम होती जा रही थी। तभी उसके साथी को होश आया ड्राइवर ने उसे वहीं पत्थर के सहारे बैठा दिया और पुलिस को फोन करके बुलाने लगा।

तभी बस के अंदर से आवाजें आने लगी जैसे कोई बस के दरवाजे को पीट रहा हो। ड्राइवर बस की तरफ बढ़ने लगा उसे लगा कि बस में कोई बचा हुआ है। तभी बस का दरवाजा टूटकर धड़ाम से सड़क पर जा गिरा ।

चांद की रोशनी कम थी लेकिन ट्रक के एक लाइट अभी भी जल रही थी जिससे सब साफ साफ दिखाई दे रहा था। बस से एक 25-26 साल का नौजवान बाहर निकाला उसके बाहर निकलते ही सियारों के रोने की आवाज साफ सुनाई देने लगी। उस नौजवान का सर उसके कंधों पर लटक रहा था उसका शरीर टूट फुट गया था उसके कपड़ों पर खून लगा हुआ था जो टप टप करके जमीन पर गिर रहा था।

वह किसी जानवर की तरह रेंगने लगा और फिर धीरे से खड़ा हुआ और अपने शरीर को ऐंठने लगा जैसे अंगड़ाई ले रहा हो। जिससे चटर पटर के आवाज़ सुनाई देने लगी धीरे धीरे उसका टूटा शरीर पुनः जुड़ने लगा जो थोड़ी देर पहले लटक रहा था। फिर उसने अपने सर को पकड़ा और उसे घुमाकर कंधे के बीच पर बैठा दिया जिससे वह वापस गर्दन में जुड़ गया।

यह देखकर ड्राइवर और उसका साथी पुरी तरह डर गए और वो डरते डरते हलुमान चालीसा पढ़ने लगे लेकिन डर के मारे मुंह से आवाज ही नहीं आ रहा था। तभी उसे अहसास हुआ कि कोई उसे देख रहा है वो पिछे पलटा तो थोड़ी दूर पर ड्राइवर खड़ा कांप रहा था उसका साथी पत्थर के पिछे छिपा था तो वह उसे देख नहीं पाया।

ड्राइवर अकेला खड़ा कांप रहा था। वह उसके सामने आया और उसे देखने लगा फिर उसके सर को सहलाने लगा और अचानक अपने दोनों हाथों से उसका सर कुचल दिया, ड्राइवर वही ढेर हो गया। उसे देख कर ड्राइवर का साथी चिख पड़ा जिससे वह उसके तरह बढ़ने लगा।

तभी पुलिस की गाड़ी तेजी से उनके पास आ रही थी जिससे वह छलांग लगाता हुआ जंगल में गायब हो गया।

और जाते जाते एक सबुत छोड़ गया जिसमें लिखा था "2.0"

®®®Ꭰɪɴᴇꜱʜ Ꭰɪᴠᴀᴋᴀʀ"Ᏼᴜɴɴʏ"✍️

इस कहानी के सभी भाग (1से भाग 4) प्रकाशित हो चुके है कृपया पुरी कहानी पढ़ें और कमेंट शेयर एंड फालो करें