Pyar me Dhokha - 4 in Hindi Love Stories by Singh Pams books and stories PDF | प्यार में धोखा - भाग 4

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प्यार में धोखा - भाग 4

तारा की को अपनी बेटी का बदला हुआ रूप अच्छा नही लगा ले और जूली तारा और तारा की
मां को दोनों को अकेले छोड़कर मुझे कुछ काम है कह कर चली गई और जूली के बाहर जाते ही रमा ने तारा से कहा अपने आप को बदलना बहुत अच्छ बाबा है मगर इतनी बेपरवाही त से पैसे खर्च करने कोई अक्लमंदी की बात नही है और तुम पहली बार घर से बाहर निकली हो तो तुम्हे बाहर तरह-तरह के लोग मिलेगे
और अपनी जरूरतों को पूरा करना बहुत अच्छी बात है मगर ये फिजूलखर्ची करना कोई अक्ल की बात नही और ये छोटे-छोटे कपडे पहन कर और अब तुम कमाने लगी हो तो जरा सोच समझ कर खर्चा करो मैंमैं ये नही कहती की तुम पैसे खर्च ना लेकिन मैं ये कह रही हूँ की तुम अब थोड़ बहुत पैसे बचाना भी सिखों ताकी आगे जा वो पैसे तुम्ह ही करे मुश्किल समय में काम आ.
सके और तारा बेटा अपनी खूबसूरती ढके के रखने के लिए होती ना की दूनिया के सामने नुमाइश करने के लिए तुम कुछ भी पहनो मगर इतना भी दिखावा मत करो की बाद में तुम्हे पछताने का मौका तक ना मिले और मुझे तोे लडकी जो तुम्हारे साथ रह रही हैं वो बहुत ज्यादा मॉडल बनी घूम रही तुम भी इस जूली की देखा देखी ये सब करन ललगी तो तारा ने कहा मां जूली एक बहुत अच्छ ललडकी हैं चंद दिनों में मेरी बहुत अच्छ सहेली बन गयी है मां और जूली एक बहुत बड़े खानदान की लडकी हैं और मां जूली में घंमड नाम की चीज ही नही है
तभी तारा की मां रमा ने पूछा लेकिन अगर ये बडे़ खानदान की बेटी हैं तो इसे यहां काम करने की क्या जरूरत है भला
तारा ने कहा मां जूली अपने पैरों पर खड़ी हो कर कुछ कर दिखाना चाहती है इसलिए यहां रहती है
अगर खोई अपने दम पर कुछ करना चाहता है ये अच्छी बात है ना और मां आप को पता हैं जूली को कपडे बगेरह खरिदने की बहुत समझ हैं और वो मुझे भी गलत सिख नही देती है
तभी रमा जी ने कहा बेटा ये सब अमीर लोगों के दिखावा करते रहते हैं बेटा इनके पास पैसा हैं तो इन्हे किसी प्रकार की चिंता नही है दो चार पैसे ज्यादा भी खर्च हो गये तो इन्हे कोई फर्क नहीं पड़ता लेकिन बेटा हम जैसों को बहुत सोच समझकर पैसे खर्च करने पड़ते हैं क्योंकि हमे हमारी तनख्वाह एक महिने तक चलानी होती है तो हमे संभल कर खर्चा करता पड़ता है
तभी तारा ने खिजते हुए कहा मां अाप भी ये वे फिजूल की बातें ले कर बैठ गयी तारा ने अपनी मां रमा से बात को टालने की कोशिश करते हुए कहा और मां दूनिया कहां से कहां पहुचं गयी है और मैं भी यहां इतने बड़े शहर में एक बहनजी बन कर रहूगीं तो क्या आप को अच्छा लगेगा भला
तभी तारा की मां ने कहा बेटा तुम मुझे गलत मत समझो
क्योंकि दूनिया चाहे कहां से कहां पहुचं जाये मगर बेटा एक लडकी और एक औरत के लिए आज भी दूनिया नही बदली है
✍️ क्रमशः ✍️