Chamkila Baadal - 3 in Hindi Fiction Stories by Ibne Safi books and stories PDF | चमकीला बादल - 3

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चमकीला बादल - 3

(3)

मसोमा ने बैठते ही कहा।

"मैं जेम्सन के प्रति चिंतित हूं।"

"अगर तुम्हारा बयान सच था तो फिर मुझे भी चिंतित होना चाहिए।" कमल ने कहा।

"विश्वास करो। वह लिस्ली कारडोबा के साथ मसानी विलेज गया था।"

"हालांकि मेरी अनुपस्थिति में उसे लिस्ली से दूर ही रहना चाहिए था।"

"ग़लती उसकी नहीं थी।"

"क्या मतलब?" कमल ने आश्चर्य से पूछा।

"मैंने ही उसे लिस्ली के साथ जाने का परामर्श दिया था।"

"तुमने ऐसा परामर्श क्यों दिया था?" कमल ने उसे घूरते हुए पूछा।

"इसलिए कि वह अस्ली वाली लिस्ली कारडोबा नहीं थी।"

"मैं नहीं समझा।"

"मेरी असावधानी के आधार पर लिस्ली गायब कर दी गई और उसका स्थान एक दूसरी औरत ने ले लिया।"

"वही औरत जिससे मेरी मुलाकात हुई थी?" कमल ने आश्चर्य से पूछा।

"हां, वही।"

"और जेम्सन उसी के साथ गया था?"

"हां, मैं यही कह रहा था।" मसोमा ने कहा।

"प्रश्न यह पैदा होता है कि जब तुमको यह मालूम हो गया था कि वह अस्ली वाली लिस्ली कारडोबा नहीं है तो फिर तुमने जेम्सन को उसके साथ जाने का परामर्श क्यों दिया था?"

"मैं उन लोगों तक पहुंचना चाहता था जो अस्ली वाली लिस्ली को गायब कर देने के जिम्मेदार है।" मसोमा ने कहा।

"फिर यह कैसी निगरानी थी कि वह दोनों भी गायब हो गए और तुम्हें इसका भी ज्ञान न हो सका?" कमल पूछकर उसे घूरने लगा।

"मेरी अभाग्यता और क्या कहुं?"

"कार्य प्रणाली क्या थी?"

"बस कार्य प्रणाली में ही तो दोष था।"

"पहली गलती के बाद भी कार्य प्रणाली में दोष?"

"बस मेरे आधीन अयोग्य है।" मसोमा ने कहा।

"उनकी अयोग्यता क्या है?"

"कम से कम तीन आदमीयों को उन दोनों की निगरानी पर नियुक्त करना चाहिए था मगर उन्होंने केवल एक से काम निकालने की कोशिश की थी।"

"यह सब कुछ मुझे अत्यंत उपहास जनक लग रहा है मिस्टर मसोमा।" कमल ने बुरा सा मुंह बनाकर कहा।

"पहले मेरी पूरी बात सुन लो। फिर जो विचार करना होगा करना।"

"सुनाओ।"

"मैंने जेम्सन के बारे में अभी पूरी बात नहीं बताई थी।" मसोमा ने कहा। "वास्तव में वह औरत जेम्सन को मसानी विलेज ले गई थी और जेम्सन को जुल देकर वहां से गायब हो गई थी। मेरा आदमी भी उस पर नजर न रख सका। फिर जेम्सन वापस आया था और मैंने उसे परामर्श दिया था कि वह क्लीमनजारो में अपने ही कमरे में निवास करें मगर वह इस पर तैयार नहीं हुआ था।"

"न तैयार होने का कारण उसने क्या बताया था?" कमल ने पूछा।

"उसने जो कारण मुझे बताया था उसने मुझे चकराकर रख दिया था।"

"मैं भी सुनूं?"

"नक़ली लिस्ली कारडोबा ने उसे बता दिया था कि तुम किस प्रकार गायब हुए थे।"

"यानि कि_" कमल हकलाकर रह गया।

"हां, उसने जेम्सन को बताया था कि तुम उस समय उसी के कमरे में थे जब तीन आदमी अंदर घुस आए। तीनों सशस्त्र थे। उन्होंने तुम्हें बेहोश करके लोन्ड्री की ट्रोली में डाला और निकाल ले गए।"

"आश्चर्य है।" कमल ने कहा।

"किस बात पर?"

"इसी पर कि जब वह तीनों उसी के आदमी थे तो फिर उसने जेम्सन को यह क्यों बता दिया? उसे तो इस संबंध में मौन ही रहना चाहिए था।"

"उसने जेम्सन को यह नहीं बताया कि वह तीनों उसके साथी थे। उसने तो उन्हें अपने लिए अपरिचित प्रकट किया था।"

"अच्छा, आगे कहो।" कमल ने कहा।

"जेम्सन ने यही सोच कर कि कहीं वह भी तुम्हारे ही समान गायब न कर दिया जाए कि अपने कमरे में रहना स्वीकार नहीं किया। मैंने उससे कहा कि मेरे कमरे में रहे। इस पर वह तैयार हो गया था। मग फिर सिरे से क्लीमानजारो तक पहुंचा ही नहीं।"

"यह घटना सब से अधिक आश्चर्यजनक है।" कमल ने कहा।

"क्या तुम दोनों के अतिरिक्त भी तुम में से कोई और यहां हो सकता है?" मसोमा ने उसकी आंखों में देखते हुए सवाल किया।

"मेरे ज्ञान में तो ऐसी कोई बात नहीं है।"

"तब तो फिर यही हो सकता है कि जेम्सन भी उन्हीं लोगों के हत्थे चढ़ गया जिन्होंने लिस्ली कारडोबा को गायब कर दिया था।"

कमल कुछ देर तक सोचता रहा फिर बोला।

"सच्ची बात यह है मिस्टर मसोमा कि मुझे यह मालूम ही नहीं कि मुझे यहां क्यों भेजा गया था। बस मुझे लिस्ली कारडोबा से मिलना था। अस्ल बात वही बताती मगर तुम्हारे बयान के अनुसार वह पहले ही गायब कर दी गई थी। फिर नक्ली लिस्ली क्या बताती।"

"बहरहाल_" मसोमा ने ठंडी सांस लेकर कहा, "मुझे दुःख है कि जो काम मुझसे कहा गया था वह मैं न कर सका।"

"क्या करने को कहा गया था?" कमल ने पूछा।

"अस्ली वाली लिस्ली की निगरानी और उसकी रक्षा_"

"बस तो अब मुझे वापस चला जाना चाहिए।"

"क्यों? क्यों?" मसोमा ने जल्दी से पूछा।

"अस्ल मामला न मैं जानता हूं न तुम जानते हो। लिस्ली जानती थी वह गायब कर दी गई। फिर मेरे यहां रुके रहने से क्या लाभ?"

"तो क्या जेम्सन की पुन: प्राप्ति से पहले ही चले जाओगे?"

"अगर उन्होंने जेम्सन को मार डाला होगा तो पुनः प्राप्ति का प्रश्न ही नहीं पैदा होता।" कमल ने ठंडी सांस लेते हुए कहा।

"मैं इस सीमा तक निराश नहीं हूं।" मसोमा ने कहा।

"निराश न होने का कोई खास कारण?"

"न वह लिस्ली कारडोबा से कुछ मालूम कर सके होंगे और न जेम्सन से।"

"जेम्सन बेचारा तो कुछ जानता ही नहीं था। लेकिन लिस्ली के बारे में विश्वास के साथ कुछ भी नहीं कहा जा सकता। भावनाओं से घबड़ा कर बड़े बड़े होते सुरमा सच्ची बातें उगल दिया करते है। लिस्ली तो बहरहाल औरत है।"

मसोमा खामोश रहा। कमल फिर बोला।

"वैसे क्या तुम जानते हो कि लिस्ली का मिशन क्या था?"

"इसका सवाल ही नहीं पैदा होता।"

"क्या यह भी नहीं जानते कि वह कौन थी? और कहां से आई थी?"

"माय डियर सर_ मैं क्या जानूं?" मसोमा ने कहा। "मुझसे तो केवल उसकी निगरानी और उसकी रक्षा करने को कहा गया था।"

"जो तुम नहीं कर सकें।"

"यही कह कह कर कितनी बार लज्जित करोगे?"

"किसने तुमसे उसकी रक्षा और निगरानी के लिए कहा था?" कमल ने पूछा।

"प्रकट है कि पवन ही के ओर से आदेश मिले थे।"

"प्रत्यक्ष?" कमल ने उसकी आंखों में देखते हुए पूछा।

"नहीं।"

"फिर _?"

"एक मध्यवर्ती आदमी से।"

"मैं उसी मध्यवर्ती आदमी का पता चाहता हूं।" कमल ने कहा।

"वह कोई औरत है। कदाचित अंग्रेज औरत।" मसोमा ने चिंताजनक स्वर में कहा।

फिर बोला, "मवानजा से उसकी काले आती है।"

कमल लंबी सांस लेकर रह गया। पोरशिया की काल मवानजा से ही आई थी।

"क्या सोचने लगे?" मसोमा ने टोका।

"क्या मवानजा सीरंटेगी नेशनल पार्क के निकट ही का कोई स्थान है?" कमल ने पूछा।

"क्या सीरंटेगी पार्क के निकट कोई कृषि संबंधी प्रोजेक्ट भी चल रहा है।"

"हो सकता है चल रहा हो।" मसोमा ने कहा।

"तुम इसका भी सही उत्तर नहीं दे सकते।"

"क्या सही उत्तर दूं?" मसोमा ने कहा। "आजादी के बाद तो प्रोजेक्टों की भरमार हो गई है। हर जगह एक न एक मौजूद। कहां तक कोई याद रखें?"

"हूं _" कमल इतना ही कहकर फिर कुछ सोचने लगा।

"मगर तुमको इससे क्या सरोकार?" मसोमा ने पूछा।

"क्या तुम उस औरत का नाम जानते हो?" कमल ने उसके प्रश्न को उपेक्षित करते हुए पूछा।

"नहीं। वह केवल पवन के हवाले से बात करती है।"

"बहरहाल। हमारी इतनी देर की वार्ता व्यर्थ रही।"

"मेरा भी यही विचार है।" मसोमा बुरा सा मुंह बनाकर बोला। "न तुमको असल मामले की खबर है और न मुझे।"

"छोड़ो। यह बताओ कि क्या पीओगे?" कमल ने पूछा।

"कोनियागी मंगवा लो।"

"कोनिमाक_?"

"नहीं। वह तो अमरीकी है।" मसोमा ने कहा। वास्तव में हमने जिनको कोनियागी का नाम दिया है।"

"ओह_ अच्छा _"

फिर कमल ने रुम सर्विस को रिंग करके कोनियागी तलब की थी।

"तुमने डोडोमा भी चखी या नहीं?" मसोमा ने पूछा।

"मैंने तो नाम भी नहीं सुना।"

"हमारी सर्वोत्तम वाइन - जिसका नाम अपने एक बड़े आधुनिक नगर के नाम पर रखा है।"

"मैं वाइन नहीं प्रयोग करता।" कमल ने कहा।

"फिर क्या पीते हो?"

"कभी कभी लीकर या बीयर ले लेता हूं।"

मसोमा कुछ नहीं बोला। वह अचानक किसी सोच में पड़ गया था। आकृति से यही मालूम होता था। भवे सिकुड़ गई थी। आंखें मींची हुई थी और ललाट पर तीन अदद मोटी मोटी सिलवटें दिखाई दे रही थी। रुम सर्विस के वेटर के आगमन तक यही दशा रही किन्तु जैसे ही बोतल से गिलासों में उड़ेली गई ललाट की सिलवटें गायब हो गई और वह जोश भरे स्वर में बोला,

"अगर जेम्सन वहां भी न मिला तो फिर _?"

"तो फिर" की पुनरावृत्ति के साथ ही न केवल आवाज ढीली पड़ गई थी बल्कि वाक्य भी अधूरा रह गया था।

"क्या कहना चाहते हो?" कमल उसे तेज़ नज़रों से देखता हुआ बोला।

"मुझे एक जगह उन लोगों के घातस्थल होने का संदेह है।"

"और तुम्हारा विचार है कि जेम्सन वही होगा क्यों?"

"हो या न हो मगर देखने की कोशिश करने में क्या आपत्ति है?"

"आपत्ति तो कुछ भी नहीं।" कमल ने कहा फिर हंस कर बोला, "किन्तु अभी तक की गई सारी कोशिशों का फल तो शून्य ही निकला।"

"यार, मेरा अपमान मत करो।" मसोमा बड़ा सा घोंट लेकर बोला।

"मैं तुम्हारा अपमान नहीं कर रहा हूं बल्कि मैंने सच्ची बात कही है।"

"सुनो दोस्त, अभी तक मैंने स्वत: कुछ नहीं किया है। केवल आदेश ही देता रहा हूं। अपने अयोग्य आधीनो को आजमाता रहा हूं। मगर अब खुद ही सब कुछ देखूंगा।"

"ठीक है। यह भी करके देख लो।"

मसोमा कुछ क्षणों तक उसे ध्यान से देखता रहा। फिर बोला, "तुम मुझे बहुत बुद्धिजीवी प्रतीत होते हो।"

"धन्यवाद, कहना क्या चाहते हो?"

"यही कि क्यों न हम मिलकर काम करें? इस प्रकार हो सकता है कि सफलता हमारे हाथ लग जाए?"

"मगर काम की नवैयत तो मालूम हो।"

"फिलहाल जेम्सन की पुन: प्राप्ति।"

"ठीक है। मैं तैयार हूं।" कमल ने कहा। फिर बोला, "मेरे सामने सब से बड़ी विपत्ति यह है कि मैं एक अपरिचित देश में फंस गया हूं। बाहर निकलूं तो भी जाऊं किधर?"

"इसीलिए मैंने मिलकर काम करने का प्रस्ताव तुम्हारे समक्ष रखा है।"

"मैं तैयार हूं। कमल ने फिर कहा।"

"तो कब बोतल में कार्क लगाओ और मेरे साथ चलो।"

"चलो।" कमल उठता हुआ बोला।

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जेम्सन को उसी जगह छोड़कर मेकफ चला गया था। संध्या तक जेम्सन पड़ा सोता रहा। फिर किसी ने झंझोड कर उसे जगाया था। सोते समय उसने अंदर से दरवाजा बोल्ट नहीं किया था। बौखलाकर उठ बैठा।

द्वार खोलने वाला वही पीतवर्ण दोगला अफ्रीकी था जिसने उनके आगमन पर इमारत का दरवाजा खोला था। उसने कहीं चलने का संकेत किया और जेम्सन हड़बड़ा कर बिस्तर से नीचे उतर आया।

दोगला अफ्रीकी उसे एक बड़े से कमरे में लाया जहां फर्श पर खजूर की चटाइयां बिछी हुई थी और पंद्रह बीस अफ्रीकी उस पर बैठे कहवा पी रहे थे। दोगले अफ्रीकी ने उसे भी एक ओर बैठ जाने का संकेत दिया। जेम्सन खामोशी से बैठ गया और वह पीतवर्ण अफ्रीकी वहां से चला गया।

थोड़ी ही देर बाद जेम्सन के सामने भी कहवा की प्याली रख दी और वह प्याली उठाकर चुस्कियां लेने लगा। इतनी देर में उसने अनुमान लगा लिया था कि वहां मौजूद सारे ही अफ्रीकी गूंगे है। वह सब संकेतों में एक दूसरे से बातें कर रहे थे। कभी कभी जेम्सन को भी घूरने लगते थे। कहवा स्वादिष्ट था। मसालों की सुगंध से आत्मा तक सुवासित होती हुई महसूस हुई। वह हल्की हल्की चुस्कियां लेता रहा।

फिर वहां अचानक सन्नाटा छा गया। गूंगो के कण्ठ से निकलने वाली बेहंगम आवाजें थम गई और सब प्रवेश द्वार की ओर देखने लगे।

जेम्सन भी मुड़ा और सन्नाटे में रह गया। द्वार के निकट एक श्वेत वर्ण लड़की खड़ी थी। चेहरा अत्यंत सुंदर था। आंखें तो कयामत थी। अधरो की बनावट पर निरंतर मुस्कान का भ्रम होता था। आयु बीस वर्ष से अधिक न रही होगी। वह इठलाती हुई चाल के साथ जेम्सन के निकट पहुंची और शरारत भरी आंखों से उसे देखने लगी।

जेम्सन बौखला गया किन्तु उसे यह याद था कि वह गूंगा है। जबसे गूंगा बना था बारबार स्वयं को याद दिलाता रहता था कि वह गूंगा है। फिर लड़की की संगीतमय आवाज कमरे में गूंजी। वह जेम्सन से कह रही थी।

"हो तो दोगले ही किन्तु तुम में दक्षिणी एशिया की किसी नस्ल का मेल मालूम होता है। क्यों क्या खयाल है?"