Chamkila Baadal - 1 in Hindi Fiction Stories by Ibne Safi books and stories PDF | चमकीला बादल - 1

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चमकीला बादल - 1

सम्पादकीय

चमकीला बादल इब्ने सफी का एक महान उपन्यास है। अफ्रीका के दिलचस्प वातावरण में इतनी सनसनीपूर्ण तथा अनोखी कहानी इससे पहले कभी नहीं प्रस्तुत की गई। यह केवल महान लेखक इब्ने सफी की लेखनी का चमत्कार था कि वह जासूसी उपन्यासों में सदैव पढ़ने वालों को नित नए वातावरण की सैर कराते रहे, जिसके कारण कहानियों की दिलचस्पियां और बढ़ जाती थी।

'चमकीला बादल' की सबसे बड़ी खूबसूरती यही है कि पढ़ने वाला उस समय तक अपने को अफ्रीका के वातावरण में सांस लेता हुआ महसूस करता है जब तक यह कहानी समाप्त नहीं कर लेता। यही इब्ने सफी की लेखनी का चमत्कार था कि उनकी कल्पना वास्तविकता की सरहदों को छूती दिखाई देती है।

'चमकीला बादल' इब्ने सफी की वह यादगार नाविल है जो उर्दू जासूसी साहित्य में क हलचल मचा चुकी है। यह कहानी इब्ने सफी ने बड़ी मेहनत से लिखी थी। इसी कारण अपने दिलचस्प तथा अनोखी घटनाओं के साथ यह कहानी फैलती गई। इस महत्वपूर्ण कहानी का प्रथम भाग जासूसी दुनिया के पिछले उपन्यास 'खून की आंधी' में प्रस्तुत किया जा चुका है। और अब इस कहानी का दूसरा भाग 'चमकीला बादल' में प्रकाशित किया जा रहा है। जिसमें घटनाएं एक नया रुख पकड़ती है।

इब्ने सफी के इन महान कारनामों को जासूसी साहित्य कभी भूला नहीं सकता। उन्होंने जो यादगारें छोड़ी है उस पर केवल हम बल्कि हमारी आने वाली पीढ़ी भी गौरव करती रहेगी तथा जासूसी इतिहास में इब्ने सफी का नाम सदैव जीवित रहेगा।

हमारे बहुत से पढ़ने वालों ने इब्ने सफी के संबंध में सांत्वना पत्र भेजें है और साथ ही अपने मूल्यवान परामर्श भी भेजें है। हम पाठकों के परामर्श की रोशनी में अपने सभी पाठकों को यकीन दिलाते हैं कि जासूसी दुनिया प्रकाशन इब्ने सफी की सभी यादगारों को बाकी रखेगा और उनके मिशन को आगे बढ़ाने की कोशिश करेगा। परंतु इस संबंध में हमें आपके भरपूर सहयोग की आवश्यकता है।

- अब्बास हुसैनी

 

चमकीला बादल

(1)

कमल कान्त की निद्रा भंग अवश्य हुई मगर शरीर में इतनी भी शक्ति नहीं रह गई थी कि वह अपना हाथ एक स्थान से उठाकर दूसरे स्थान पर रख सकता। उसने पुनः नेत्र बंद कर लिए। सिर बुरी प्रकार घुम रहा था। मुख से दो-चार कराहे भी निकली थी और फिर एसा लग था जैसे कोई झुक कर उसका चेहरा देख रहा हो। ललाट पर गर्म गर्म सांसें भी महसूस हुई थी। उसने फिर आंखें खोल दी। उस पर झुकने वाली एक लड़की थी, जिसका रंग काला था और उसने श्वेत वस्त्र धारण कर रखा था।

"तत.. तुम कौन हो?" कमल ने बड़ी कठिनाई से पूछा।

"गुड।" लड़की हर्षित हो कर बोली। "तो तुम्हें होश आ गया।"

"होश आ गया?" कमल ने आश्चर्य जनक भाव में पलकें झपकाते हुए दिल ही दिल में दुहराया और निचले होंठ पर ज़बान फेरकर रह गया।

"क्या तुम मेरी आवाज़ सुन सकते हो?" लड़की ने प्रश्न किया।

"हां, सुन सकता हूं। तुमने मेरे प्रश्न का उत्तर नहीं दिया।"

"मैं नर्स हूं। यह अस्पताल है।"

"अस्पताल? क्यों? मैं नहीं समझा।" कमल ने कहते हुए उठ बैठने की चेष्टा की।

"तुम कैसे बैहोश हुए थे?" लड़की ने पूछा।

"मैं बेहोश नहीं हुआ था, बल्कि सो गया था।"

"कहां सो गए थे?"

"एक झोंपड़े में, जहां भोजन किया था।"

"मगर तुम तो एक सड़क पर बेहोश पड़े पाए गए थे।"

"फिर अस्पताल कैसे पहुंचा?"

"पुलिस वाले लाएं थें।"

"किस सड़क पर पाया गया था?"

"सिटी ड्राइव पर।"

"सिटी ड्राइव? किस शहर की बात कर रही हो?"

"दारुस्सलाम की।"

इस बार वह बौखला कर उठ ही बैठा और नर्स ने हाथ हिलाकर कहा।

"लेटे रहो। पुलिस स्टेशन फोन कर दूं।"

"क्यों?"

"पुलिस अधिकारी ने कहा था कि होश आते ही उन्हें सूचित कर दिया जाए।" नर्स ने कहा और वहां से चली गई।

कमल कान्त दोनों हाथों से सिर थामे बैठा रहा। तो वह दारुस्सलाम में है। क्लिमानजारो होटल के निकट ही वाले अस्पताल में। मगर क्यों? क्या भोजन करने के बाद वह सोया नहीं था वरन बेहोश हुआ था। मगर उन लोगों ने उसके साथ ऐसा व्यवहार क्यों किया? उस औरत पोरशिया सिगिल्टन ने तो यही प्रकट किया था कि वह उससे परिचित है। फिर उसके साथ उसने ऐसा व्यवहार क्यों किया? ओह.. नरक में जाए सब कुछ। मगर अब वह पुलिस को क्या बयान देगा?

थोड़ी देर बाद एक पुलिस आफिसर वहां पहुंच गया। इस मध्य कमल ने सोच लिया था कि उसे क्या कहना है। वहीं बटमारो वाली कहानी - उसने पुलिस आफिसर को बताया कि वह क्लीमनजारो होटल के कमरा नंबर निन्यानवे में ठहरा हुआ है। घूमने फिरने के अभिप्राय से आया हुआ है। होटल से निकल कर सड़क तक आया था क्योंकि उसके ब्रांड के सिगरेट होटल के काउन्टर पर नहीं मिल सकें थें। बस फिर उसे उतना याद है कि किसी ने पीछे से उसकी गर्दन पकड़ कर गला घोंटना आरंभ कर दिया था और वह कदाचित बेहोश हो गया था, और अस्पताल में होश आया था।

"मगर आपकी जेबें खाली थी।" पुलिस आफिसर ने उसकी कहानी सुनने के बाद कहा।

"ओह! तो वह मेरा पर्स भी ले गए?" कमल ने कहा।

"कितनी रकम थी?"

"उसमें पचास पचास शिलिंग के दस नोट थे।"

"और आपके कागजात?__"

"वह तो कमरे में ही छोड़ गया था।" कमल ने कहा।

"क्या आप इसी समय होटल तक चल सकेंगे?"

"क्यों नहीं?" कमल ने कहा। "अब इतनी कमजोरी भी नहीं महसूस कर रहा कि होटल तक न चल सकूं।"

"तो फिर चलिए।" पुलिस आफिसर ने कहा।

वह दोनों होटल पहुंचे थे।कमल ने काउंटर से अपने कमरे की कुंजी प्राप्त की थी। साथ ही काउंटर क्लर्क ने उसे एक बंद लिफाफा भी थमा दिया था।

"यह क्या है?__" कमल ने पूछा।

"आपके लिए कोई दे गया था।"

पुलिस आफिसर ने उसके कमरे में पहुंचकर कागजात चेक किए। चिंताजनक भाव में कहा।

"सिटी ड्राइव पर कभी ऐसा नहीं हुआ। मेरी याददाश्त में आपका पहला केस है। बहरहाल हम प्रयत्न करेंगे कि आपकी हानि की पूर्ति हो जाए और अपराधी को दण्ड मिले।"

"बहुत बहुत धन्यवाद__।" कमल ने कहा।

पुलिस आफिसर उसका लेकित बयान लेकर चला गया और कमल कमरे का निरीक्षण करने लगा। सब कुछ ज्यों का त्यों मौजूद था किन्तु वह एलोक्ट्रानिक बग्स गायब थें जिसके माध्यम से उसकी आवाज़ कहीं और पहुंचती रही थी।

अचानक उसे वह लिफाफा याद आया जो काउंटर क्लर्क से मिला था। जल्दी से उसे जेब से निकालकर खोला। उसमें से बरामद होने वाले कागजात के टुकड़े पर एक फोन नंबर लिखा हुआ था और आदेश दिया गया था कि होटल पहुंचते ही इस नंबर पर रिंग करें। लिखने वाले ने अपना नाम नहीं लिखा था।

कमल ने होटल के एक्सचेंज से संबंध स्थापित करके नंबर बताये और काल की प्रतीक्षा करने लगा।

"हलो__" दूसरी ओर से मर्दाना आवाज़ आई।

"कमल कान्त__"

"ओह__ तो तुम वापस आ गए। वहीं ठहरो। मैं आ रहा हूं। दस मिनट में पहुंच जाऊंगा। फिर बातें होंगी।" कहकर संबंध काट दिया गया।

कमल ने बुरा सा मुंह बनाया। क्रेडिल पर रिसीवर रख कर आराम कुर्सी पर गिर गया। जेहन में चेतना का अभाव था। अपने अतिरिक्त और किसी का होश नहीं था। इतनी देर में एक बार भी जेम्सन का ख्याल नहीं आया था।

दस मिनट बीत गए। किसी ने दरवाज़े पर आवाज़ दी।

"आ जाओ__" उसने ऊंची आवाज़ में कहा।

द्वार खुला और एक काला आदमी अंदर दाखिल हुआ। लिबास से धनवान और प्रतिष्ठित आदमी मालूम होता था। कमल ने उठकर उसका स्वागत किया मगर उसे टटोलने वाली नज़रों से देखे जा रहा था।

"मेरा नाम मसोमा है।" काले आदमी ने दोनों हाथ आगे बढ़ाते हुए कहा।

कमल ने उससे हाथ मिलाये। फिर दोनों बैठ गए।

"मैं आपकी क्या सेवा कर सकता हूं?" कमल ने पूछा।

"शुक्रिया__ यह तो बताइए कि आपका साथी कहां है?"

"जेम्सन! ओह__" कमल उछल पड़ा। "हां लह कहां है? शायद अपने कमरे में होगा।"

"जी नहीं। वह तीन दिन से गायब है।" मसोमा ने कहा।

"मगर आप उसे क्या जानें?" कमल ने आश्चर्य से कहा।

मसोमा ने पवन वाला कार्ड जेब से निकाला और उसकी ओर बढ़ा दिया।

कमल सीधा होकर बैठ गया। मानसिक अचेतना एकदम से दूर हो गई। निस्संदेह यह उसके चीफ़ का चिह्न था मगर मसोमा का इस प्रकार सामने आ जाना उसकी समझ में न आ सका और फिर उससे बिल्कुल यह नहीं कहा गया था कि दारुस्सलाम में किसी एजेंट को इस प्रकार भी शनाख्त करना पड़ेगा। लिस्ली कारडोबा के लिए कोड़ वर्ड्स निर्धारित किए गए थे। पवन के शनाख्ती कार्ड को मुलाकात का साधन नहीं बनाया गया था।

"यह क्या है?" उसने मसोमा की ओर देखते हुए पूछा।

"अब शिष्टाचार की आवश्यकता नहीं रही।" मसोमा ने मुस्कुराकर कहा।

"क्या मतलब?"

"तुम्हारे गायब हो जाने के बाद मैंने जेम्सन पर भी अपने आप को अलग कर दिया था।"

"तुम्हारी कोई बात मेरी समझ में नहीं आ रही है। तुम आखिर हो कौन?"

"धीरे बोलो।" मसोमा ने मुड़ कर दरवाज़े की ओर देखते हुए कहा।

फिर कमल को वह बताने लगा था कि जादू देखकर किस प्रकार जेम्सन परेशान हुआ था। फिर उसके गायब हो जाने के बाद लिस्ली कारडोबा कैसे जेम्सन को मसानी विलेज ले गई थी और फिर उसे वहीं छोड़ कर खुद गायब हो गई। और अब जेम्सन का भी कहीं पता नहीं।

कमल खामोशी से सुनता रहा था और बात समाप्त होने पर भी मौन ही रहा।

"तुम कुछ बोल नहीं रहे हो?" मसोमा ने कहा।

"मुझे पुलिस को फोन करना चाहिए।" कमल ने कहा।

"कक_ क्यों नहीं? खेल बिगड़ जाएगा।"

"कैसा खेल?" कमल उसे घूरता हुआ बोला।

"तुम अच्छी तरह जानते हो।"

"हां, और उसीलिए पुलिस को फोन करना चाहता हूं।"

"पुलिस से कहोगे क्या?" मसोमा ने पूछा।

"वही कहूंगा कि एक ऐसा आदमी जिसे मैं नहीं जानता, मुझसे उटपटांग बातें कर रहा था। हो सकता है तुम उन्हीं लोगों में से हों जिन्होंने मुझ पर आक्रमण करके मेरे पांच सो शिलिंग उड़ा लिए। पुलिस ने मूर्च्छावस्था में मुझे अस्पताल पहुंचाया था। अभी अभी पुलिस इन्स्पेक्टर मेरा लिखित बयान ले गया है।"

"तुम किसी भ्रम में पड़े हो?" मसोमा ने कहा फिर पूछा, "तुम पर कहां आक्रमण हुआ था?"

"इसी होटल के सामने, सड़क पर।"

"तुम कुछ भूल रहे हो।"

"क्या भूल रहा हूं?" कमल ने पूछा।

"यही कि तुम पर लिस्ली कारडोबा के कमरे में आक्रमण हुआ था।"

"कहां की हांक रहे हो? मैं किसी लिस्ली कारडोबा को नहीं जानता।"

मसोमा उसे बेबसी से देखता रहा फिर बोला।

"तुम्हारे साथी जेम्सन ने स्वीकार कर लिया था कि वह पवन का आदमी है।"

"तुम सचमुच बहुत अधिक नशे में मालूम होते हो।" कमल ने घृणात्मक हंसी के साथ बोला।

"भाड़ में जाए।" मसोमा ने भन्ना कर कहा। "मुझे क्या? मैं रिपोर्ट दे दूंगा कि तुम सहयोग देने पर तत्पर नहीं हो।"

"किस संबंध में सहयोग देने पर तत्पर नहीं हूं?" कमल ने पूछा।

मगर मसोमा ने उत्तर नहीं दिया। झटके के साथ उठ खड़ा हुआ फिर न तो उसने हाथ मिलाया और न कुछ कहा। दरवाजा खोल कर निकला चला आया।

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ललाट पर किसी प्रकार का दबाव महसूस हुआ था और जेम्सन ने आंखें खोल दी थी। कर्नल डोना बोनार्ड का सेवक - डाढी वाला नीग्रो उसके ललाट पर हाथ रखे इस प्रकार झुका हुआ था जैसे अनुमान लगाने की कोशिश कर रहा हो कि ज्वर अब भी है या उतर गया।

"क्या बात है?" जेम्सन ने गुर्रा कर पूछा।

"कब तक सोते रहोगे?"

"तुमसे मतलब?" जेम्सन चिंघाडा। "चले जाओ यहां से।"

"इतनी गर्मी क्यों दिखा रहे हो मिस्टर?"

"भूमध्य रेखा के निकट और क्या होगा?"

"मैं तुम्हें जगाने आया हूं। भूगोल पढ़ने नहीं आया हूं।"

"जगा चुके हो तो अब चलते फिरते नज़र आओ।"

"बधाई भी न दूं?" नीग्रो ने पूछा।

"कैसी बधाई?" जेम्सन ने आश्चर्य से पूछा।

"मेरे ही जैसे हो गए हो।"

"तुम्हारे मुख से शराब की दुर्गंध आ रही है। चले जाओ यहां से।"

"पहले जरा चादर से हाथ निकालकर तो देखो।" नीग्रो ने हंसकर कहा।

"क्या मतलब?"

"जो कह रहा हूं वह करो। फिर मतलब भी समझ में आ जाएगा।"

जेम्सन ने झल्लाहट भरे भाव में चादर के नीचे से हाथ निकालें और चीख मार उछल पड़ा। काले काले अफ्रीकी हाथ। दूसरी छलांग बिस्तर से नीचे ले आई। पैर भी वैसे ही काले काले नज़र आए।

नीग्रो बुरी तरह हंस रहा था। फिर बड़ी कठिनाई से हंसी रोककर बोला।

"अब दर्पण देखो और बेहोश हो जाओ।"

जेम्सन बौखलाकर वस्त्रों की आलमारी की ओर घूमा। उसमें एक बड़ा सा शीशा लगा हुआ था। फिर वह गिरते गिरते बचा। सिर बुरी प्रकार चकराया था। क्योंकि शीशे में किसी नीग्रो की ही शक्ल दिखाई दी थी। खुद उसकी अपनी शक्ल तो नहीं थी।

तो उसे बेहोश करके यह कार्यवाही की गई थी। वह मुट्ठियां भींच कर नीग्रो की ओर पल्टा।

"इसे मेरी संगत का प्रभाव न समझना।" नीग्रो हंसकर बोला। "कर्नल उच्च कोटि के आर्टिस्ट है। रंग पक्का है।"

जेम्सन ने अंगुली में थूक लगाया और कलाई पर एक जगह रगड़ना आरंभ कर दिया। किन्तु निष्फल__ उस कालूंच का कुछ भी तो नहीं बिगड़ा था।

"मैंने कहा ना कि रंग पक्का है। जीवन भर नहीं छूट सकता है।" नीग्रो ने कहा। वह अब भी हंसे जा रहा था।

"मैं कर्नल को गोली मार दूंगा।" जेम्सन दांत पीस कर बोला।

"यह काम तो गोली मार देने ही का हुआ है।" नीग्रो ने हंसते हुए कहा। फिर बड़ी उदासीनता के साथ बोला। "मगर पाओगे कहां?"

"क_क_क्या मतलब?" जेम्सन ने पूछा।

"हम दोनों असहाय रह गए हैं।"

"खुलकर बात कहो।" जेम्सन फिर झल्ला उठा।

"कर्नल साहब अपनी बीवी सहित गायब हो गए।"

"कहां गायब हो गए?"

"मैं क्या जानूं?" नीग्रो ने कहा। "उन्होंने मुझे अस्थाई रूप से नौकर रखा था। तुम्हारी यह हुलिया बनाई और गायब हो गए। यह मकान किराए पर प्राप्त किया था। मेरी अनभिज्ञता में निकल गए।"

"उनके सामान तो होंगे ही?" जेम्सन ने पूछा।

"नहीं। सामान भी गायब है।"

"हूं।" जेम्सन ने लंबी सांस खींची फिर नीग्रो की आंखों में देखते हुए पूछा, "तो तुम अब क्या करोगे?"

"मैं भी चुपचाप किसी ओर खिसक जाउंगा वरना हो सकता है कि किसी विपत्ति में पड़ जाऊं।"

"फिर मेरा क्या होगा?" जेम्सन ने बौखलाकर पूछा।

"मैं क्या बता सकता हूं? यह तुम्हारे सोचने की बात है।"

"एक बात पूछूं?" जेम्सन ने कहा।

"अवश्य पूछो।"

"जब तुम्हें उनके फरार हो जाने का ज्ञान हो गया था तो तुम भी क्यों नहीं भाग निकले? यहां क्यों रुके रहे?"

"केवल तुम्हारे लिए।" नीग्रो ने कहा।

"क्या मतलब?"

"अगर मेरी अनुपस्थिति में तुम्हें होश आता तो तुम पागल हो जाते।"

"इसका यह अर्थ हुआ कि तुमको मुझसे सहानुभूति है।" जेम्सन ने कहा।

"यही समझ लो।"