मैं और मेरे कृष्णा
कृष्ण की दिवानी बांसुरी आज दिवाना बना रहीं हैं l
कृष्णा की आश में वन उपवन सुरों से सजा रहीं हैं ll
कुछ ज़ख्म सयाने हो गये हैं कि दर्द भी नहीं देते l
सोए हुए बैचेन और बैखोफ अरमान फ़िर जगा रहीं हैं ll
बेपन्हा बेइंतिहा प्यार में पागल और दिवानी होकर l
प्रिये को रिझाने वो होठों से लग के दिल लगा रहीं हैं ll
अनगिनत छेद ही छेद अंदर और बाहर होते हुए l
फासला कम करने खुद को खुद के भीतर समा रहीं हैं ll
फ़िज़ाओं में मदमस्त बहलाने वाली सुरावली छेड़ कर l
सखी को मुहब्बत की राग और रागिनी सुना रहीं हैं ll
३१-८-२०२३
अनुशासन का उल्लंघन करना आम बात हो गई है l
उसका भंग करके दंड भरना आम बात हो गई है ll
दुनिया में लोग अपनी मनमानी करके जीने लगे है l
कायदे कानून से नहीं डरना आम बात हो गई है l
कहते कुछ और करते कुछ है ये मतलबी जहां वाले l
अपनी ज़बां से खिसके सरना आम बात हो गई है ll
खुद तो बिना लगाम के घोड़े बन गये हैं दूसरों का l
अब चैन और सुकून को हरना आम बात हो गई है ll
बिना मतलब की दौड़ में शामिल हो गये है और l
जो भी मिल जाये वो चरना आम बात हो गई है ll
१६-९-२०२३
जिंदगी को यूँ खोना नहीं l
फ़िर बाद में तू रोना नहीं ll
अरमान ग़र पूरे करने हो l
सुबह देर तक सोना नहीं ll
समझना हो किसी को तो l
खामोशी को बोना नहीं ll
दौनों के दिल में दोनों है l
एक दूजे बिना कोना नहीं ll
सखी बड़ा नाम दुनिया में l
मेहनत के बगैर होना नहीं ll
१६-९-२०२३
कहाँ कह रहे हैं प्यार करो l
नहीं है तो स्वीकार करो ll
इश्क़ जिंदा लोग नहीं करते l
सोच समझकर इक़रार करो ll
दिल की बस्ती में आग लगी l
तुम भी चुपचाप वार करो ll
रूह सिसकियाँ ले रहीं हैं l
रुलाया न बार बार करो ll
तकदीर ने मिलाया है तो l
बंधन से ना इनकार करो ll
१७-९-२०२३
पतझड़ में मुरझाए फूल बहारों से खिलते नहीं l
बसंत में बिछड़े नादान दिल फ़िर मिलते नहीं ll
यादों के उजाले में गुजार देगे बाकी उम्र को l
एक पल में भूला देगे पर दिल से हिलते नहीं ll
दिल में दर्द छुपाके होंठों पे मुस्कान रखते हैं l
जान दे देते हैं अपनी जुबान से फिरते नहीं ll
बारहा आँखें भी इंतज़ार करते शुष्क हो गई है l
ताकती रहती रास्ता पर अश्क भी गिरते नहीं ll
निगाहों से दिन रात पीते रहते थे हुश्न के जाम l
जिंदगी मय बन गई है इस वजह पिलते नहीं ll
१८-९-२०२३
बैच दो सारी परेशानियों जिंदगी ने करवट बदली हैं l
पीछे छोड़ जायेंगे निशानियाँ जिंदगी ने करवट बदली हैं ll
सखी वो इश्क़ ही क्या जो सांसे टूटने तलक साथ न दे l
रह जाएगी बस कहानियाँ जिंदगी ने करवट बदली हैं ll
मानो कहना हद से ज्यादा गूजर जाने ने दो मुहब्बत में l
थोड़ा हो जाओ रूमानीयाँ जिंदगी ने करवट बदली हैं ll
अजीब सिरा देखा खुद को खुद की नज़रों में सही होना l
किसे दे रहे हों सफाइयाँ जिंदगी ने करवट बदली हैं ll
सिर्फ़ एक बार इज़हार ए इश्क़ कर दो जाने जाना l
रख दो हथेली पे हथेलियाँ जिंदगी ने करवट बदली हैं ll
१९-९-२०२३
सुकून की वजह बनने की कोशिश करो l
नफरतों के बदले दिलों में प्यार भरो ll
जब तक जिओ तब तक महकते रहो l
फूलों की तरह मुरझाने से ना डरो ll
जियो और लोगों को शांति से जीने दो l
खुद का और दुसरों का चैन ना हरो ll
ना दवा मिलेगी ना ही दुआ मिलेगी l
"मैं" की हवा लेकर जहां में ना फिरो ll
कुछ ना कुछ फर्क़ तो होना ही चाहिए l
ऊँचा मक़ाम पाकर सबसे अलग तरो ll
२०-९-२०२३
ख्वाहिशों के झूमर से जीस्त आजाद कर दो l
सुनो जिंदगी जीने के रास्ते आसान कर दो ll
आज पूरे एतमाम के साथ कहते हैं एतबार है l
बड़ी मुद्दतों के बाद हसी का आगाज कर दो ll
उम्रभर बिना रूके सफ़र करते देखा है जिसने l
उसीने बहुत मुहब्बत से कहा आराम कर दो ll
बड़ी सिद्दत से महसूस किए हैं एक एक पल l
उलझे उलझे हुए लम्हों को आयाम कर दो ll
रोने रुलाने का कारोबार छोड़कर चाहते हैं l
खुशियो से दिल की दुनिया आबाद कर दो ll
२१-९-२०२३
बेज़ुबानों के भी जज्बात होते हैं l
उनके सीने भी दिल धड़कते हैं ll
नज़रंदाज न करना नादां जानके l
हमदर्द मिलते ही वो बहकते है ll
फ़ितरत अलग थलग सी होती l
थोड़ा मिलते बहुत छलकते है ll
लब्जो के इस्तेमाल करना नहीं l
ख़ामोशियों से ज्यादा बहलते है ll
लिहाज़ करते हैं शव्दों का सखी l
तबाह होने के लिये मचलते हैं ll
२२-९-२०२३
आखिरी उम्मीद भी छूट गई है l
ख्वाइशों की मटकी फूट गई है ll
बेइंतिहा नजदीकीयां थी उनकी l
बेहिसाब दूरी से डोर टूट गई है ll
आख़िरी छटा छोड़कर चल दी l
हसीन जिंदगी के रंग लूट गई है ll
आदत समझो या ज़रूरीयात हो l
भरोसे भरे दिलों में खूट गई है ll
अब धुंधली सी हुई जाती है नज़रें l
यादों से रोशनी फिर कूट गई है ll
२३-९-२०२३
साथ अहम है l
याद अहम है ll
कहने को बाकी l
बात अहम है ll
दिल मिलने की l
रात अहम है ll
प्यासी सुराही l
जाम अहम है ll
महफ़िलों में l
राग अहम है ll
महसूस हुआ l
नाम अहम है ll
सभलने के लिए l
शाम अहम है ll
ख्वाईहिशों की l
जान अहम है ll
बृन्दाबन मे तो l
रास अहम है ll
आगाज करो l
तान अहम है ll
परिंदों से कहो l
पान अहम है ll
बेहोशी को बोल l
भान अहम है ll
लिहाज रखना l
दान अहम है ll
पिंजरे के भीतर l
हाम अहम है ll
खामोश ही रहो l
कान अहम है ll
किसीके हो लो l
लाभ अहम है ll
२४-९-२०२३
दिल की बात लब्जों के साथ कहनी चाहिए l
जबरदस्त असरदार तरीके से रखनी चाहिए ll
पेट में न रखना छुपाकर वर्ना बड़ा हो जाएगा l
आँखों से ज्यादा जुबान से करनी चाहिए ll
एक दूसरे को समझकर हाथों में हाथ लेकर l
मुलाकात के दौरान हाँ में हामी भरनी चाहिए ll
खुद ही लिखनी चाहिए अपनी प्रेम कहानी को l
बहुत देर तक प्यार की दास्ताँ चलनी चाहिए ll
जहां में बार बार कहाँ आना जाना होता है तो l
जीवन के साथ साथ जिंदगी पलनी चाहिए ll
२५-९-२०२३
सुहानी मुलाकात का बहाना चाहिये l
मनभावन लम्हों को चुराना चाहिये ll
जुल्फ खुल के बिखर जाने दो जानेजा l
और मौसम का लुत्फ उठाना चाहिये ll
तेरे साथ कटी थी वैसे ही काटने को l
रसीला नशीला जाम पुराना चाहिये ll
जिंदगी की परेशानीओ से वक्त मिले तो l
दिल बहलाने गाना सुनाना चाहिये ll
रात की तक़दीर सँवर ने के लिए l
चाँद सा चहरा भी दिखाना चाहिये ll
२६-९-२०२३
दिल तेरे नाम कर दिया l
जान में नशा भर दिया ll
हाथ आगे बढ़ाकर तूने l
होशों हवास हर दिया ll
याद ताउम्र के लिए रहोगे l
हाथों में हाथ गर दिया ll
अक्लमंद माहिर लोगों ने l
मना किया दिल मगर दिया ll
कहीके भी ना रहेगे हम l
मुहब्बत ने असर दिया ll
२७-९-२०२३
ज़माने भर की खुशियाँ तेरे नाम कर दूँ l
जिस राह से तू गुज़रे सितारों से भर दूँ ll
बहतरीन नशीली रसीली मुहब्बत के l
स्वागत में सारे घर को गुलाबों से भर दूँ ll
पल दो पल के सुकून से भरे मिलन को l
मनमोहक आह्लादायक नजारों से भर दूँ ll
सखी ज़माना भी रश्क करेगा आशिकी का l
आचलो में खुशीयों को निगाहों से भर दूँ ll
बेगानगी कहो या दिवानगी कहो आज l
जहां की फ़िज़ाओं को बहारों से भर दूँ ll
२८-९-२०२३
जरा सा पड़ोसन को देख लिया l
घर में बीबी ने उद्धम मचा दिया ll
ज़माने से छिपते छिपाते दौनों ने l
आंखों आंखों में इशारा किया ll
झटपट छलकती अदाओ को लुटा l
उस लम्हे में ज़िन्दगी को जिया ll
बहुत महंगी पड़ी ताकझाँक मगर l
दिल को चैन औ सुकून से सिया ll
सुनो फ़िर न देखेंगे उधर कभी भी l
आज बीबी से झूठा वादा है किया ll
२८-९-२०२३
कहते हैं दुआओं में याद रखना l
सुबह की शुआओं में याद रखना ll
वक्त लगेगा काबिलियत पाने में पर l
जो भी हो सदाओं में याद रखना ll
खुद के साथ खुद सफ़र कर रहे हैं l
जीने की अदाओं में याद रखना ll
खामोश अह्सास बाकी रह गया l
प्यार की पनाहों में याद रखना ll
जिंदा दिखते क्यूंकि दिखाते हैं l
दिल की पुकारों में याद रखना ll
शुआओं-किरणों
२९-९-२०२३
उम्मीदों की खिड़की खुली रखना l
फिरदौस का भरम बनाये रखना ll
प्यार से दिल के गुलशन को सखी l
सभलकर नाजुकी से सजाये रखना ll
लब्ज आँखों से छलकते है देखो आज l
कोशिस करके मन को मनाये रखना ll
चाहता हूँ बिन बुलाए आ जाए जल्दी से l
आधी रात महफिल को जमाये रखना ll
प्रेम को तरसते रुदय इंतजार करते हैं l
बहाने से ही ख्वाबों में बुलाये रखना ll
३०-९-२०३३