Wo Maya he - 59 in Hindi Adventure Stories by Ashish Kumar Trivedi books and stories PDF | वो माया है.... - 59

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वो माया है.... - 59



(59)

मनीषा कुछ समय पहले ही ऑफिस से लौटकर आई थीं। चेंज करके वह अपने लिए चाय बना रही थीं। उनके फोन की घंटी बजी। उन्होंने देखा तो स्क्रीन पर रिपोर्टर लिखकर आ रहा था। अदीबा का नंबर उन्होंने इसी नाम से सेव किया था। उन्होंने फोन को साइलेंट कर दिया। दो दिनों में उसकी तीसरी कॉल थी जो उन्होंने नहीं उठाई थी। वह चाय बनाने लगीं।

अदीबा अपने ऑफिस में थी। अखलाक ने उससे कहा था कि किसी भी तरह से दिशा से संपर्क करे और कुछ नया अपने पाठकों के सामने लाए। उसने भी कह दिया था कि वह पाठकों के लिए कुछ नया लेकर आएगी। पिछले दो दिनों से वह मनीषा को फोन कर रही थी पर वह उठा नहीं रही थीं। वह परेशान सी बैठी थी तभी मंजुला उसके पास आकर बैठ गई। उसने कहा,
"यार बहुत थक गई....."
उसने अपना बैग टेबल पर रखते हुए कहा,
"सर ने आसपास के सारे सरकारी स्कूलों पर एक रिपोर्ट तैयार करने के लिए कहा है। इधर से उधर चक्कर लगाते मैं तो ऊब गई।"
उसने दोनों हाथ ऊपर उठाकर अंगड़ाई ली। अदीबा से बोली,
"चाय पीने का मन कर रहा है। मंगा रही हूँ। तुम भी पिओगी।"
अदीबा ने धीरे से कहा,
"मंगा लो....…"
मंजुला ने उसे ध्यान से देखा फिर बोली,
"तुम इतनी बुझी हुई क्यों हो ? अखलाक सर ने फिर कुछ कहा है क्या ?"
अदीबा ने उसे सारी बात बताई। सब सुनकर मंजुला ने कहा,
"दिशा की मम्मी को लग रहा होगा कि तुम उनकी बेटी की ज़िंदगी से जुड़ी बातों को गलत तरह से पेश करोगी। उन्हें समझाओ कि तुम ऐसा नहीं चाहती हो।"
"इससे काम बनेगा ?"
अदीबा ने संशय से पूछा। मंजुला बोली,
"तुम उन्हें यकीन दिलाओ वह मान जाएंगी।"
यह कहकर मंजुला ने ऑफिस ब्वॉय को बुलाकर दो चाय लाने के लिए कहा। उसके बाद वॉशरूम चली गई। अदीबा उसके सुझाव पर गौर कर रही थी। उसे लग रहा था कि मंजुला गलत नहीं कह रही है। उसे मनीषा को अपने ऊपर यकीन दिलाना होगा।

मनीषा सोफे पर बैठकर चाय पी रही थीं। चाय पीते हुए वह अदीबा के बारे में सोच रही थीं। उनके मन में आ रहा था कि यह लड़की भी एक नंबर की ज़िद्दी है। उन्होंने पिछली बार साफ साफ मना कर दिया था। इधर उसका फोन उठा भी नहीं रही थीं। फिर भी वह उन्हें फोन कर रही थी। यह बात उन्हें अच्छी नहीं लगी। उन्होंने सोचा कि उसका नंबर ब्लैकलिस्ट कर देती हैं। उन्होंने फोन उठाया तभी अदीबा के नंबर से मैसेज आया। वह मैसेज पढ़ने लगीं।
'हैलो मैम.... आपने फोन करने को मना किया था। दो दिन से मेरी कॉल उठा भी नहीं रही हैं। लेकिन मेरे लिए दिशा से बात करना ज़रूरी है। मैं कोई सनसनी फैलाना नहीं चाहती हूँ। सिर्फ दिशा का दृष्टिकोंण लोगों के सामने लाना चाहती हूँ। आप मुझ पर भरोसा करिए। प्लीज़ उसका नंबर दे दीजिए या मुझसे बात कर लीजिए।'
मैसेज पढ़ने के बाद मनीषा ने फोन रख दिया। उन्होंने अदीबा के फोन के बारे में शांतनु को बताया था। शांतनु ने कहा था कि अदीबा को दिशा का नंबर देने में कोई हर्ज़ नहीं है। दिशा एक समझदार लड़की है। अदीबा को अच्छी तरह हैंडल कर सकती है। शांतनु ने यह भी कहा था कि हो सकता है किसी को अपना दुख बताकर वह कुछ हल्का महसूस करे। मनीषा को यह बात ठीक लगी थी। उन्होंने दिशा को भी अदीबा के फोन के बारे में बताया था। उसने भी कहा था कि उसे कोई समस्या नहीं है। अबकी बार फोन आए तो नंबर दे दें। लेकिन उन्हें डर था कि अदीबा दिशा से मिली जानकारी को अपने हिसाब से गलत रूप देकर ना पेश करे।
मनीषा का मन आश्वस्त नहीं था। इसलिए फोन आने पर उन्होंने जवाब नहीं दिया था। अदीबा का मैसेज पढ़कर उन्हें लगा था कि जैसा वह कह रही है वैसा ही करेगी। फिर भी वह अपनी तसल्ली करना चाहती थीं। उन्होंने फोन उठाकर कॉल लगाई।

मैसेज भेजने के बाद अदीबा उसके जवाब का इंतज़ार कर रही थी। मंजुला कह रही थी कि उसे पूरा यकीन है कि जवाब आएगा। अपनी चाय उठाकर अदीबा ने एक सिप लिया ही था कि तभी उसका फोन बजा। उसने स्क्रीन पर देखा तो मनीषा लिखा था। कप रखकर उसने फौरन फोन उठाया। मनीषा ने उससे अपने मन की बात कही। अदीबा ने कहा कि वह भी एक लड़की है‌। इस लिहाज़ से वह दिशा की भावनाओं को समझ सकती है। इसलिए वह कुछ भी ऐसा नहीं लिखेगी जो दिशा को चोट पहुँचाए। कुछ देर तक मनीषा अपनी तरह से उससे वही कहती रहीं कि कुछ भी ऐसा ना हो जो दिशा को दुख दे। अदीबा भी उन्हें अपने हिसाब से तसल्ली देती रही कि ऐसा नहीं होगा। अंततः वह मनीषा को समझाने में सफल रही। मनीषा ने उसे दिशा का नंबर मैसेज कर दिया।

कौशल और विशाल की गिरफ्तारी की खबर शाहखुर्द‌ पुलिस स्टेशन पहुँची। साइमन ने इंस्पेक्टर हरीश को इस सफलता के लिए बधाई देकर कहा कि वह कुछ ही समय में वहाँ के लिए निकल रहा है। उसके आने के बाद कौशल और विशाल से पूछताछ होगी। तब तक दोनों को अलग अलग रखा जाए। सब इंस्पेक्टर कमाल को आवश्यक निर्देश देने के बाद साइमन भवानीगंज पुलिस स्टेशन के लिए निकल गया था।
अदीबा ने कांस्टेबल शिवचरन से कहा था कि पुष्कर और चेतन की हत्या के केस में कुछ भी नया हो तो उसे सूचित कर दिया करे। शिवचरन ने पहले क्राइम ब्रांच द्वारा केस के लिए विशेष जांच अधिकारी साइमन मरांडी को भेजे जाने की बात बताई थी। अब कौशल और विशाल की गिरफ्तारी की बड़ी खबर थी। यह खबर अभी तक कुछ ही लोगों को पता थी। वह ऐसे ही अदीबा को नहीं देना चाहता था। उसने अदीबा को फोन करके कहा कि बहुत महत्वपूर्ण खबर है। पर वह इतनी महत्वपूर्ण खबर ऐसे ही नहीं देगा। उसे पैसे चाहिए। अगर वह तैयार हो तो पुलिस स्टेशन के पास वाली चाय की दुकान पर आकर मिले। आने से पहले उसे खबर कर दे।

शिवचरन का फोन आया तब अदीबा अखलाक के केबिन में थी। वह उसे दिशा का नंबर मिल जाने की खबर देने गई थी। शिवचरन से हुई बात के बारे में उसने अखलाक को बताया। अखलाक ने कुछ सोचकर कहा,
"तुम्हें क्या लग रहा है अदीबा....उस कांस्टेबल के पास सच में कोई खबर होगी या फिर सिर्फ पैसे ऐंठने ने के लिए बुला रहा है।"
"सर..... उसने ही साइमन मरांडी के बारे में बताया था।"
"वह खबर तो दूसरे अखबारों‌ ने भी छापी थी। उसमें कुछ नया नहीं था।"
अखलाक का यह तर्क ठीक था। कुछ सोचने के बाद अदीबा ने कहा,
"सर गारंटी तो नहीं ले सकती हूँ। पर मुझे ऐसा नहीं लगता है कि वह सिर्फ पैसे ऐंठने के लिए कोई गलत खबर देगा। बाकी आप तय कर लीजिए। पैसे आपको देने हैं। आप कहेंगे तो मैं जाकर खबर ले आऊँगी।"
अदीबा ने यह कहकर बॉल अखलाक की तरफ डाल दी थी। अखलाक सोचने लगा। एक तरफ उसे लग रहा था कि खबर काम की हुई तो जो पाठक उससे दूर जा रहे हैं वापस आ जाएंगे। लेकिन पैसे देकर भी काम की खबर ना हुई तो उसका नुकसान होगा। कुछ सोचकर उसने कहा,
"कुछ अंदाज़ा है कि कितने पैसे मांगेगा ?"
"सर मोलभाव मैं कर लूँगी। फिर भी सर दो हज़ार से कम क्या लेगा।"
अखलाक ने एकबार फिर सोचा। उसके बाद अपनी जेब से पैसे निकाल कर अदीबा को दे दिए। उसने कहा,
"कोशिश करना कि कम में मान जाए।"
अदीबा ने मुस्कुरा कर कहा,
"इससे पहले भी इसी तरह डील करके अखबार के लिए काम की खबरें लाई हूँ। मैंने सोचकर ही बताया है। आप अब यह सोचिए कि इस नई खबर से अखबार को कितना फायदा होगा।"
अखलाक भी मुस्कुरा दिया। अदीबा ने शिवचरन को कॉल की। उसके बाद ऑफिस से निकल गई।

अदीबा चाय की दुकान पर पहुँची। उसने जो तय हुआ था उसके हिसाब से शिवचरन को मिस कॉल दी। उसके कुछ ही देर बाद शिवचरन चाय की दुकान पर आ गया। अदीबा ने बिना समय गंवाए उससे कहा,
"शिवचरन पैसे मिल जाएंगे पर याद रखना कि खबर पक्की और काम की होनी चाहिए।"
शिवचरन ने इधर उधर देखते हुए कहा,
"खबर सौ फीसद पक्की और बहुत काम की है। सिर्फ सब इंस्पेक्टर कमाल और साइमन मरांडी को पता है। हमें तो किस्मत से मिल गई।"
"मतलब ?"
"हम इत्तेफाक से साइमन साहब के केबिन के दरवाज़े पर पहुँचे थे जब वह सब इंस्पेक्टर कमाल को यह बता रहे थे। दरवाज़े से सटकर हमने सुन ली। फिर चुपचाप वहाँ से निकल गए। लेकिन खबर ऐसी है कि आपके अखबार को बहुत फायदा होगा। इसलिए कुछ फायदा तो हमारा भी होना चाहिए।"
"ठीक है तुम खबर बता दो। फायदा होने पर हम तुम्हें भी हिस्सा देंगे।"
शिवचरन ने हंसकर कहा,
"आप तो मज़ाक कर रही हैं। पर हम सीरियस हैं।"
"मैं भी मज़ाक करने नहीं आई हूँ। तुम बताओ कि क्या चाहिए ?"
अदीबा ने उसे अपनी मांग बताने को कहा। शिवचरन ने कुछ सोचकर अपनी रकम मांगी। अदीबा ने मोलभाव करके उस रकम के लिए तैयार कर लिया जो वह लेकर आई थी। शिवचरन ने उसे बताया कि पुलिस को जिस तस्वीर वाले आदमी की तलाश थी वह पकड़ा गया। उसका नाम कौशल है। पुष्कर के बड़े भाई विशाल को भी इसी सिलसिले में पकड़ा गया है। साइमन मरांडी उनसे पूछताछ करने भवानीगंज गया है।
खबर सुनकर अदीबा सोच रही थी कि यह बात सामने आएगी तो उसके अखबार की मांग बढ़ जाएगी।