अध्याय 4
[अंधेरा होने लगा है विद्युत फोरेस्ट पहुँचता है उसने गाङी रोकी और जल्दी से अंदर चला गया]
विद्युत- ना जाने कहाँ होगा जंगल भी बहुत बङा है ढूंढना मुश्किल होगा
[अचानक उसे एक आदमी की आवाज सुनाई देती है]
विद्युत- कौन है वहाँ पर?
[वह देखता है कि एक आदमी बहुत जख्मी है और उठ नहीं पा रहा]
विद्युत- ये जरूर फोरेस्ट गार्ड है वैसे मदद करना मेरा स्टाइल नहीं है फिर भी..... चल उठ नौटंकी मत कर
गार्ड- वो एक शैतान है..... वो एक शैतान है..... उस तरफ
[विद्युत उसे फर्स्ट एड देता है और उसकी बताई दिशा में जाता है]
[जैसे ही विद्युत आगे जाता है वह देखता है अरविन्द बेसुध पङा है और अनु.... ]
विद्युत- ओ माई गॉड!!! इसने एक इंसान को खा लिया
[वह अरविन्द को भी मारने के लिए आगे बढता है लेकिन विद्युत भाग कर उसे कशकर पकङ लेता है]
विद्युत- (रोते हुए) रुक जाओ! तुमने ये क्या कर डाला
शैतान- मुझे माफ कर दो लेकिन मुझसे अब और सब्र नहीं होता
[विद्युत उसे एक इंजेक्शन लगा देता है]
विद्युत- कोई बात नहीं जो हो गया सो हो गया तुम फिक्र मत करो बस सो जाओ...
[शैतान शांत होकर सो जाता है]
विद्युत- ये सब क्या हो गया मैंने देरी कर दी मैं इस लङकी को नहीं बचा पाया, लेकिन शुक्र है ये लङका ठीक है
[तभी पीछे से रितु दौङती हुई आती है और एक डंडे से विद्युत के सिर पर दे मारती है!!!! ]
विद्युत- (चिल्लाते हुए) तु पागल है क्या लङकी!!!! तेरे सिर में भूसा भरा है क्या !!
[रितु अरविन्द को जगाने की कोशिश करने लगती है]
विद्युत- वो तो अच्छा है मेरा सिर लोहे से भी मजबूत है....
रितु- (फूट फूट कर रोते हुए) शट अप! ये अनु को क्या हो गया और अरविन्द क्यों नहीं उठ रहा ये हैवान कौन है मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है
विद्युत- फिलहाल के लिए तो ये समझ लो हमें जल्दी से मेरी लेब जाना होगा मैं एक रिसर्चर हूँ जल्दी करो उस लङके को उठाओ और गाङी तक ले जाओ
रितु- मैं??
विद्युत- हां तुम या फिर सेकंडरी ओपशन भी है (शैतान की तरफ इशारा करते हुए)
रितु- लेकिन अनु का क्या!!
विद्युत- उसे अभी के लिए गार्ड पर छोड़ दो
[विद्युत शैतान को कंधे पर लाद कर चलने लगता है रितु भी जैसे तैसे अरविन्द को लाती है वह दोनों जंगल से बाहर आते हैं]
लारा- (गुस्से में) तुमने मेरा वेट नहीं किया!!!! और वो मोटा लङका वहाँ उस गाङी में बेहोश क्यूँ पङा है
रितु- वो ना तो अकेला रह रहा था और ना ही साथ चल रहा था तो मैंने डंडा मारकर बेहोश कर दिया
लारा- वोव!!! ये तो मेरा स्टाइल है
विद्युत- चलो सब गाङी में बैठो
लारा- नो थैंक्स मैं बाइक ले कर आई हूँ
विद्युत- उधार मांगकर
रितु- (जोर से चिल्लाते हुए) अब चलो भी
[विद्युत गाङी चालु करता है लेकिन.... ]
विद्युत- वो...... गाङी का.... फ्यूल खत्म हो गया है
लारा और रितु साथ में- किसी काम के नहीं हो तुम!!!
[वे दोनों जाती हैं और दूसरी वाली गाङी में रखा हुआ एक्सट्रा फ्यूल लेकर आती हैं बाद में वे लेब की ओर निकल पङते हैं]
[रास्ते में]
रितु- तुम इस शैतान को कैसे जानते हो?
विद्युत- उसे शैतान मत कहो वो भी एक इंसान ही है
रितु- तुम कहना क्या चाहते हो?
विद्युत- ये मेरा बेटा है (एडोप्टेड)
रितु- क्या!!
विद्युत- तुमने कभी "शैतान के दांत" के बारे में सुना है?
रितु- बस कहानियों में सुना है लेकिन उसे तो गवर्नमेंट ने नष्ट कर दिया था
विद्युत- वो बस एक झूठ है असली दांत यहाँ है हमारे साथ इस बच्चे के अंदर
रितु- मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है मैं तो बस इतना जानती हूँ कि यही वो शैतान है जिसने अनु को मारा है
लारा- बस इतना समझ लो कि 20 साल पहले जो दुनिया सहन कर रही थी अब वो सारा दर्द ये अकेला झेल रहा है, इसका पुरा शरीर सङ चुका है जो इसे हर पल तङपा रहा है हर पल जान निकाल देने वाली भूख इसे खाये जा रही है , इसने पिछले 20 सालों में कुछ भी नहीं खाया था इसने विद्युत की बनाई दवाई से खुद पर काबू कर रखा था
विद्युत- जिस दिन मुझे ये मिला था मैंने कसम खाई थी कि मैं इसे ठीक करके रहुंगा चाहे मुझे कुछ भी करना पङे !!!
अध्याय 4
समाप्त