कॉलेज का पहला प्यार
यह कहानी तबकी है जब मोबाइल हर किसी के पास मुमकिं नही था
वह कॉलेज का पहला दिन, न मोबाइल और न मोबाइल का कैमरा, की उसकी एक झलक को कैद कर लूं, वसई स्टेशन पर उतरा ही था और महीना अगस्त का, बारिश थमने का नाम नही ले रही
मैं एक छावनी की आड़ में बाकी लोगो के साथ अपने पहले दिन के कॉलेज में पहने हुए नए कपड़े को बारिशो के बूंदों और बौछारों से बचा रहा था, वो भी मेरे सामने खड़ी थी, एक तरफा प्यार बिल्कुल नही था, मेरे अलावा कुछ और छिछोरे उसे ही घूर रहे थे, मन किया कि उन्न सभी को एक खिंच कर एक थपड़ लगा दूं, कितनी बुरी नज़र से उस सुंदर लड़की को, जिसके नाक नक्श लाजवाब थे, ऐसा लग रहा था कि कोई अप्सरा धरती पर उतर आई हो, बस टक टकी लगाकर घूरे जा रहे थे।
बारिश थमी तोह उसके पीछे पीछे हो लिया, वो छिछोरे भी मेरे पीछे हो लिए, मतलब हम सब उस लड़की को फॉलो करने लगे
चलते चलते, मेरी जूते का फीता, जूते में फस रहा था, सो मैं झुका फीते को भाँधने के बजाय उसे जूते में घुसा दिया और जब सामने देखा तो मेरा प्यार मतलब की वो लड़की गायब, और तो और वो छिछोरे लड़के भी गायब हो गए।
सच बता रहा हु, मुझे कॉलेज का पहला दिन जरा सा भी याद नही है, याद है तो बस उस लड़की के नयन नक्श ।
कई दिनों तक मैं स्टेशन जल्दी पहुँचता पर वो लड़की उसदिन के बाद दिखाई न दी
फिर एक दिन, वो लड़की नही बल्कि वो छिछोरों में से एक लड़का दिखाई दिया, कुछ खुश फुसा रहा थे, कह रहा था" कहा मिली, अच्छा अच्छा आ रहा हु"
मेरे अंदर के लव ऐट फर्स्ट साइट लवर ने हिंट दिया कि उसका पीछा किया जाए।
मैं सही साबित हुआ, पीछा करते करते वो मुझे दुकान ले पहुँचा और वहां दिखी मेरे दिल की धड़कन बढ़ाने वाली, मेरी प्रियतम
वो लड़का उन्न छिछोरों के साथ जा खड़ा हुआ पर में उसके आगे दूसरे कोने से अपनी प्रियतम को देखने के लिए खुदको सेट कर रहा था कि अचानक उस लड़की की तरफ ध्यान गया क्योंकि कुछ तो अलग किया
उसने अपने दोनों हाथ बजाकर जो अपना मूंह खोला "हाय चिकने राजू , निकाल आज की बोनी तेरे से कर रही हूँ"
वो दृश्य देख और सुन, मेरे पैरो के नीचे से ज़मीन खिसक गयी, मेरे पीछे मुड़ने से पहले ही वो छिछोरे मौका देखते ही भाग निकले।
मैं वहां सिर्फ यह देखने के लिए रुका रहा कि मुझसे इतनी बड़ी गलती हुई कैसे, नारी और अर्धनारी को समझने में इतनी बड़ी भूल हुई कैसे।
मुझे यकीन नही हो रहा था, आंखें कुछ और कह रही थी और दिल यकीन करने को तैयार न था।
वो दूसरे दुकान में गयी और वहां भी मर्दाना आवाज़ में "चिकने, तू तो मेरा शाहरुख है"
तब ऊपर भगवान को देखकर , मेरी अंतरात्मा ने उनसे सवाल पूछा, "भगवन हिंट देने में इतनी देरी क्यों कर दी"