Ek thi Nachaniya - 12 in Hindi Women Focused by Saroj Verma books and stories PDF | एक थी नचनिया--भाग(१२)

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एक थी नचनिया--भाग(१२)

माधुरी भीतर चली गई तो शुभांकर भी वापस अपने घर लौट गया,उधर माधुरी होटल पहुँची तो सब उसके अगल बगल डेरा डालकर बैठ गए कि शुभांकर के घर में क्या क्या हुआ? सबसे पहले तो माल्ती ने पूछा....
"माधुरी बिन्नो!कछु बात आगें बढ़ी"
"हाँ!भाभी! ऐसा लगता है कि शुभांकर पर मेरा जादू चल गया है,",माधुरी बोलीं...
"शाबास!माधुरी! मैं जानता था कि तुम ये काम कर लोगी,",रामखिलावन बोला...
" और वो दिखा तुम्हें",माल्ती ने अपनी आँखें बड़ी करके पूछा...
"कौन? वो जुझार सिंह",माधुरी बोली...
"हाँ! वही पापी",मालती भाभी बोली...
"हाँ! भाभी !वो भी दिखा था,पहले मैं उसे देखकर गुस्से में गई लेकिन फिर मैनें खुद को सम्भाला",माधुरी बोली...
"तो उसने तुझे देखकर कुछ कहा नहीं",माल्ती ने पूछा...
"कहा ना! शुभांकर से कड़कती आवाज़ में पूछा कि ये कौन हैं",?,माधुरी बोली...
"फिर क्या हुआ"?,मालती ने आश्चर्य से पूछा...
"फिर क्या होना था,यामिनी ने झूठ बोल दिया कि ये मेरी सहेली है मेरे साथ कत्थक सीखती है,कल मेरी मोटर इसके घर के पास खराब हो गई थी तो ठीक करवाकर लौटाने आई है",माधुरी बोली...
"और उसने मान लिया",मालती ने पूछा...
"मानता नहीं तो और क्या करता? दोनों बहन भाई ने झूठ बोलकर मुझे बचा लिया",माधुरी बोली...
"उस पापी को तो ऐसी सजा मिलनी चाहिए कि मरते बखत पानी भी ना माँग पाएं",रामखिलावन बोला...
"ऐसा ही होगा भइया! मैं उससे बदला लेकर रहूँगीं,एक बार उसका बेटा मेरे जाल में फँस जाए तो फिर देखना मैं उसे कैसें लट्टू की तरह नचाती हूँ",माधुरी बोली...
"लेकिन ये इतना आसान नहीं है जितना कि तुम समझती हो,जुझार सिंह बड़ी टेढ़ी खीर है",रामखिलावन बोला...
"टेढ़ी खीर को कैसें सीधी करनी है ये मैं बखूबी जानती हूँ",माधुरी बोली....
"अच्छा! ये सब छोड़ो,एक बुरी खबर है",रामखिलावन बोला...
"ऐसी कौन सी बुरी खबर है कस्तूरी जीजी तो ठीक है ना!",माधुरी ने पूछा...
"हाँ!कस्तूरी तो अब ठीक हो रही है,मोरमुकुट बाबू उसका ठीक से इलाज कर रहे हैं,लेकिन श्यामा जीजी को पुलिस ने चम्बल की घाटियों से गिरफ्तार कर लिया,कहते हैं कि उन पर केस चलेगा और जाने कित्ती सजा मुकर्रर होगी उनके लिए ये तो ऊपरवाला ही जाने",रामखिलावन बोला...
"ये तो बहुत बुरी खबर सुनाई भइया तुमने",माधुरी बोली...
"हाँ! मुझे भी ये खबर सुनकर अच्छा नहीं लगा",रामखिलावन बोला...
"तो क्या अब हम सब श्यामा जीजी से मिलने जेल नहीं जा सकते "?,माधुरी ने पूछा...
"क्यों नहीं जा सकते,उनसे मिलने तो जाना ही पड़ेगा,उन्होंने कितना कुछ किया है हमारे लिए,लेकिन इधर उस शुभांकर को भी तो अपनी मुट्ठी में लेना है"रामखिलावन बोला...
"तो क्यों ना हम ऐसी कोई चाल चलें जिससे जुझार सिंह फिर से अपने परिवार सहित अपने पुराने गाँव लौट आएं,तब हमारा काम भी आसान हो जाएगा,हम लोग भी कब तक ऐसे ही कलकत्ता में पड़े रहेगें", माधुरी बोली...
"तेरी बात भी सही है माधुरी! हमें अपने गाँव तरफ तो लौटना ही होगा,तभी हम इस काम को अन्जाम दे सकते हैं और जुझार सिंह को उसी मिट्टी में तड़पा तड़पाकर बदला लेगें",रामखिलावन बोला....
"उसके लिए तो हम लोंग कुछ ना कुछ तिकड़म लगा ही लेगें और जुझार सिंह को अपने गाँव लौटना ही पड़ेगा,लेकिन पहले ये बताओ कि श्यामा जीजी डकैत कैसें बनी ?वो काहें चम्बल के बीहड़ो में बन्दूक लेकर बागी बनके घूमने लगी"? माधुरी ने रामखिलावन से पूछा...
"वो तो बहुत लम्बी कहानी है माधुरी"!,रामखिललिवन बोला...
"तो फिर सुनाओ वो कहानी",माधुरी बोली...
"तो फिर सुनो कि श्यामा जीजी डाकू काहें बनी,उसने हाथ में बन्दूक उठाकर काहें चम्बल का बीहड़ चुना" और रामखिलावन ने श्यामा की कहानी सुनानी शुरू की....
ये दिनों की बात है जब श्यामा सोलह साल की लड़की थी,उसकी खूबसूरती की चर्चा पूरे गाँव में थीं और एक बार वो सावन का मेला देखने नदिया किनारे गई तो उसे एक लड़के सुन्दर लाल ने पसंद कर लिया और फिर सुन्दर लाल ने उस लड़की के बारें में पता लगाया कि वो किस गाँव की है,पता करने पर लड़की और गाँव दोनों का नाम पता चल गया और वो लड़की उसके बिरादरी की भी निकली,फिर सुन्दर लाल ने श्यामा के घर रिश्ते के लिए अपने दादा और पिताजी को भेजा,श्यामा के पिता को जब ये पता चला कि लड़के वाले खाते पीते घर के है और उनके पास मनमानी जमीन है तो उन्होंने ये रिश्ता मंजूर कर लिया,लेकिन श्यामा इस रिश्ते के लिए कतई राजी ना थी,वो तो एक बार लड़के को देखना चाहती थी और ये बात उस समय बिल्कुल असम्भव थी क्योंकि उस समय लड़के लड़की की मुलाकात नहीं होती थी शादियाँ बुजुर्ग ही तय करते थे....
श्यामा के बाप ने श्यामा को बहुत समझाया लेकिन श्यामा ने शादी के लिए हाँ ना भरी,उसने तो जिद पकड़ ली कि लड़का देखकर ही शादी के लिए हामी भरेगी,श्यामा थी भी बहुत हिम्मत वाली किसी से ना डरती थी और शरीर की भी भरी पूरी थी एकदम झपाट,काम से तो कभी भी जी ना चुराती थी,अकेले ना जाने कितने अनाज बोरे उठाकर वो बैलगाड़ी में लादती थी,एक बार तो बैल मर गए तो खेतों में बाप से अकेले हल ना जोता जा रहा था इसलिए उसने अकेले के दम पर हल से पूरा खेत जोत डाला,बाप बिटिया की तारीफ़ करते ना अघाता था कि भगवान ऐसी बिटिया सबको दे,परिवार में माँ बाप और अकेली सन्तान श्यामा थी,इसलिए कोई झिकझिक ना थी,रोज का कमाना और रोज का खाना था......
श्यामा का बाप कहते कहते थक गया लेकिन श्यामा ने शादी के लिए हामी नहीं भरी और वो अपने पिता से बोली....
"दद्दा! हम जब तक लरका ना देख लेगें तब तक ब्याह ना करेगें"(बुन्देलखण्डी भाषा)"(पिताजी-हम जब तक लड़का ना लेगें तो शादी नहीं करेगें)
"बिटिया! हमारे समाज में ऐसो नहीं होत,चार लोग का केहे कि कैसी बिटिया है,तनकऊ लाज शरम नईया-- (हमारे समाज में ऐसा नहीं होता,चार लोंग क्या कहेगें कि कैसीं बिटिया है बिल्कुल लाज शरम नहीं है)- श्यामा के पिताजी बोलें...
"हम कछु नहीं जानत दद्दा! हमने केह दई सो कह दई",(हम कुछ नहीं जानते जो हमने कह दिया सो कह दिया), श्यामा बोली...
"काहें का समाज में हमाई नाक कटवाबें तुली है बिटिया! घर अच्छो है लरका अच्छो है,कर ले ना ब्याह", (क्यों समाज में मेरी नाक कटवाने पर तुली है,घर अच्छा है लड़का अच्छा है,कर ले शादी), श्यामा के पिता जी बोले....
लेकिन बहुत समझाने पर भी श्यामा ने उनकी एक ना सुनी और उसे पता चला कि आजकल लड़का अपने खेतों में ही सो रहा है उनकी रखवाली के लिए,उसकी सहेली के भाई ने उसे ये सब कुछ पता करके बताया और वो उस रात अकेली उस गाँव उस लड़के से मिलने लालटेन लेकर चल पड़ी...
माँ बाप ने बहुत समझाया लेकिन वो ना मानी,माँ बाप ने उसके साथ चलने को भी कहा लेकिन वो उनसे बोलीं....
"काए! जब हमाव ब्याह ऊके संगे हो जेहे तो तुम दोनों ऐसई हमारे संगे लगे रेहो का,तब तो सबकुछु हमें अकेले सम्भारने पड़ है,सो जो काम हम आजई से शुरु कर देत हैं"( क्यों जब मेरी शादी उसके साथ हो जाएगी तो क्या तुम दोनों तब भी मेरे साथ लगे रहोगे क्या,तब तो सबकुछ मुझे अकेले ही सम्भालना पड़ेगा,इसलिए हम आज से ही ये काम शुरू कर देते हैं)
और उस रात श्यामा ने माँ बाप की एक बात ना सुनी और उस गाँव के रास्ते पर चल पड़ी....

क्रमशः....
सरोज वर्मा....