अध्याय 2
20 साल बीत चुके हैं
धरती एक बार फिर खिल उठी है
दुनिया में जो हाहाकार मचा हुआ था थम गया है
वसई नगर
...... कोलेज
-रुक जा रुक!!! आज तुझे जाने नहीं दुंगा निकाल मेरे पैसे मोटे!!!
-सोरी यार अरविंद, मैंने तो आज पिज़्ज़ा और बर्गर खरीद लिए, कल लौटा दुंगा परोमिस!
-चल कोई ना, लेकिन कम खाया कर वरना चलने लायक भी नहीं रहेगा |
-(गुस्से में) तुम दोनों यहाँ पर हो मैं कब से तुम्हारा वैट कर रही थी पता भी है
-चल ना अनु मैंने तुमसे पहले ही कहा था कि इनके बिना ही चलते हैं
-तुम दोनों चली जाओ मैं और मोटा तो आज फोरेस्ट घूमने जा रहे हैं
-(फुस्फुसाते हुए) रितु चल ना हम भी चलते हैं इनके साथ, घर पर बोर ही होंगे वैसे भी
-हंन्न...... तु अरविंद को पसन्द करती है इसलिए.....
-श्शशशश........ चुप कर
-लेकिन मुझे नहीं जाना
-प्लीज चल ना तू जो बोलेगी मैं करूंगी पक्का परोमिस!
-ओके ओके
-क्या बङ बङ कर रही हो चलना है या नहीं?
-हाँ हाँ चलेंगे बस थोड़ा सा वेट करना हम चेंज करके...
-कोई जल्दी नहीं है शाम को प्लान किया है ब्रेवरी चैलेंज!
-(मन में)वाव!!! लकी मी......
-(धीमी आवाज में) अनु तेरा चांस है.... मिस मत करना
-यप!
सब अपने अपने घर चले जाते हैं
अरविंद अपना सामान पैक कर रहा है वही पर उसे उसके दिवंगत पिता की तस्वीर रखी है | वह एक सिपाही थे उन्हें कई पुरूस्कार भी मिले थे |
गज्जु ने तो अपना बस्ता सनेक्स से ही भर लिया है
अनु तो बेसब्री से शाम का इंतजार कर रही है
रितु को इस सब में कोई दिलचस्पी नहीं है वो तो बस शर्त की वजह से जा रही है आखिर उसे अनु से डांस जो करवाना था |
देखते ही देखते शाम हो चली है
चारो बचपन के मित्र बस स्टेशन पर समय पर पहुँच गये
लेकिन शायद बस उनसे आज कुछ नाराज थी आयी ही नहीं
फिर अनु ने एक छोटी सी गाङी का जुगाड़ किया और निकल पड़ी टोली घूमने " द फोरेस्ट ओफ नार्वे " |
[ गाङी में गाने बज रहे हैं सब साथ साथ गा रहे हैं इसी तरह 5 घंटे का रास्ता तय करने के बाद वह सब पहुँच जाते हैं]
-अरविंद- मुझे तो लगा था ये मिनी वेन रास्ते में ही दम तोड़ देगी,हा! हा! हा!
-गज्जु- हाँ यार अगर ऐसा हो जाता तो.....
-रितु- चुप करो तुम दोनों! मुझे किसी की आवाज सुनाई दी अभी
-अनु- इस सुनसान जंगल में आखिर कौन होगा?
-गज्जु- पक्का कोई भूत होगा मुझे तो यहाँ आना ही नहीं चाहिए था!!!!
-रितु- कोई जंगली जानवर?
-अरविंद- नहीं यहाँ कोई जंगली जानवर नहीं है मैंने रिसर्च किया था
-अनु- और कहाँ से की थी रिसर्च मिस्टर?
-अरविंद- यु ट्यूब
-गज्जु- आ!!! आज तो मैं पक्का मरने वाला हुं
-रितु- देखो वहाँ पर एक और गाङी खङी है लगता है कोई और भी आया है यहाँ
-अरविंद- चलो गाङी से सामान निकाल लो
-ओके.......
सब जंगल के अंदर चले जाते हैं
वहाँ पर सबसे पहले अपना टेंट लगाते हैं और सामान रखते हैं
फिर वह सब, कुछ ग्रुप खेल खेलते हैं और फिर..
-अरविंद- अब टाइम हो चुका है ब्रेवरी चैलेंज का!!!
-रितु- लेकिन उसके लिए तो कहीं दूर स्टिकस लगाते हैं और वो भी दिन में
-अरविंद- हाँ मैंने लगा दी थी आज
-क्या!!!! मतलब तुम यहाँ दूसरी बार आये हो
-गज्जु- (रोते हुए) मुझे नहीं करना ये चैलेंज!!!
-रितु- हाँ क्युं ना डबल वाला करे सेफ भी रहेगा (अनु को इशारे करते हुए)
-अरविंद- डबल मतलब कि स्टिक लेने दो लोग साथ जायेंगे
लेकिन अनु का ध्यान कहीं और था
-अनु- दोस्तों मुझे कुछ ठीक नहीं लग रहा है वापस चलते हैं
-रितु- हन्न्न...... तू ही तो मुझे यहाँ लाई थी अब वापस जाना है
-अरविन्द- ये अजीब सी बदबू कैसी?
-अनु- जैसे कुछ सङ रहा हो
-रितु- देखो वहाँ कोई है!!!
अरविंद रोशनी करता है लेकिन वहाँ कोई नहीं था
-अरविंद- चलो जल्दी निकलो यहाँ से....
सब डर जाते हैं और भागने लगते हैं
-रितु- (दौङते हुए) यहाँ जरुर कोई जानवर है
वह सब जंगल से बाहर निकलने ही वाले थे अचानक
अरविंद- अनु कहाँ है???
रितु- अभी तो हमारे साथ ही थी!!!
गज्जु घबरा गया और कांपने लगा
अरविंद- रितु तुम इसके पास रुको मैं अनु को लेकर आता हुं
रितु- मैं भी चलुंगी!!!
अरविंद- गज्जु को अकेला नहीं छोङ सकते
ये कहते हुए अरविंद वापस जा पहुँचा उसे कोई नहीं दिख रहा था उसने बदबू का पीछा किया वह एक पुरानी गुफा के पास पहुंचा फिर उसने जो देखा उससे उसके रोंगटे खङे हो गए |
काला रंग, लाल-लाल आंखें, सुखी चमङी, कुबङा और सङा हुआ शरीर, मुङी हुई सी टांगें , अत्यंत कुरूप इंसान, प्राणी या फिर शैतान!!!
ये वही बच्चा था!
उसने पीछे मुङ कर अरविंद को देखा
अरविंद के पैर जैसे जम से गये हों उसके दिमाग ने काम करना बंद कर दिया उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था
? - क्....या..... तु.. म... जा.. न.. ते... हो..... कि...
आ...ज... के.... बा..द..... में.... य..हां.... भी... न...हीं....र.. ह...पा.. ऊं... गा..... मु... झ... से... अ.. ब.... औ.. र....
अरविंद- क.. कौन हो तुम!!! (चिल्लाते हुए)
और अनु कहाँ है?!!!
उसने पास ही रखे एक कपड़े को हटाया उसके नीचे अनु बेहोश पड़ी थी
अरविंद-(जोर जोर से चिल्लाते हुए) अनु!!अनु!! उठ जाओ भागो वहाँ से
अनु- [मैं हिल क्यों नहीं पा रही हूँ क्या हुआ है मुझे]
? - अ...अ... तु.. म.. ने... इ.. से.... ज.. गा... दि... या....
अरविंद- मुझे क्या हुआ है मैं एक उंगली तक नहीं हिला पा रहा हूँ
फिर वह अनु को घसीटते हुए अरविंद के सामने लाता है
? -ब.. हु... त... चा... ह... ता... है... ना... तु.... इ...से.....
मैं... म... ह... सू... स.....क...र...... स... क... ता... हूँ...
उसने अनु के हाथ को पकड़ कर कहा
? -का... श... मे..रे..... हा... थ.....भी.. ऐ... से... हो... ते.... कि...त... ना...अ....च्.. छा... हो....ता
उसे गुस्सा आता है और वह अनु के हाथ को एक ही झटके में तोड़ देता है!
[अनु दर्द से चिल्लाती है ]
अरविंद- रुक जा शैतान!!! मैं तुझे जिंदा नहीं छोङुंगा
फिर वह शैतान अरविंद की आंखों के सामने अनु का पेट फाङ देता है और खाने लगता है
अध्याय 2
समाप्त