आगे आपने देखा की कैसे कैलाशपुर मे एक के बाद एक मौते होती रहती है ।
लेकिन किसी को कुछ पता नहीं चलता ।
फिर एक दिन भोलाराम सब -कुछ देख जाता है ।
ओर अपने भाई राजाराम की मौत का बदला लेने की प्रतिज्ञा करता है ।
ओर वो तांत्रिक ओर तांत्रिका ए कोन थी ।
चलीए जानिए मेरे साथ मे हु अभिषेक जोशी ओर ये रही हमारी आज की कहानी
दरअसल ये तांत्रिक रुद्ररेश था ।
जो की रंभा का प्रेमी था ।
ओर तांत्रिका रंभा खुद थी ।
जो प्यार के झांसे देकर नौजवान लड़कों को फसाती थी ओर फिर उसकी बलि देकर अपने गुरु को प्रशन करती थी ।
ओर बाकी सब उसके साथी थे जो गाव के बाहर जंगल मे रहते थे ।
अब भोलराम दिन भर सोते - जागते यही सोचता रहा की उस रंभा ओर उस टोली से कैसे बदला ले ।
गाव मे राजाराम की गुम होने की खबर तेजी से फेलने लगी ।
भोलाराम ओर उसकी पत्नी भी बहुत दुखी थे ।
क्युकी मा - बाप के गुजर जाने के बाद राजाराम को उन्होंने अपने बच्चे की तरह पाला था ।
पर भोलाराम ने किसी से कुछ नहीं कहा ।
यहा तक की अपनी पत्नी को भी कुछ नहीं बताया ।
वो रात रात भर बाहर भटकता रहा ।
ओर अपने जैसे लोगों को इकठे करता रहा ।
जिसका कोई न कोई इस टोली सिकंजे मे आकर बलि चड़ गया हो ।
अब भोलाराम ने अपनी खुद की टोली बनाली थी ।
ओर वो सब भी तंत्र - मंत्र सिख रहे थे ।
कुछ मास पश्चात वो टोली भी तंत्र - मंत्र मे निपूर्ण हो गई ।
अब गाव मे मौतों का आकडा डबल हो गया ।
पर ये खेल कुछ ही दिनों का था ।
वो सब अब मौके की ओर बदले की ताक मे थे ।
आखिरकार वो दिन भी आ गया ।
रंभा ओर रुद्ररेश सादी के बंधन मे बंधने जा रहे थे ।
इस मौके का फायदा उठाकर भोलाराम ओर उनकी टोली ने ।
रंभा की टोली जिनमे तकरीबन १० लोग थे सब पर तंत्र हमला बोल दिया ।
एक के बाद एक शैतान की बलि चड़ते गए ।
ओर इन बलिओ से भोलाराम की टोली ओर भी शक्तिशाली हो गई ।
अब वो रंभा ओर रुद्ररेश से बदला लेने के लिए तैयार थे ।
अब उनका विवाह सम्पनन हो चुका था ।
रंभा अपनी डोली मे बैठकर ससुराल जा रही थी ।
तब भोलाराम की टोली ने उन्हे तंत्र विध्या से मार गिराया ।
पर रंभा को वरदान था की उसे मारने वाला मात्र छह घंटों तक जीवित रहेगा ।
इसलिए अब भोलाराम ने रंभा को मारकर अपनी प्रतिज्ञा पूरी करली ।
अब उसके पास सिर्फ छे घंटे थे ।
उसने गाव वालों को सब हकीकत बतादी ।
फिर अगले ही दिन उसकी मृत्यु हो गई ।
उसी रात फिर से गाव मे मौते होने लगी ।
फिर पता चला की ये सब रंभा ओर उसकी डोली के साथ जो लोग मरे उनकी आत्मा ए कर रही थी ।
क्युकी डोली मे मारी गई रंभा ओर उसकी टोली अब भूत हो चुकी थी ।
वो अब उस रास्ते से गुजरने वाली हर डोली को ओर बाराती को बे -मौत मारते थे ।
इन सबसे तंग आकर गाव के पंडित ने उन सबको बंधी बना लिया ओर श्राप दे दिया की ।
तुम लोग यहा से तब ही बाहर निकलोगे या कोई तुम्हें पुकारेगा या फिर तुम्हारी वस्तु को अपने साथ ले जाएगा ।
आज भी साम के वक्त वहा ऐशा नहीं कहते की मेरे साथ चलो ।
या फिर वहा से कोई वस्तु अपने साथ नहीं लाते ।
पार्थ ने कहा अब क्या होगा पापा ।
ये सुनकर नटवर लाल बोले मौत का तांडव ।
कैसा होगा मौत का तांडव जानने के लिए पढे ।
डोली अरमानों की भाग - ४