कहते है अगर रास्ते मे कोई प्रेत हो ।
तो वहा से निकलते वक्त भूल से भी ये नहीं कहेना चाहिए की चलो या फिर मेरे साथ चलो ।
चाहे आपके सामने आपका कोई चाहीता व्यक्ति ही क्यू ना हो ।
और दुशरी बात उस रास्ते पे पड़ी या फिर मिली किसी वस्तु को घर नहीं ला ना चाहिए ।
क्युकी ऐशा करने से उस प्रेत को ऐशा लगता है की आप उसे अपने साथ आनेका नियोंता दे रहे हो ।
जाने से या अनजाने से कोई फर्क नहीं पड़ता ।
आगे आपने देखा की कैसे सब बाराती एक - एक करके पार्थ मे से साये की तरह गुजर गए ।
ओर उसे वहा पोटली मिली ।
जिसमे सोने के गहेने थे अब आगे ।
सुबह होने वाली थी ।
पार्थ बहोत खुश था । इतना खुश उसके मम्मी - पापा ने उसे पहले कभी नहीं देखा ।
उसका यह रूप देखकर उसके पापा नटवर लाल ने उसे कहा ।
क्या बेटा इतना खुश हो रहे ।
क्या कोई खजाना मिला है ।
तब उसने कहा ऐसा ही समजो पापा ।
इस बात पर शंका जताते हुए ।
उसके पापा ने उसे सारी बात बताने को कहा ।
पार्थ ने कल रात जो भी घटित हुआ था वो सारी बात कही ।
ये सब बात सुनकर ।
वो फुट - फुट कर रोने लगे ।
वो दोनों चिंता के मारे नीचे गिर पड़े ।
ओर कहने लगे तूने तुम्हारे बाप - दादा की सालों की महेनत पर पानी फेर डाला ।
आखिरकार उन भूतों की डोली ने तुजे अपनी आजादी का जरिया बना ही दिया ।
क्या बात है पापा कुछ खुलकर बताइएना ।
तब उसके पापा ने ये कहानी सुनाई ।
ये बात है कई सालों पुरानी ।
इसी गाव की एक लड़की थी रंभा ।
देखने मे कोई अप्सरा से कम नहीं थी ।
जैसे किसी कवि की कल्पना हो ।
दिखने मे सुंदर पर दिमाग से उतनी ही सातीर ।
धीरे - धीरे गाव मे कई मौते होती चली गई ।
किसी को कुछ पता नहीं चला ।
पर एक दिन गाव के एक शख्स भोलराम ने इस राज पर से पर्दा हटा दिया ।
उसने देखा की गाव के बाहर वाली सड़क जो अभी प्रतिबंधित है ।
उसके एक और कई तांत्रिक ओर तांत्रिका एक शव को लेकर आ रहे है ।
वो शव किसी ओर का नहीं पर उसके ही छोटे भाई राजाराम का था ।
उन सब ने पहले उस शव को अपने इष्टदेव को समर्पित किया ।
फिर उसकी बलि चड़ाई ।
उन्मे से एक ने उस शव की खोपरी निकाल दी ।
ओर सब बारी - बारी उसमे रक्त पीने लगे ।
फिर उसके मांस को बारी - बारी सबने खाया ।
उसकी हड़ियों की माला बनाई ।
ये सब देखकर भोलाराम सहम गया ।
पर कुछ कर नहीं शकता था ।
क्युकी वो बहुत सारे ओर तंत्र विध्या के जानकार थे ।
पर उसने भी अपने छोटे भाई का प्रतिशोध लेने की प्रतिज्ञा ले ली ।
आखिर वो तांत्रिक ओर तंत्रिका ए कोन थी ।
ओर भोलाराम इन सबसे कैसे बदला लेगा ।
जानने के लिए पढे - डोली अरमानों की भाग - ३