i am helping in Hindi Motivational Stories by Rakesh Rakesh books and stories PDF | मैं मददगार हूं

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मैं मददगार हूं

कड़ाके की ठंड मूसलधार बरसात ऊपर से कपड़ों के बैंग के साथ रुपए पैसे चोरी होने के बाद शांति को अपने मायके की बहुत ज्यादा याद आ रही थी और पति ससुराल वालों पर बहुत क्रोध आ रहा था कि मुझे सोच समझकर घर छोड़ना चाहिए था, मेरा पति आराम से अपनी मां के साथ घर पर है और मैं दर-दर की ठोकर खा रही हूं मैं अपना घर बनाना चाह रही हूं और मेरा मुर्ख पति मां के बहकावे में आकर अपना घर बर्बाद कर रहा है।

मैंने अपनी ससुराल को छोड़कर मायके जाने का फैसला क्यों लिया और एक अजनबी व्यक्ति पर भरोसा क्यों किया मुझे वहीं रहकर अपने पति और सास को सबक सिखाना चाहिए था।

एक अजनबी के द्वारा उसके कपड़े पैसे चोरी करने के बाद शांति को हर आने जाने वाले किसी भी स्त्री पुरुष पर विश्वास करने की इच्छा नहीं हो रही थी, लेकिन तेज भूख और सर्दी से बचने के लिए उसे किसी से मदद लेना भी जरूरी लग रहा था।

इसलिए वह एक दवाइयों के दुकानदार के पास मदद मांगने जाती है और उस दवाइयों के दुकानदार को अपनी आपबीती बताने से पहले उससे सर दर्द की गोली खाने के लिए मांगती है और जब वह दवाइयों का दुकानदार उससे पैसे मांगता है, तो पैसे कपड़े चोरी होने की पूरी बात उस दवाइयां की दुकानदार को बताती है।

वह दवाइयों का दुकानदार उसकी मजबूरी को समझ कर शांति को खान और अपने मायके जाने के लिए किराए के पैसे दे देता है।

शांति खुश होकर दवाइयों के दुकानदार को धन्यवाद कहकर ढाबे में खाना खाने जाती है।

शांति ढाबे वाले को भी सामान पैसे चोरी होने की बात बताती है तो ढाबे का मालिक शांति से खाने के पैसे नहीं लेता और शांति को जल्दी बस अड्डे पहुंचने के लिए ऑटो के पैसे भी देता है, क्योंकि शांति के मायके जाने वाली आखिरी बस रात के 8:00 की थी।

बस अड्डे पर पहुंच कर शांति को गरम कपड़ों की दुकान दिखाई देती है, तो शांति कड़ाके की ठंड से बचने के लिए गरम कपड़ों के दुकानदार से एक सस्ती सी शाल खरीदने के लिए देखती है तो गरम कपड़ों की दुकान का दुकानदार भी शांति को मजबूर परेशान दुखी महिला समझ कर शांति को एक गरम शाल यह कह कर दे देता है कि अपने मायके पहुंच कर शाल के पैसे मेरी दुकान के पाते पर भिजवा देना।

शांति बस कंडक्टर से लेकर अपने मायके पहचाने वाले रिक्शे वाले को भी अपनी मजबूरी बता कर आधे पैसे देकर अपने मायके पहुंच जाती है।

और अपने मायके की चौखट पर कदम रखते ही शांति को अपनी गलती का एहसास होता है कि अगर मेरे पति अपने मामा मामी की मृत्यु के बाद अपनी ममेरी बहन की शादी की पूरी जिम्मेदारी खुद उठा रहे हैं, तो क्या गलत कर रहे हैं, मैं वह चोर हूं, जिसने मुझे सबसे मदद मांगने के लिए मजबूर किया और एक बड़े संकट में फसाया मेरे पति की गिनती उन मददगार करने वालों में है, जिनकी वजह से मैं सही सलामत अपने मायके पहुंच सकी, इसलिए दुनिया में मेरे जैसे नहीं मेरे पति जैसे सब होने चाहिए उस दिन के बाद से शांति किसी की भी मदद करने से पीछे नहीं हटतीहै।