Wo Maya he - 47 in Hindi Adventure Stories by Ashish Kumar Trivedi books and stories PDF | वो माया है.... - 47

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वो माया है.... - 47



(47)

बद्रीनाथ ने सबको बैठक में ले जाकर बैठा दिया। वह समझ नहीं पा रहे थे कि पुलिस अचानक यहाँ क्यों आई है ? विशाल ने तो फोन करके ताबीज़ वाली बात बता दी थी। उन्होंने इंस्पेक्टर हरीश से कहा,
"इंस्पेक्टर साहब हमारे बेटे विशाल ने तो आपके सवाल का जवाब दे दिया था। अब आपको क्या पूछना है ?"
इंस्पेक्टर हरीश ने कहा,
"विशाल कहाँ है ?"
"वह किसी काम से बाहर गया है। हमने उसे आप लोगों के बारे में बता दिया था। आता ही होगा।"
इंस्पेक्टर हरीश ने कहा,
"घर में और लोग भी तो होंगे ?"
बद्रीनाथ ने कहा,
"हाँ हमारी पत्नी और बड़ी बहन हैं।"
"उन दोनों को बुलाइए।"
बद्रीनाथ को कुछ अजीब लगा। उन्होंने कहा,
"उन लोगों से क्या काम है ?"
सब इंस्पेक्टर कमाल ने कहा,
"हम लोग सारे परिवार के सामने बात करना चाहते हैं। आप उन्हें लेकर आइए।"
बद्रीनाथ अंदर गए। उन्होंने किशोरी को बताया कि पुलिसवाले उन्हें और उमा को बुला रहे हैं। किशोरी ने कहा,
"मर्दों से बात करें। औरतों को क्यों बुला रहे हैं ? जाकर कह दो कि हमारे घर की औरतें अपरचित मर्दों के सामने नहीं जाती हैं।"
उमा पास ही खड़ी थीं। उन्होंने भी किशोरी की बात का समर्थन किया। बद्रीनाथ बैठक में जा रहे थे तभी विशाल आ गया। उसने कहा,
"पापा आपका फोन मिलते ही भागे भागे आए हैं। कहाँ हैं पुलिस वाले ?"
बद्रीनाथ ने उसे सारी बात बताई। सब सुनकर विशाल ने कहा,
"बुआ हम तो कहते हैं आप लोग भी चलकर बैठिए। नहीं तो उन्हें शक होगा। उन्हें क्या बताया है आप दोनों को पता है। बस उसी पर टिकी रहिएगा।"
किशोरी मान गईं। चारों लोग बैठक में चले गए। विशाल ने इंस्पेक्टर हरीश से वही सवाल किया जो बद्रीनाथ ने किया था। इंस्पेक्टर हरीश ने कहा,
"तुमने ताबीज़ के बारे में जो बताया था, सच था ?"
इस सवाल से एक पल को विशाल परेशान हो गया। फिर अपने आप को संभाल कर बोला,
"बिल्कुल सच था‌। आप हमारी बुआ जी से पूछ लीजिए। इन्होंने ही वह ताबीज़ तांत्रिक बाबा से बनवाए थे।"
उसकी बात सुनकर किशोरी ने कहा,
"हम लोग झूठ क्यों बोलेंगे भला। एकदम सच है। पुष्कर की कुंडली में ग्रहों का कुछ दोष था। इसलिए हमने बहू और बेटे की रक्षा के लिए ताबीज़ बनवाया था।"
सब इंस्पेक्टर कमाल ने कहा,
"बुआ जी कुंडली में ग्रहों के दोष के लिए लोग पंडित के पास जाते हैं। आप तांत्रिक के पास क्यों गईं ?"
किशोरी ने कहा,
"नहीं पंडित जी से बनवाए थे।"
इंस्पेक्टर हरीश ने फौरन कहा,
"विशाल ने तो अभी तांत्रिक कहा।"
किशोरी कुछ परेशान हो गईं। उन्होंने विशाल की तरफ देखा। वह भी परेशान था। बद्रीनाथ ने कहा,
"विशाल अपने भाई पुष्कर की मौत के बाद से बहुत परेशान रहता है। गलती से तांत्रिक बाबा कह गया। पंडित जी ही थे।"
इंस्पेक्टर हरीश उनकी बात सुनकर मुस्कुराने लगा। उसे मुस्कराते हुए देखकर सिन्हा परिवार में सब आश्चर्य में पड़ गए। विशाल ने गुस्सा दिखाते हुए कहा,
"इंस्पेक्टर साहब आपने तो देखा था पुष्कर की मौत के बाद हमारी और पापा की हालत कितनी खराब थी। हमने अपने भाई को खोया है। ऐसी गलती होना कोई बड़ी बात नहीं है। आप संवेदना दिखाने की जगह मुस्कुरा रहे हैं।"
सब इंस्पेक्टर कमाल ने कहा,
"हमें आपके भाई की मौत का अफसोस है। लेकिन आप लोग सरासर झूठ बोल रहे हैं।"
इस बार बद्रीनाथ उत्तेजित होकर बोले,
"आप लोग हम पर बेवजह इल्ज़ाम लगा रहे हैं।"
सब इंस्पेक्टर कमाल ने भी गुस्से से कहा,
"हम जो कह रहे हैं सही कह रहे हैं। ताबीज़ तांत्रिक ने बनाए थे। आपके तांत्रिक बाबा पुलिस कस्टडी में हैं। कल रात भवानीगंज पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार किया है।"
तांत्रिक की गिरफ्तारी की बात सुनकर एकबार फिर सब चौंक गए। विशाल ने कहा,
"तांत्रिक बाबा को क्यों गिरफ्तार किया गया है ?"
साथ आए कांस्टेबल ने सारी बात बताई। सब सुनकर सिन्हा परिवार के चारों सदस्य एक दूसरे का मुंह देखने लगे। इंस्पेक्टर हरीश ने कहा,
"महिपाल ने अपने बयान में माया वाली सारी बात बताई है। माया वाली बात आपने खुद उसे बताई थी। आप लोग पढ़े लिखे होकर तंत्र मंत्र में यकीन रखते हैं। कैसे मान लिया कि एक लड़की जो बरसों पहले आत्महत्या करके मर गई थी वह आपके परिवार को नुक्सान पहुँचा रही है।"
किशोरी ने कहा,
"वो माया ही है.....उसका श्राप है जो हम लोगों को परेशान कर रहा है। हम लोग तो निश्चिंत थे कि तांत्रिक उसे वश में कर लेगा। लेकिन वह तो ठग निकला। अब हमारे परिवार पर ना जाने कौन सी मुसीबत आने वाली है।"
किशोरी की बात सुनकर उमा की परेशानी और अधिक बढ़ गई।‌ वह रोने लगीं। विशाल उन्हें चुप कराने लगा। इंस्पेक्टर हरीश ने कहा,
"आप रोइए मत। कुछ नहीं होगा आपके परिवार को। जो कई सालों पहले मर चुका हो वह आपके परिवार को कैसे नुकसान पहुँचा सकता है। आप लोग बेवजह अंधविश्वास को पाल कर बैठे हैं।"
उमा ने रोते हुए कहा,
"अंधविश्वास नहीं है यह।‌ माया इस घर के आंगन में श्राप देकर गई थी। वही हमारे परिवार की बर्बादी का कारण है।"
विशाल ने कहा,
"आपको भले ही भरोसा ना हो। लेकिन हम भुक्तभोगी हैं। उसने हमारी खुशियां छीनी हैं।"
"विशाल तुमको क्यों लगता है कि तुम्हारी पत्नी और बच्चे की मौत का कारण माया थी। तुमने उनकी मौत ज़हर से हुई थी। पुलिस केस बनता था। लेकिन तुम लोगों ने मामला ऐसे ही दबा दिया।"
बद्रीनाथ को आश्चर्य हो रहा था कि इंस्पेक्टर हरीश को इतनी सारी बातें कैसे पता हैं। उन्होंने कहा,
"हमने उस ठग तांत्रिक को यह नहीं बताया था कि हमारी बहू और पोते की मौत ज़हर के कारण हुई थी। आपको यह बात कैसे पता चली ?"
इंस्पेक्टर हरीश ने जवाब दिया,
"विशाल ने ताबीज़ के लिए जो कहानी सुनाई थी उस पर मुझे यकीन नहीं था। मैंने दिशा से फोन पर बात की। उसने सारी बातें बताईं। पुष्कर ने इस घर से जाने से पहले उसे सबकुछ बता दिया था। मैं सच जानने के लिए यहाँ आया था। तब पुलिस स्टेशन में मुझे महिपाल के बारे में पता चला। लेकिन इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता है कि मुझे कैसे पता चला। बात सच है। अब यह बताइए कि किस आधार पर आप लोगों ने परिवार के दो सदस्यों की ज़हर से हुई मौत की जानकारी पुलिस को नहीं दी।"
सिन्हा परिवार के चारों सदस्य इस समय बहुत परेशान थे। खासकर बद्रीनाथ और विशाल। उन्होंने सोचा था कि पुलिस को वही बात बताकर चलता कर देंगे। लेकिन इंस्पेक्टर हरीश तो कुसुम और मोहित की मौत पर भी सवाल खड़े कर रहा था। विशाल ने कहा,
"आपको पुष्कर की मौत का केस देखना है। आप इतने साल पहले हुई मौत को लेकर परेशान हो रहे हैं।"
इंस्पेक्टर हरीश ने उसे घूरकर देखा। उसने कहा,
"पुष्कर की हत्या का केस भी सॉल्व करूँगा। लेकिन उन दो मौतों के बारे में भी तहकीकात करूँगा।"
विशाल ने चिढ़कर कहा,
"क्यों ? हम हमारी पत्नी और बच्चे की मौत की जांच नहीं चाहते हैं। हमें पूरा विश्वास है कि उनकी मौत का कारण माया ही थी।"
"आपको होगा लेकिन कानून ऐसी बातों पर यकीन नहीं करता है कि कोई मरा हुआ व्यक्ति किसी की मौत का कारण हो सकता है। आप लोगों ने उस समय पुलिस को सूचना ना देकर गलत किया था। अब पुलिस का सहयोग कीजिए। सारी बात विस्तार से बताइए।"
विशाल ने बद्रीनाथ की तरफ देखा। उन्होंने इशारे से कहा कि सब बता दे। विशाल ने उस रात जो हुआ था सब विस्तार से बताया। उसने उस अस्पताल का और डॉक्टर का नाम भी बताया। इंस्पेक्टर हरीश ने कहा,
"आपसे मिली जानकारी के अनुसार हम उस केस में भी तहकीकात करेंगे। आगे भी आपके सहयोग की ज़रूरत पड़ेगी। इसी तरह सब सच बताइएगा।"
इंस्पेक्टर हरीश उठकर खड़ा हो गया। सब इंस्पेक्टर कमाल ने कहा,
"जिस अंधविश्वास में आप लोग जी रहे हैं उसे दूर कीजिए। नहीं तो बेवजह परेशानियों में पड़ेंगे।"
चलते वक्त इंस्पेक्टर हरीश को कुछ याद आया। उसके फोन पर उस आदमी की तस्वीर थी जिसे चेतन ने बात करते हुए सुना था। उसने वह तस्वीर दिखाते हुए उसके बारे में पूछा। विशाल और बद्रीनाथ दोनों ने ही कुछ जानने से इंकार कर दिया। इंस्पेक्टर हरीश अपने साथियों के साथ चला गया।

बैठक में एकदम शांति थी। सभी अपने अपने विचारों में खोए हुए थे। किशोरी और उमा यह सोचकर परेशान थीं कि अब माया और उसके श्राप से छुटकारा कैसे मिलेगा ? बद्रीनाथ सोच रहे थे कि इंस्पेक्टर हरीश अब कुसुम और मोहित की मौत के बारे में पड़ताल करेगा। ना जाने क्या निकल कर आएगा ? माया वाली बात पर उन्हें यकीन था। इसलिए वह नहीं चाहते थे कि उस केस की कोई पड़ताल हो।
विशाल भी परेशान बैठा था। अचानक उसने गुस्से से कहा,
"इंस्पेक्टर हरीश हमारी मुसीबत को और बढ़ाएगा। बेवजह गड़े हुए मुर्दे उखाड़ रहा है।"
यह कहकर वह बैठक से बाहर निकल गया। बद्रीनाथ उसके इस तरह चिल्लाने से और अधिक चिंतित हो गए।‌ उमा हमेशा की तरह रोने लगीं तो उन्होंने चिढ़कर कहा,
"अब आंसू बहाने से क्या होगा। जो किस्मत में लिखा है झेलेंगे।"
"यह मुसीबत हमने खुद अपनी किस्मत में लिखी है।"
यह कहकर उमा भी बैठक से बाहर चली गईं। बद्रीनाथ और किशोरी उनकी बात सुनकर सकते में आ गए थे।

बैठक से निकल कर विशाल तालाब वाले मंदिर की तरफ जा रहा था। तभी किसी ने उसे पुकारा। उसे देखकर विशाल घबरा गया। उसने कहा,
"यहाँ से चले जाओ कौशल। पुलिस कुछ देर पहले ही घर से गई है। तुम्हारी तस्वीर है उनके पास।‌ रात में उसी जगह मिलना।"
कौशल वहाँ से चला गया। विशाल घबराया सा इधर उधर देख रहा था।