living soul in Hindi Adventure Stories by Rajesh Rajesh books and stories PDF | जीवित आत्मा

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जीवित आत्मा

देवेंद्र पूरे गांव का प्यार युवक था क्योंकि गांव में किसी को भी छोटी से छोटी कोई भी दुख तकलीफ होती थी, तो देवेंद्र उसकी मदद करने से पीछे नहीं हटता था।

देवेंद्र के माता-पिता भी अच्छे सच्चे ईमानदार सीधे-साधे सबकी मदद करने वाले थे, वह किसी को भी छोटा से छोटा दुख नहीं पहुंचाना चाहते थे, उनके जीवन का बस एक ही मकसद था, कि उनके इकलौते बेटे को जीवन की सारी खुशियां मिले, इसलिए वह देवेंद्र के लिए उससे भी अच्छे चरित्र की लड़की उसके साथ शादी करने के लिए ढूंढ रहे थे।

गांव के बच्चे बुजुर्ग जवान भी यही चाहते थे कि देवेंद्र जैसे ही उसकी पत्नी भी पूरे गांव के साथ प्यार मोहब्बत से रहने वाली है, क्योंकि गांव के आस-पास जब भी त्यौहारो पर मेला लगता तो देवेंद्र सबको अपने ट्रैक्टर में मेला घूमने साथ लेकर जाता था, और खुद मेला घूमने की जगह वह गांव के लोगों को मेले में छोड़ने और लाने के काम में लगा रहता था।

जब भी कोई तीज त्यौहार आता था, तो पूरे गांव को अपना परिवार समझ कर उनके साथ खुशी से त्यौहार मानता था और बहुत ढूंढने के बाद देवेंद्र की माता-पिता को देवेंद्र से भी ज्यादा अच्छे चरित्र वाली घरेलू धार्मिक विचारों वाली मिलन सार युवती जिसका नाम नंदिनी था देवेंद्र के साथ विवाह करने के लिए मिल जाती है।

देवेंद्र के साथ विवाह होने के बाद नंदिनी को कुछ ही महीनों में देवेंद्र के माता-पिता और गांव के सब लोग भी देवेंद्र जैसे ही प्यार करने लगे थे, क्योंकि नंदिनी अच्छे चरित्र की होने के साथ-साथ सबकी मदद करने वाली और बहुत ही घरेलू धार्मिक विचारों वाली युवती थी देवेंद्र के गांव में और आस-पास के गांव में इतने अच्छे स्वभाव की और धार्मिक विचारों वाली बहू आज तक कोई नहीं आई थी इसलिए पूरा गांव नंदिनी को नाम की जगह बहुरानी कहकर पुकारता था।

एक रात सावन के महीने में नंदिनी देवेंद्र को रात के 3:00 बजे नींद से जागती है, उस रात मूसलधार बरसात हो रही थी आकाश में बिजली बहुत तेज आवाज के साथ तड़क रही थी, देवेंद्र ने पूरे दिन गांव वालों के साथ मिलकर नदी के रास्ते की उन झाड़ियां उन बड़ी-बड़ी झाड़ियां को काटकर साफ किया था जहां से मूसलधार बरसात का पानी नदी में जाकर मिलता था और गांव में जल भराव नहीं होता था, इसलिए पूरे दिन मेहनत करने के बाद देवेंद्र नंदिनी के बहुत देर तक नींद से जगाने के बाद मुश्किल से गहरी नींद से उठता है और जब देवेंद्र नंदिनी की पूरी बात सुने बिना दोबारा सोने लगता है तो नंदिनी देवेंद्र से कहती है "अपने बगल में देखो अपने पलंग की बगल में देखते ही देवेंद्र के होश उड़ जाते हैं क्योंकि नंदिनी पलंग पर उसके साथ भी सो रही थी और नंदिनी उसके सामने खड़े होकर उससे बात भी कर रही थी।

नंदिनी देवेंद्र से कहती है "ज्यादा घबराने की जरूरत नहीं है, बस मेरी बात ध्यान से सुनो आज तुमने बरसात के पानी की गांव से निकासी के लिए गांव वालों के साथ मिलकर बड़ी-बड़ी झाड़ियां काटी थी, उन झाड़ियां के बीच में नाग नागिन का जोड़ा प्रेम में खोए हुए थे, तुमने अपने फावड़े से गलती से नाग की हत्या कर दी और इसलिए वह नागिन तुमसे अपने नाग का बदला लेने आई थी, और जैसे ही वह तुम्हारे पैर पर डंसने लगी तो मैंने तुम्हारे पैर की जगह अपना पर उसके सामने कर दिया कर दिया था और उस जहरीली नागिन के डसते ही मेरी मृत्यु हो गई। लेकिन उस नागिन ने मेरी सच्चे प्रेम से प्रसन्न होकर मुझसे कहा मैं तुम्हें दोबारा जिंदा तो नहीं कर सकती हूं, लेकिन अपने पति के साथ जीवन भर रहने का तरीका बता सकती हैं।"

"और उस नागिन ने मुझसे कहा कि अपने पति को नदी के किनारे बने प्राचीन मंदिर में भोर होनेेेे से पहले भेज देना, मैं वहां महादेव की प्रतिमा के पास कुछ ऐसी जड़ी बूटियां रख दूंगी जिससे कि तुम्हारा मृत शरीर कभी भी खराब नहीं होगा और जब तक तुम्हारे शरीर का अंतिम संस्कार नहीं होगा तब तक तुम्हारी आत्मा अपने पति के साथ जीवित नारी की तरह रह सकती है।"

पत्नी की यह बात सुनने के बाद देवेंद्र अपनी पत्नी नंदिनी के मृत शरीर को अपने सोने के कमरे के पास वाले कमरे में सुरक्षित ढंग से रख देता है।

और नंदिनी की आत्मा जीवित नंदिनी जैसे देवेंद्र उसके माता-पिता गांव वालों के साथ खुशी से रहने लगती है।

एक दिन पूर्णमासी के दिन हिमालय की पहाड़ियों से एक सिद्ध साधु उनके गांव में आता है उस सिद्ध साधु की चमत्कारी शक्तियों से प्रसन्न होकर देवेंद्र और पूरा गांव मिलकर बड़ी पूजा के साथ गांव में भंडारा करते हैं।

सिद्ध साधु के सामने जब नंदिनी आती है तो सिद्ध साधु गांव की एक बुजुर्ग महिला से पूछता है? "यह किसकी बहू है।"

"यह हमारे गांव के युवक देवेंद्र की बहू है।" बुजुर्ग महिला कहती है

"यह जीवित बहू नहीं बल्कि बहू की आत्मा है।" सिद्ध साधु गांव वालों से कहता है

यह बात सुनकर देवेंद्र के माता-पिता और पूरे गांव के लोगों के होश उड़ जाते हैं, फिर देवेंद्र नंदिनी की मौत की कहानी अपने माता-पिता पूरे गांव को सुनता है, पूरा गांव देवेंद्र के माता-पिता खुद देवेंद्र उस सिद्ध साधु से प्रार्थना करता हैं कि "आप किसी तरह भी नंदिनी को जीवित कर दें।"

और वह सिद्ध साधु नंदिनी को जीवित कर देता है नंदिनी के जीवित होते ही देवेंद्र उसके माता-पिता और पूरा गांव खुशी से झूमने लगता है।