Wo Maya he - 46 in Hindi Adventure Stories by Ashish Kumar Trivedi books and stories PDF | वो माया है.... - 46

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वो माया है.... - 46


(46)

कुछ दिनों पहले भवानीगंज थाने के एसएचओ सुमेर सिंह के पास एक फरार अपराधी की तस्वीर आई थी।‌ बताया जा रहा था कि लगभग डेढ़ साल से यह अपराधी फरार है। उस अपराधी का नाम महिपाल बताया जा रहा था। उस पर अपनी प्रेमिका की हत्या का आरोप था जो उसके साथ लिव इन रिलेशनशिप में थी। खबर के अनुसार उसके भवानीगंज के आसपास होने की संभावना थी।
सुमेर सिंह ने एक टीम को भवानीगंज के आसपास के इलाके में नज़र रखने को कहा था। उनकी टीम ने अच्छी तरह से खोजबीन करके पता किया था कि महिपाल भवानीगंज के बगल के एक गांव जरहरा में देखा गया है। वह गांव के बाहरी हिस्से में एक पुराने जर्जर हो चुके मकान में रह रहा है। अपनी टीम से मिली जानकारी के आधार पर सुमेर सिंह अपनी टीम के साथ वहाँ पहुँचे थे।
वह मकान गांव के बाहर सुनसान जगह पर था। सुमेर सिंह अंधेरा होने के बाद वहाँ आए थे। उन्होंने अपनी गाड़ियां मकान से कुछ दूरी पर खड़ी कर रखी थीं। जिस मुखबिर ने महिपाल के होने की बात कही थी वह भी उनके साथ था। सुमेर सिंह ने उससे कहा,
"तुम्हें पूरा यकीन है कि महिपाल के साथ केवल एक ही आदमी है।"
"पक्की बात है साहब। वह और उसका साथी तांत्रिक बनकर कोई छह महीने से यहाँ रह रहे हैं। कुछ एक लोग उनके चंगुल में फंस जाते हैं।‌ इससे उनका खर्च‌ चल जाता है। गांव वाले इस डर से भी यहाँ नहीं आते हैं कि तांत्रिक की साधना में खलल पड़ा तो वह नाराज़ होकर कुछ कर सकता है। उन लोगों के लिए छुपने की बहुत अच्छी जगह है।"
सुमेर सिंह ने कुछ दूरी पर बने उस जर्जर मकान की तरफ देखा। उसमें से हल्की रोशनी आ रही थी। उन्होंने पूछा,
"यह मकान किसका है ?"
"गांव वालों का कहना है कि कोई फौजी रहता था यहाँ। कुछ साल पहले ना जाने कहीं गायब हो गया। तबसे यह घर खाली पड़ा था। इन लोगों ने उसके खाली पड़े घर पर कब्जा कर लिया है। कटिया लगाकर बिजली भी जलाते हैं।"
घर से रोशनी आ रही थी। उसके अलावा चारों तरफ अंधेरा था। सुमेर सिंह ने अपने साथियों से कहा,
"हमें बहुत सावधानी से काम लेना होगा। अगर थोड़ी सी भी चूक हुई तो महिपाल और उसका साथी अंधेरे का लाभ उठाकर भाग लेंगे। एकबार दोनों निकल गए तो पकड़ना कठिन होगा। इसके बाद कुछ ही दूरी से जंगल का इलाका शुरू हो जाता है।"
सुमेर सिंह ने अपने साथियों को अलग अलग दिशा से मकान की तरफ बढ़ने का निर्देश दिया। सब सावधानी से मकान की तरफ बढ़ने लगे।

मकान के अंदर तांत्रिक का चोला पहने महिपाल और उसका साथी ज़मीन पर बैठे शराब पी रहे थे।‌ महिपाल ने अपने साथी से कहा,
"देखो भाई पिंटू..….मुझे लगता है कि अब यहाँ और अधिक टिकना ठीक नहीं है।‌ बद्रीनाथ से अच्छी रकम मिल गई है। दोनों आपस में बांटकर निकल लेते हैं।"
पिंटू ने अपना गिलास खाली कर दिया था। उसे भरते हुए बोला,
"यहाँ सब सेट तो हो गया है। बद्रीनाथ जैसे और लोग मिल गए तो सोचो कितना पैसा होगा।"
"हम दोनों ही कानून से भागे हुए हैं। निश्चिंत होकर एक जगह टिक जाना हमारे लिए ठीक नहीं है। पुलिस हमें खोज रही होगी। इसलिए अब यहाँ से चलना ठीक होगा।"
महिपाल की बात पर गौर करने के बाद पिंटू ने कहा,
"ठीक है.... पर अब कहाँ चलना है ?"
"अपनी अपनी राह पर....."
महिपाल का जवाब सुनकर पिंटू को आश्चर्य हुआ। उसने कहा,
"अपनी अपनी राह पर..….इसका क्या मतलब है ?"
"देखो भाई हम कुछ दिनों पहले ही मिले थे। कुछ दिन साथ रह लिए। अब फिर अलग अलग राहों पर निकल जाते हैं। अपने अपने पैसों का जैसा चाहे इस्तेमाल करेंगे।"
पिंटू ने थैली महिपाल को देकर कहा,
"तो अभी बांट लेते हैं पैसे और निकल लेते हैं।"
महिपाल ने कहा,
"इसी बात पर एक एक पेग और पीते हैं।"
पिंटू दोनों के गिलास भर रहा था। तभी दरवाज़े पर दस्तक हुई। महिपाल और पिंटू दोनों सजग हो गए। महिपाल ने कहा,
"यहाँ तो दिन में भी कोई नहीं आता है। रात में कौन आ गया।"
पिंटू ने कहा,
"कहीं पुलिस तो नहीं है ?"
यह सुनकर महिपाल घबरा गया। तभी बाहर से आवाज़ आई,
"तांत्रिक बाबा..... दरवाज़ा खोलिए। हमें आपसे काम है।"
महिपाल सशंकित था। उसने पिंटू से कहा,
"मुझे गड़बड़ लग रही है। पीछे वाले रास्ते से निकल चलते हैं।"
पिंटू ने आपत्ति की,
"लेकिन अभी पैसों का बंटवारा तो हुआ नहीं है।"
एकबार फिर बाहर से दरवाज़ा खोलने के लिए कहा गया। महिपाल ने कहा,
"मुसीबत बाहर खड़ी है। अगर पकड़े गए तो कुछ नहीं मिलेगा। एकसाथ भागते हैं। जंगल में चलकर पैसे बांट लेंगे। उसके बाद अपने अपने रास्ते चल देंगे।"
पिंटू को भी इस बात की आशंका थी कि बाहर पुलिस हो सकती है। इसलिए वह मान गया। महिपाल ने पैसों वाली थैली उठाई। दोनों पिछले हिस्से की तरफ भागे। दरवाज़ा खोला ही था कि सामने सुमेर सिंह और उसके एक साथी को देखकर घबरा गए। पुलिसवालों ने उन पर गन तान रखी थी।‌
महिपाल और पिंटू को गिरफ्तार कर थाने ले जाया गया।

महिपाल ने अपनी कहानी बताई। वह एक प्राइवेट कंपनी में काम करता था। ठीक ठाक कमा लेता था। लेकिन उसके खर्चे बहुत थे। देखने में स्मार्ट था। इसलिए लड़कियां उसकी तरफ आकर्षित हो जाती थीं। लेकिन किसी भी लड़की के साथ वह अधिक समय तक नहीं टिकता था।‌
उसकी मुलाकात रिनी नाम की एक लड़की से हुई। वह भी उसकी तरफ आकर्षित हो गई। दोनों में रिश्ता शुरू हुआ और साथ रहने लगे। रिनी एक कंपनी में अच्छे पद पर थी। उसकी सैलरी बहुत अच्छी थी। साथ ही वह पैसेवाले घर से थी। दिल खोलकर खर्च करती थी। महिपाल भी उसके पैसों पर ऐश करता था। इसलिए रिनी के साथ उसका रिश्ता लंबा चला।
एकबार एक पार्टी में महिपाल को एक लड़की मिली। उन दोनों की दोस्ती हो गई। दोस्ती आगे बढ़ गई। दोनों छुप छुपकर मिलने लगे। महिपाल अब सिर्फ रिनी के पैसों के लिए उसके साथ था। अतः कोशिश करता था कि उसके रिश्ते की भनक रिनी तक ना पहुँचे। लेकिन रिनी को पता चल गया। उसने रिश्ता तोड़ने की बात कही। महिपाल पर बहुत सा कर्ज़ था। वह रिनी के पैसों से उन्हें उतारना चाहता था। जो अब संभव नहीं था।
महिपाल ने रिनी से कहा कि वह बहुत शर्मिंदा है। कुछ कमज़ोर पड़ गया था। इसलिए उस लड़की के चक्कर में पड़ गया। वह उसे छोड़ देगा। रिनी उसके साथ रिश्ता ना तोड़े। रिनी मान गई। उनका रिश्ता फिर पहले जैसा हो। गया। महिपाल फिराक में था कि रिनी से अधिक से अधिक पैसे निकलवा कर अपना कर्ज़ पूरा कर दे। लेकिन कुछ ही समय बाद उसे एक बड़ा धक्का लगा।
रिनी ने कहा कि अब वह उसके साथ नहीं रहना चाहती है। वह अपना सामान लेकर उसके घर से चला जाए। अब वह अपने नए ब्वॉयफ्रेंड के साथ रहेगी। इस बात से महिपाल बहुत नाराज़ हुआ। उसके और रिनी के बीच झगड़ा हुआ। उस झगड़े के दौरान महिपाल ने गुस्से में रिनी को मार दिया। वह घबरा गया था। जो थोड़ा बहुत पैसा हाथ लगा उसे लेकर भाग लिया।
महिपाल भागते हुए एक छोटे शहर में गया। उसके पैसे खत्म हो गए थे। खाने के लिए भी पैसे नहीं थे। उसकी मुलाकात एक व्यक्ति से हुई जो लोगों को तांत्रिक बनकर ठग रहा था। महिपाल उसके साथ जुड़ गया। पर कुछ ही दिनों में उनके बीच झगड़ा हो गया। मौका पाकर महिपाल उसके कुछ पैसे लेकर भाग निकला। फिर इधर उधर भटकने लगा। उसकी मुलाकात एक और फरार अपराधी पिंटू से हुई।‌ दोनों ने तांत्रिक बनकर लोगों ठगने का फैसला किया। दोनों भवानीगंज के पास जरहरा गांव के उस मकान में रहने लगे। लोगों को तांत्रिक बनकर ठगने लगे।
सुमेर सिंह को उनकी थैली में अच्छी रकम मिली थी। सुमेर सिंह ने उससे पूछा कि वह कौन है जिसने तुम्हें इतने पैसे दिए‌ ? महिपाल ने उन्हें बद्रीनाथ से मुलाकात के बारे में बताया। उसे जरहरा आए कुछ ही समय हुआ था। कुछ एक लोग उसके पास अपनी समस्या लेकर आ चुके थे और संतुष्ट थे। तभी किसी के ज़रिए बद्रीनाथ सिन्हा उससे मिले। उसे अपने घर ले गए। उसे माया वाली बात विस्तार से बताई। महिपाल ने सारी बात बताते हुए कहा,
"बद्रीनाथ ने अपने मुंह से ही सबकुछ बता दिया था। मेरे लिए आसान हो गया। मैंने कहा कि माया ही उन लोगों के घर की खुशियों के पीछे पड़ी है। उनके बेटे पुष्कर की शादी के बाद मैंने उनके घर नींबू मिर्च की माला लटका कर रक्षा कवच बनाया और दो ताबीज़ बेटे बहू के लिए दे दिए। उनसे माया को दूर करने का उपाय करने के लिए पैसे ऐंठ लिए। लेकिन उनके बेटे की हत्या हो गई। तब मुझे लगा कि उनका विश्वास मुझ पर उठ गया होगा। लेकिन उन्होंने मुझसे फिर संपर्क किया। मुझे बताया कि माया ने ना सिर्फ उनके बेटे की हत्या की है बल्की उनके घरवालों को डरा रही है। मुझे एक बड़ी रकम ऐंठने का मौका मिल गया।"
देर रात तक महिपाल और पिंटू का बयान दर्ज़ करने के बाद उन दोनों को लॉकअप में बंद कर दिया गया।

इंस्पेक्टर हरीश सब इंस्पेक्टर कमाल के साथ भवानीगंज पुलिस स्टेशन पहुँचा। उसने सुमेर सिंह को सारी बात बताई। सब सुनकर सुमेर सिंह ने भी उन्हें महिपाल के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि वह बद्रीनाथ और उनके परिवार को तांत्रिक बनकर ठग रहा था। इंस्पेक्टर हरीश ने बद्रीनाथ के घर जाने की इच्छा जताई। सुमेर सिंह ने अपने एक कांस्टेबल को उनके साथ भेज दिया।
जब पुलिस बद्रीनाथ के घर पहुँची तब वह दालान में बैठे थे। इंस्पेक्टर हरीश को देखकर वह परेशान हो गए। विशाल उस समय घर पर नहीं था। उन्होंने फोन करके उसे घर आने के लिए कहा।