marry me - 9 in Hindi Moral Stories by Kishanlal Sharma books and stories PDF | मुझसे शादी कर लो - 9

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मुझसे शादी कर लो - 9

और राधा कैरोलिना के बताए पते के लिए निकल पड़ी।नाइ जगह वह आयी थी।इसलिए उसे कई जगह पूछना पड़ा
लेकिन आखिर वह पहुंवः ही गयी थी।
"अरे तुम?"यहाँ?"राजन अपने सामने खड़ी राधा को देखकर चोंकते हुए आश्चर्य से बोला था
"तुमने सोचा होगा,मैं यहां तो आ ही नही सकती।"
"ऐसी कोई बात नही है।"
"मैं पहचान नही पाई की तुम भी दूसरे आदमियों की तरह हो।तुम्हारे दिल मे भी खोट है।"
"ऐसी बात नही है।"
"ऐसी बात न होती तो तुम मेरा फोन जरूर उठाते।"
"वो फोन यहा पर काम नही करता और मुझे दूसरा लेना पड़ा।"
"तो दूसरे से मुझे फोन करते।"
"वो
"कोई बहाना बनाने की जरूरत नही है।तुम तो मुझ से कहकर आये थे।वापस लौटने की।
"लौटूंगा जल्दी
"अब तुम कभी नही लौटोगे।"
"ऐसी बात नही है।"
"ऐसी बात नही होती तो तुम शादी नही करते
"शादी किसकी।नही तो
"मैं तुम्हारी पत्नी से मिलकर आ रही हूँ,"झूठ बोलने से कोई फायदा नही है,"राधा बोली,"अगर शादी किसी और से करनी थी तो मेरे शरीर से क्यो खेले
"राधा
राजन ने राधा को अपनी बात कहने का प्रयास किया लेकिन वह उल्टा सीधा सुनाकर वापस भारत आ गयी।नही आती तो करती भी क्या
राधा भारत से अमेरिका गयी तब राजन को लेकर उसके मन मे चिंता थी।पर वह जाकर देख आयी थी कि उसकी चिता बेकार थी।वह उससे बेवफाई करके अमेरिकन लड़की को अपनी बनाकर शान की जिंदगी जी रहा था।
गर्भवती होने पर वह चिंतित हुई थी।लेकिन जब राजन ने उससे शादी का वादा कर लिया तो वह खुश थी।और आने वाली संतान को लेकर भविष्य के सपने देखने लगी थी।अपने बच्चे के जन्म को लेकर वह बेहद उतसाहित थी।लेकिन वहाँ जाकर उसका उत्साह ठंडा पड़ गया था।
पहले वह अपने गर्भ में पल रहे बच्चे को प्यार की निशानी समझ रही थी।पर अब वह बच्चा उसे पाप नजर आ रहा था।और अपने पाप को वह दुनित के सामने नही लाना चाहती थी।अवांछित गर्भ से वह पीछा छुड़ाना चाहती थी।गर्भ में पल रहे बच्चे को वह मार देना चाहती थी।
और वह डॉक्टर के पास गई।डॉक्टर ने एबॉर्शन से पहले कुछ टेस्ट कराए और फिर बोला,"तुम्हारा गर्भपात नही ही सकता।"
"क्यो डॉक्टर?"डॉक्टर कज बात सुनकर राधा ने पूछा था।
"तुम्हारी जान को खतरा है।तुम्हारी जान भी जा सकती है
"डॉक्टर मुझे अपनी जान की परवाह नही है।अगर जाती है तो जाने दो
"मैं डॉक्टर हूँ।जान लेना नही।जान बचाना मेरा पेशा है।"
डॉक्टर ने साफ मना कर दिया था।लेकिन राधा निराश नही हुई।वह एक के बाद एक कई डॉक्टरों से मिली।लेकिन पेसो के लालच में भी कोज तैयार नही हुआ।तब उसने एक दाई का सहारा लिया।दाई ने उसे काढ़ा पिलाया था लेकिन व्यर्थ
कहते है ने जखो राखे साईं मार सके न कोई
राधा ने गर्भ गिराने के लाख जतन किये।लेकिन वह सफल नही हुई और बिना शादी के एक बेटी की माँ बन गयी।ऐसा नही है कि उसकी बदनामी नही हुई या जिल्लत न सहनी पड़ी।लेकिन समय गुजरने के साथ लोग उस बात को भूल गए।
पहले राधा नही चाहती थी,मा बने।लेकिन जब बन गयी तो उसकी ममता जाग गयी।आखिर में उसकी बेटी की क्या गलती थी।
राधा की बेटी उससे भी ज्यादा सुंदर थी।उसने बेटी का नाम रखा माया।और राधा ने शादी नही की।अपना ध्यान बेटी पर लगा दिया