Sabaa - 29 in Hindi Philosophy by Prabodh Kumar Govil books and stories PDF | सबा - 29

Featured Books
Categories
Share

सबा - 29

राजा को बड़ा अचंभा हुआ। यही कुछ तो खुद अपने देश में भी हुआ था। हां, बस नाम कुछ अलग सा था। कोई देखी- सुनी नहीं, खुद राजा के अपने गांव में घटी घटना थी।
राजा के पिता तब जीवित थे।
गांव में उनके पड़ोस में एक परिवार रहता था जिसमें तीन लड़के थे। राजा तो तब बहुत छोटा सा था और उसकी दोस्ती पड़ोस में रहने वाले परिवार के सबसे छोटे लड़के से ही थी। लेकिन गांव की आबो- हवा और रस्मो - रिवाज के चलते करीब रहने वाले परिवार बिल्कुल अपने रिश्तेदारों जैसे ही हुआ करते थे। तो उसी परिवार के सबसे बड़े बेटे का ब्याह हुआ था और उसकी नई नवेली दुल्हन को दोनों घरों के सभी बच्चे भाभी कहते थे। भाभी भी ऐसी कि अगर खेलते - खेलते राजा अपने दोस्त के संग उसके घर चला जाए तो भाभी जो कुछ अपने सगे देवर को खाने को दे, वही राजा को भी।
तो ऐसे आत्मीयता भरे घर में भी एक दिन छोटे से राजा ने सुना कि भाभी घर छोड़ कर चली गई। खूब हंगामा हुआ।
राजा को तो गली में खेलने आता उसका दोस्त सब बताता था। उसी ने बताया कि भाभी कहीं गई नहीं, बल्कि घर से भाग गई।
- अरे जा- जा, भागेगी क्यों? भैया के पास अपनी बाइक है, वो बैठा कर ले जायेंगे उन्हें जहां भी जाना होगा। राजा ने मासूमियत से कहा।
- अरे नहीं बुद्धू, भैया से पूछ कर नहीं, उन्हें बिना बताए भाग गई। खुद उनसे ही भाग गई। दोस्त बोला।
- क्यों? अब राजा का माथा ठनका।
- भाभी के भाई ही उन्हें ले जाकर दूसरे घर में छोड़ आए। कहते थे वो "नाते" चली गई। दूसरे लड़के के पास। दोस्त ने राजा को अचंभित करते हुए उससे ज़्यादा समझदार होने का परिचय दिया।
- नाते जाना क्या होता है?
- अगर कोई लड़की किसी लड़के को पसंद नहीं आती तो वो उससे बोलना- बात करना बंद कर देता है। ऐसे में फिर लड़की उसका घर छोड़ कर, रिश्ता तोड़ कर किसी और घर में जा बैठती है। दोस्त ने कहा।
- लड़की कोई चिड़िया - कबूतर है जो उड़ कर दूसरे घर की मुंडेर पर जा बैठेगी? और लड़के को वो पसंद क्यों नहीं आयेगी? लड़का खुद उसे ब्याह कर नहीं लाया क्या? लड़के के सारे घर वाले उसकी फोटू देख कर पसंद कर के नहीं लाए क्या? राजा ये सब मानने को कतई तैयार नहीं हुआ।
पर दोस्त भी तो काइयां था। भीगती मसों का किशोर। राजा से कुछ बड़ा। उसने भी राजा को सब कुछ समझाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। बोला - अरे नहीं, शादी के बाद जब लड़का लड़की पास - पास सोने लगते हैं न तब कोई कोई लड़का या लड़की एक दूसरे को पसंद नहीं आते। तब लड़की घर से भाग जाती है।
- लड़की ही क्यों भागती है? लड़का नहीं भागता?
- क्योंकि लड़के का तो वो अपना घर होता है। लड़की ही तो पराए घर से आती है। वैसे कभी - कभी लड़का भी भाग जाता है अगर उसकी गलती होती है तो।
- गलती कैसे?
- इधर आ! कह कर दोस्त ने राजा के पायजामे को झटके से पकड़ कर अपनी ओर खींचा और बोला - ये देख, ये ढीली होती है लड़के की। खड़ी नहीं होती। कह कर उसने राजा के कपड़ों के भीतर हाथ डाल दिया।
राजा मानो किसी रहस्य- लोक में आ घिरा...
आज इतने साल बाद परदेस में बैठे हुए राजा को अपने बचपन की ये घटना याद करके आज भी हंसी आ गई।
अब तो राजा अच्छी तरह जान गया था कि यदि किसी औरत का पति शारीरिक कमजोरी के चलते नपुंसक हो जाता है तो उस औरत को भी समाज अघोषित प्रथा के रूप में यह छूट देता है कि वो किसी समर्थ प्रेमी को अपना ले जो उसके साथ रहने के लिए तैयार हो। यही पिछड़े अशिक्षित समाज की नाता प्रथा कहलाती थी।
इसी का आधुनिक उच्च आभिजात्य स्वरूप राजा ने यहां देखा कि महिलाएं अपनी शारीरिक संतुष्टि और कामनाओं के लिए बेहद सतर्क रहती हैं और इसीलिए समाज के नियंत्रण को वो पुरुषों के भरोसे न छोड़ कर अपने हाथों में रखती हैं। वो आर्थिक रूप में भी समर्थ होती हैं ताकि पुरुष समाज उन्हें पालने की आड़ में उनके साथ तरह - तरह से ज्यादती न कर सके।
उसे अपने नज़दीक सोए हुए कीर्तिमान का निष्कपट मासूम चेहरा और भी प्यारा बेदाग नज़र आने लगा।