खिड़की दरवाजा बंद करके अंधेरे कमरे में अकेले सन्नाटे में बेड पर लेटने के बाद भी आशीष को चैन की नींद नहीं आ रही थी क्योंकि पड़ोस में रहने वाली उसकी प्रेमिका राधा की बाहर बहुत धूमधाम आतिशबाजी के साथ बारात चढ़ रही थी।
आशीष राधा के चाचा जी के मकान में किराए पर रहता था और राधा के चाचा जी के दोस्त की फैक्ट्री में सुपरवाइजर के पद पर काम करता था, आशीष के माता-पिता छोटी बहन गांव में रहते थे, आशीष को गरीबी से तंग आकर अपना गांव छोड़कर शहर नौकरी करने आना पड़ा था।
आशीष के दबाव डालने के बाद ही राधा मानव नाम के लड़के से शादी करने के लिए तैयार हुई थी।
और तभी बाहर बारात के शोर शराबे में कोई आशीष के कमरे का दरवाजा तेज तेज दरवाजा खटखटाता है।
आशीष जैसे ही दरवाजा खोल कर देखता है तो दरवाजे के पास दुल्हन के कपड़ों में सजी संवरी हाथ में रुपए जेवर कपड़ों का बैग लिए राधा खड़ी हुई थी।
राधा आशीष के कुछ कहने से पहले ही कहती है "बैंग में कुछ कपड़ों के साथ इतने रुपए जेवर है कि हम नए शहर में शादी करके कोई अच्छा खासा बिजनेस खोलकर अपना जीवन शांति से जी सकते हैं।
राधा की यह बात सुनकर आशीष कमरे की ट्यूब लाईट जला कर राधा को अकेले कमरे में बिठाकर राधा के हाथ से रुपए जेवर का बैंग अपने साथ लेकर राधा को कमरे में बंद करके वहां से भाग जाता है।
राधा सोचती है शायद आशीष टैक्सी लेने गया है और जब आशीष को फोन करती है तो आशीष का फोन स्विच ऑफ आता है आशीष का फोन स्विच ऑफ आने के बाद राधा अपनी सबसे अच्छी सहेली को फोन करती है।
तो उसकी सबसे अच्छी सहेली जब कमरे का ताला तोड़ने की वजह है चाबी से खोलती है तो राधा अपनी सहेली से पूछती है? "आशीष के कमरे की चाबी तुम्हारे पास कैसे आई।"
"आशीष के कमरे की डुप्लीकेट चाबी तेरे चाचा जी से लेकर आई हूं।"राधा की सहेली बताती है
और राधा से नाराज होकर कहती है "मैंने मना किया था ना कि आशीष के चक्कर में मत फस इसके ना घर परिवार का तुझे पता है और ना ही कौन है कहां से आया है यह पता है अब देख भाग गया ना लालची तेरे सारे रुपए जेवर लेकर।" राधा की सहेली कहती है
"तू ठीक कह रही है रूपए जेवर लेकर भाग गया तो ठीक लेकिन अब मुझे डर लग रहा है अगर मैं भी उसके साथ जाती तो लालची मुझे भी किसी को बेच सकता था।" राधा कहती है
और जिस मानव नाम के लड़के से परिवार की मर्जी से उसकी शादी होने वाली थी उसी से शादी कर लेती है और अपने मन में ठान लेती है कि आशीष को चोरी के इल्जाम की सजा जरूर दिलवा कर रहूंगी।
और शादी के छ महीने के अंदर ही आशीष के गांव का पता लगाकर उसे जेल में बंद करवा देती है और उसी शाम जब अपने मायके पहुंच कर अपनी छोटी बहन को अपना वह सूट सलवार पहने देखती है जो सूट सलवार जेवर रुपए कपड़ों के साथ उस बैग में रखा था जिस बैग को आशीष धोखा देकर चोरी करके भाग गया था।
उस सूट सलवार को देखकर राधा अपनी सबसे अच्छी सहेली के घर जाकर सारी सच्चाई का पता लगाती जाती है, तो उसकी सहेली राधा को बताती है कि "तुम्हारे माता-पिता तुम्हारे परिवार खानदान की बदनामी ना हो इसलिए मेरे सामने आशीष तुम्हारी मां को सारी बात बात कर बैंग और अपने कमरे की चाबी देकर उसी रात अपनेे गांव चला गया था।"
अपनी सहेली से सारी बात सुनकर राधा की आंखों से आंसू टपकने लगते हैं और राधा उसी समय आशीष के गांव जाकर अपनी पुलिस कंप्लेंट वापस लेकर आशीष को जेल से छुड़ा देती है।
और जब राधा के पति मानव को आशीष राधा की सच्ची प्रेम कहानी का पता चलता है, तो वह राधा को तलाक देकर राधा आशीष की खुशी से शादी करवा देता है और राधा से कहता है कि "मुझे इन छ महीनों में तुमसे सच्चा प्रेम हो गया है मैं इस छ महीने के प्रेम के सहारे ही अपना पूरा जीवन जी लूंगा।"
और अपनी आंखों में आंसू आने से पहले ही मानव आशीष और राधा को वहां अकेला छोड़कर वहां से चला जाता है।
राधा के लिए कभी भी समझना आसान नहीं हुआ कि प्रेम में आशीष की कुर्बानी बड़ी थी या मानव की।