कोविड रामायण –माधव जोशी –एक पाठकीय प्रतिक्रिया
प्रभात प्रकाशन ,दिल्ली से सुप्रसिद्ध कार्टूनिस्ट ,व्यंग्यकार ,समकालीन कलाकार माधव जोशी की वैश्विक महा मारी से पीड़ित वर्तमान भारत की राम कथा छप कर आई है.इस महामारी से पूरी दुनिया में मानवता प्रभावित हुई है .देश दुनिया इस महामारी के दुष्प्रभावों से वर्षों परेशान रहीं है और आगे भी दुःख व चिंता के क्षणों में राम कथा एक संबल के रूप में मदद को तैयार मिलेगी ,माधव जोशी का यह प्रयास स्तुत्य है.
उन दिनों की करुण यादें हर एक के जेहन में है. कटु यादों को भुलाना संभव नहीं है,लेकिन उन को एक आध्यात्मिक तरीके से सोच समझा जा सकता है.यहीं प्रयास इस पुस्तक में है. राम कथा हर युग में गाई गयी है आगे भी गाई जाती रहेगी ,जब भी मानवता पर संकट आएगा राम भी याद आयेंगे .पुस्तक को मोरारी बापू का आशीष है जब भी वे श्री नाथ जी में कथा कहतें है जरूर जाता हूँ पुस्तक लेखक के नानाजी को समर्पित है,
राम के चरित्र ने हजारों वर्षों से लेखकों, कवियों, कलाकारों, बुद्धिजीवियों को आकर्षित किया है, शायद ही कोई ऐसा क्षेत्र हो जिसमें राम के चरित्र या रामयण की चर्चा न होती हो। राम कथा स्वयं में सम्पूर्ण काव्य है, संपूर्ण कथा है और संपूर्ण नाटक हैं। इस संपूर्णता के कारण ही राम कथा को हरिकथा की तरह ही अनन्ता माना गया है। फादर कामिल बुल्के ने सुदूर देश से आकर राम कथा का गंभीर अध्ययन, अनुशीलन किया और परिणामस्वरूप राम कथा जैसा वृहद ग्रन्थ आकारित हुआ। रामकथा के संपूर्ण परिप्रेक्ष्य को यदि देखा जाये तो ऐसा ग्रन्थ अन्य किसी भाषा में उपलब्ध नहीं हुआ है।
राम कथा को शिव पार्वती ने गाया ,काक भुशुण्डी. ने गाया वाल्मीकि की आज्ञा से लव कुश ने गाया तुलसी ने गा या फादर कामिल बुल्के ने भी खूब अवगाहा , नरेंद्र कोहली ने लिखा रामानंद सागर ने फिल्माया,अन्य सेकड़ों लोगों ने लिखा गाया और यह परम्परा चलती ही रहेगी . अब राम कथा का एक नया अभिनव रूप माधव जोशी ले कर आये है. जो हमें एक गंभीर रोग से लड़ने की शक्ति देता हैं.प्रेरणा देता है .
हेमंत शर्मा ने सही लिखा
‘कोविड रामायण’ माधव जोशी का अभिनव प्रयोग है। यह एक फ्यूजन है अतीत का वर्तमान के साथ, कलम का ब्रश के साथ और रेखाओं का शब्दों के साथ। आप चमत्कृत होंगे; चौंक जाएँगे कि कोविड का रामायण से क्या संबंध? कोविड मानवीय इतिहास की सबसे बड़ी त्रासदी रही है। जब किसी को इस समस्या से निपटने का कोई रास्ता नहीं सूझ रहा था तब माधव जोशी ने सोचा वर्तमान को सुधारने के लिए अतीत से ही सबक लेना होगा क्योंकि अतीत के अनुभव पर वर्तमान जिन सपनों को गढ़ता है, वही हमारा भविष्य होता है। इस बिंबविधान के साथ माधव जोशी ने यह नई रामकथा गढ़ी है। इस कथा के जरिए माधव भूत और वर्तमान के समन्वय से ही भविष्य के खतरे का रास्ता ढूँढ़ते हैं। माधव रेखाओं के जादूगर हैं और शब्दों के अद्भुत शिल्पी। कार्टूनिस्ट थोड़े शब्दों में बड़ी बात कहता है। इस लिहाज से यह कोविड रामायण ‘देखन में छोटन लगे, घाव करे गंभीर’ है। इसमें अनेक रंगों की परिकल्पना, ब्रश का संयोजन और शब्दों का शिल्प साथ-साथ चले और प्रसूत हुए हैं। ऐसी है यह बेजोड़ रचना ‘कोविड रामायण’। माधव जोशी ने रामकथा के जरिए कोविड त्रासदी के मर्म को समझाया है। कोरोना धूर्त है, बहुरूपिया है, रावण की तरह अपना रूप बदलता है। इनसे निपटने के लिए माधव जोशी के पास कोदंड राम हैं, जो कोविड के खिलाफ जंग के प्रतीक हैं।पुस्तक को मोरारी बापू का आशीर्वाद प्राप्त है ,भूमिका कुमार विश्वास ने लिखी है.पुस्तक का प्रोडक्शन ,गेट अप शानदार है ,प्रभात प्रकाशन ने इसे दिल से छापा है.
.लेखकीय भूमिका राम कहो -में माधव जोशी ने कहा है-
कुछ लोग राम कथा के इस रूप से नाराज़ हो सकते हैं लेकिन रामायण का यह रूप जब रेखाओं तुलिका व् कलम से मिलता है तो रूप और निखर कर सामने आता है .
रामायण के पात्रों से यह नए रूप में परिचय कराता है जो पाठकों को दर्शक के रूप में भी पसंद आता है .
इस रामायण में रंग है,रूप है आस्था और विश्वास है जो कोविड से लड़ने की शक्ति देता है .
जब जब अन्याय होगा राम का जन्म होगा ,राम ही रोगों से लडेगा मानवता को बचाएगा .
और अंत में बाबा तुलसी दास का यह दोहा
सुनो भरत भावी प्रबल बिलख कहे मुनि नाथ I
हानि लाभ जीवन मरण जस अप जस विधि हाथ II
पुस्तक का नाम -कोविड रामायण लेखक-माधव जोशी प्रकाशक –प्रभात प्रकाशन दिल्ली .मूल्य-४०० रूपये पेज -१८०
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