ज़िंदगी संयोगों का ही नाम है।
जब राजा ने ये सुना कि नंदिनी नाम की इस लड़की की शादी बचपन में ही जिस लड़के से तय हुई थी वह अब उससे शादी नहीं करना चाहता। राजा को इसमें कुछ भी आश्चर्यजनक बात नहीं लगी। कितने ही लड़के ऐसा करते हैं और अब तो लड़कियां भी ऐसा करती हैं। जो लड़कियां पढ़ लिख जाती हैं वो अपना भला- बुरा भी समझने लग जाती हैं और फिर यदि उन्हें उनके घर वालों के द्वारा लिए गए निर्णय में कोई कमी या खोट नज़र आता है तो वो उनकी बात मानने से इंकार भी कर देती हैं।
लेकिन ये बात राजा के लिए ज़रूर नई थी कि उसे केवल कुछ साल का नकली विवाह करना है। दो या तीन साल बाद जब उससे कहा जाए कि बस, अब उस लड़की नंदिनी से संबंध समाप्त कर लो, तब वह उसे भूल जाए और अपनी रकम गिन ले, जिसका बड़ा हिस्सा उसे एडवांस में ही दे दिया गया है।
राजा के ज़मीर ने उससे पूछा, क्या राजा फरेब, धोखे, छल, कपट, बदमाशी में शामिल हो रहा है? लेकिन उसे समझाया गया कि नहीं! बिल्कुल नहीं! मां की कसम! बिजली की कसम!!
ज़मीर ने एक बार चुपके से उससे पूछा - बिजली की कसम क्यों? बिजली उसकी है ही कौन?
जवाब मिला, सब कुछ।
राजा के मन ने उसके ज़मीर को समझाया कि बीज तो एक कंकड़ के बराबर छोटा सा होता है। पर जब खाद पानी हवा पाकर धरती के बदन में धंस जाए तो वही नन्हा सा बीज एक भरा पूरा पेड़ बन जाता है। उसकी छांव फिर सब ढांप लेती है, खुद उस बीज की कहानी को भी। बिजली राजा के लिए ऐसा बीज ही तो थी।
रात को राजा जब खाना खाकर नज़दीक के एक पार्क में आकर अकेला बैठा तो एक शरारत भरा सवाल उसके जेहन में आया।
उसने अपने आप से ही ये सवाल किया और खुद ही झेंप भी गया।
सवाल यह था कि नंदिनी और उसके बीच किस तरह का रिश्ता होगा? वैसे तो इन दो या तीन साल के दरम्यान उसे काफ़ी समय नंदिनी से दूर ही रहना होगा पर शादी का नाटक या ढकोसला... ढकोसला ही तो, होने के बाद कुछ दिन रात तो उसकी परीक्षा की घड़ी की तरह आयेंगे ही। ऐसे में क्या वो नंदिनी को धोखा देगा? उसके साथ खिलवाड़ करेगा? उसके दिल को फरेब का सबक सिखाएगा?
यदि ऐसा हुआ तो उसे अपने ज़मीर के सामने मां और बिजली की कसम खाने का क्या औचित्य है? क्या ये सब धोखाधड़ी नहीं है!
लेकिन संयोग से एक दिन राजा को परदेस में ही उस लड़के से मिलने का मौक़ा भी मिल गया जिसका विवाह नंदिनी से होने जा रहा था और राजा को उसका ऐवजी बन कर ये नक़ली सगाई करनी पड़ी।
ये सब सालू की बदौलत ही संभव हुआ।
उस दिन फीनिक्स से वापस लौटते ही सालू और राजा को वह लड़का मिल गया। उसे सालू ने ही होटल में बुलवाया था। और तभी राजा को पता चला कि ये लड़का जो यहीं इसी शहर में रहता है वही कीर्तिमान है। इसी के पिता भारत में चीमा सिंह के पार्टनर हैं और इसी लड़के से नंदिनी के पिता ने केवल इसकी तस्वीर देख कर चीमू के कहने पर अपनी बेटी का संबंध तय किया था।
जल्दी ही कीर्तिमान और राजा आपस में घुलमिल गए। विदेश की धरती पर दो लगभग हमउम्र युवाओं को आपस में दोस्त बन जाने में देर न लगी। सालू को दोनों ही अंकल कहते थे। वह उनसे था भी काफ़ी बड़ा। और अच्छी हिंदी बोलने के बावजूद सालू भी आख़िर एक विदेशी ही तो था जो अब भारत आते जाते रहने के कारण सभी लोगों से घुल- मिल गया था।
लेकिन कीर्तिमान सचमुच राजा को अपने किसी पुराने दोस्त की तरह ही लगा। उससे कुछ बड़ा किंतु शालीन सुदर्शन खूबसूरत सा युवक।
दो - चार दिन में ही राजा उससे काफ़ी खुल गया।