Jahan Chah Ho Raah Mil Hi Jaati Hai - Part - 5 in Hindi Women Focused by Ratna Pandey books and stories PDF | जहाँ चाह हो राह मिल ही जाती है - भाग - 5

Featured Books
  • अपराध ही अपराध - भाग 24

    अध्याय 24   धना के ‘अपार्टमेंट’ के अंदर ड्र...

  • स्वयंवधू - 31

    विनाशकारी जन्मदिन भाग 4दाहिने हाथ ज़ंजीर ने वो काली तरल महाश...

  • प्रेम और युद्ध - 5

    अध्याय 5: आर्या और अर्जुन की यात्रा में एक नए मोड़ की शुरुआत...

  • Krick और Nakchadi - 2

    " कहानी मे अब क्रिक और नकचडी की दोस्ती प्रेम मे बदल गई थी। क...

  • Devil I Hate You - 21

    जिसे सून मिहींर,,,,,,,,रूही को ऊपर से नीचे देखते हुए,,,,,अपन...

Categories
Share

जहाँ चाह हो राह मिल ही जाती है - भाग - 5

हीरा लाल जिस तरह से सभी के लिए कुछ ना कुछ करते ही रहते थे इसलिए शक्ति सिंह की बेटी नीलू ने तुरंत ही उनके आग्रह को स्वीकार करते हुए कहा, "अरे बिल्कुल अंकल, कहिए ना क्या काम है आपको? मैं तो आपको नाम से जानती हूँ, मेरी सभी सहेलियाँ भी आपको अच्छी तरह पहचानती हैं और सब आपकी बेहद इज़्जत करती हैं।"

"बेटा तुम्हारा नाम क्या है?"

"नीलू नाम है अंकल मेरा।"

"बेटा मुझे जो काम है, उसके लिए तुम्हें मेरे साथ बाहर चलना होगा। बेटा नीलू, वह काम ऐसा है जो तुम्हारे सिवा और कोई नहीं कर सकता।"

"अंकल कहिए ना, जो भी काम होगा मैं ज़रुर करना चाहूंगी क्योंकि आपके साथ काम करना तो मेरा सौभाग्य होगा। आप जहाँ कहें मैं चलने को तैयार हूँ, बस अंकल आप दो मिनट का इंतज़ार कीजिए मैं अपनी माँ को कह कर आती हूँ।"

"बेटा मेरे विषय में उन्हें कुछ ना बताना क्योंकि हमें जो करना है, वह किसी को भी पता नहीं चलना चाहिए। मैं अगली गली में तुम्हारा इंतज़ार करूंगा, तुम वही आ जाना।"

"ठीक है अंकल।"

हीरा लाल उसके बाद तुरंत ही वहाँ से निकल गए। कुछ ही समय में नीलू भी उसी जगह पहुँच गई जहाँ हीरा लाल ने उसे बुलाया था। अब दोनों साथ-साथ चलने लगे। चलते-चलते हीरा लाल उसे, उसी गली में ले गए जहाँ पुरानी इमारत वाला घर था।

वहाँ जाकर हीरा लाल रुक गए और नीलू से पूछने लगे, "बेटा जानती हो, यह क्या है? यहाँ पर कौन रहता है?"

"नहीं अंकल, मैं यह तो नहीं जानती किंतु यह ज़रुर जानती हूँ कि कुछ तो ग़लत है, क्योंकि पिता जी मुझे हमेशा यहाँ से गुजरने के लिए मना करते हैं।"

"बेटा तुमने कभी अपने पापा से पूछा नहीं कि वह क्यों मना करते हैं?"

"नहीं अंकल बचपन से मना किया है इसलिए कभी इस विषय में मैंने सोचा ही नहीं।"

"लेकिन मेरे साथ तुम इस गली में भी बिना कुछ पूछे ही आ गईं।"

"हाँ अंकल, मैं जानती हूँ कि आपने कुछ नेक काम करने के लिए ही मुझे बुलाया है। फिर आपसे प्रश्न कैसा? मैं आपके लिए, इस समाज के लिए और लड़कियों के लिए सब कुछ करने के लिए तैयार हूँ। अंकल मैं तो कब से आपसे मिलना चाहती थी लेकिन डरती थी कि आप मिलेंगे या नहीं।"

"ठीक है बेटा, सुनो तुम पढ़ी-लिखी परिपक्व लड़की हो। मैं समझता हूँ, जो मैं करने कहने जा रहा हूँ उसे तुम ध्यान और शांति से सुनोगी। बेटा नीलू इस पुरानी इमारत में गरीब और मजबूर लड़कियों को लालच देकर या धोखे से बुलाया जाता है। जो एक बार वह यहाँ आ गईं तो फिर उनका वापस निकलना नामुमकिन हो जाता है। बेटा उन्हें पाप के ऐसे कुएँ में ढकेल दिया जाता है, जहाँ शायद कोई भी लड़की नहीं जाना चाहती। बेटा मैं इस गंदगी से, बेटियों को बचाना चाहता हूँ। उन्हें भी एक अच्छी, इज़्जत से जीने वाली ज़िंदगी देना चाहता हूँ। क्या तुम मेरी मदद करोगी नीलू बेटे?"

"अरे अंकल आप बताएँ कि मैं इसमें आपकी और इन बेबस लड़कियों की क्या मदद कर सकती हूँ? मैं ज़रुर करना चाहूंगी।"

"बेटा मैंने तो अपनी तरफ़ से कोशिश कर ली लेकिन काम नहीं बना। जो इंसान इसे चलाता है, मैंने उससे बात की उसे पूरी इमारत के बदले पैसे देने का भी प्रस्ताव दिया किंतु वह किसी भी क़ीमत पर नहीं माना। यहाँ तक कि मेरी बिटिया के लिए अप्रत्यक्ष रूप से मुझे धमकी भी दे दी। मैं तुम्हें अपनी बिटिया से भी मिलवाऊंगा।"

उसके बारे में हीरा लाल ने नीलू को सब कुछ बता दिया। विजया के विषय में हीरा लाल के मुँह से सब कुछ सुनकर नीलू की आँखों में आँसू आ गए और हीरा लाल की इज़्जत उसकी नज़रों में और अधिक बढ़ गई।"

 

रत्ना पांडे, वडोदरा (गुजरात)
स्वरचित और मौलिक
क्रमशः