Maa - 1 in Hindi Short Stories by Anita Sinha books and stories PDF | मां। - भाग 1

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मां। - भाग 1


मां ईश्वर की अनमोल सौगात है। जो संतानों पर करती
ममता की बरसात है। मां सृजन करती है जो सृजन की
प्रतिमूर्ति हैं। मां बच्चों को जन्म देती है। लालन पालन
बड़ी ममता और दुलार से करती है। बच्चे मां के लिए
प्राणों से भी अधिक प्यारे होते हैं। बच्चों की देखरेख
से बढ़कर मां की जिंदगी में और कुछ नहीं है।पल पल
ख्याल रखती है नौनिहालों का।मगन रहती है बच्चों के सपने सलोने को साकार करने में पूरी जिंदगी बिता‌
देती है। मां ममतामई और करुणामई है। मां स्नेह का
संसार है जो बच्चों की पालनहार है। लोरी सुनाती कभी
नहीं थकती है। खुद गीले में सो जाती है बच्चों को सूखे
बिस्तर में सुलाती है। मां को नहीं लगता है ठंडा और ना
लगती है चिलचिलाती धूप वो तो लुटाने को तैयार रहती है बच्चों पर परम सुख अनूप। हंसी खुशी का खजाना लेकर उपहार में आती है ईश्वर से मां। कभी नहीं बच्चों से रूठती है मां। मां तो शक्ति स्वरुप है। मां के दैत्य भी
भाग जाते हैं। सचमुच डर के मारे वो तो कांपते हैं।
मां की प्रेम जादूगरी बड़ी अनोखी होती है।वो बच्चों को
झूले में झुलाती चली जाती है मगर थकती नहीं है। बस
झूले की डोरी कस कर पकड़ी रहती है हाथों में।देख कर
यों लगे कि कोई उठा कर ले जाए बच्चों को सेकेंड में।
मां की ममता का क्या बखान करुं मैं। लिखते लिखते
थक जाऊं मैं। पर कभी मां के लिए लिखना नहीं भूलूंगा मैं। लेखनी को चलाऊंगा मां शारदे की कृपा से और मां
की वर्णना करने में समय बिताऊंगा। हां जी ! बिल्कुल
मां की तारीफ हम क्या करें वो तो ब्रह्माण्ड की बेमिसाल रचना है जो कहाती हीरा मोती और लाल है। चिंता नहीं करने देती है बच्चों को । बस स्वयं चिन्तन बन जाती है
भगवान जी से दिन रात वंदन करती है। वो तो बच्चों
का करुण स्पंदन तुरंत सुन लेती है। तन मन धन से समर्पित होकर बच्चों को देती है जीवन। मां को नित नित वंदन। मां का कौन कर सके मुकाबला । वो तो
लेकर चलती है संग बच्चों का काफिला। ना रहती खुद की चिंता वो क्या खाएगी। बच्चों को भोजन कराने के लिए वो सूर्योदय से पहले ही बिस्तर छोड़ देती है। गुनगुनाते हुए गीत भोजन बनाती है। ढककर किचन में
पहले रख कर आती है। फिर स्वयं के लिए चाय बनाती है वो भी उपले पर। उपले नहीं तो अखबार जला कर
चाय बना लेती है। बच्चों के जगने के पहले ही बिस्तर
के पास जाकर देख कर आती है। तब मुंह हाथ धोती
है। बच्चों के लिए गुनगुना पानी करती है। फिर दूध के एक बोतलें उबालती है। उसे थोड़ा ठंडा पानी में डालती है। तब तक वो इधर उधर नहीं जाती है। बोतलों को
लेकर स्वच्छ सेल्फ में रखती है। फिर मिश्री पानी बनाती है। छोटे-छोटे चम्मच को पानी में उबालकर इस्टरलाइज
करती है। वो डरती है कि बच्चों का पेट खराब नहीं हो
जाएं यही चिंता लिए हुए फिर जाकर बच्चों को प्यार से जगाती हैं। मां तो ममता का सागर है जो बच्चों को
प्यार की लहरों से हलराती दुलराती है। मां बच्चों की। प्यारी होती है। बच्चों के लिए मां दुनिया की सबसे
खूबसूरत उपहार होती है।

मां को शत शत नमन करते हैं।