Parivartan - 3 in Hindi Adventure Stories by Kishanlal Sharma books and stories PDF | परिवर्तन - उसके प्यार में - 3

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परिवर्तन - उसके प्यार में - 3

माँ तो चाहती थी मुझे किसी अच्छे घर मे ब्याह दे।मा ने मुझे अपने से दूर रखकर मेरी परवरिश की थी।लेकिन थी तो वेश्या की बेटी ही जिसके बाप का और खानदान को कोई पता नही था।मुझे अपनी रखैल बनाने के लिए तो बहुत लोग तैयार थे।लेकिन बीबी बनाने के लिए कोई नही।मेरी माँ ने दर दर पर दस्तक दी पर मेरे लिए जैसा वह चाहती थी।वैसा वर नही खोज पाई और इसी गम में बीमार पड़ गयी।इतनी बीमार की उसे केंसर हो गया।मैं मा को इलाज के लिए दिल्ली के कोठे से निकाल कर मुम्बई ले आयी।मा ने जो भी जमा पूंजी जोड़ी थी।उसके इलाज में खर्च हो गयी।।तब मैं मा के इलाज के लिए नौकरी की तलाश करने लगी।जब मुझे कही नौकरी नही मिली तब मुझे इस बार मे नौकरी करनी पड़ी।केंसर कोई मामूली बीमारी तो है नही।इसके इलाज के लिए बहुत पैसा चाहिए।और माँ के इलाज के लिए मुझे वो काम भी करना पड़ा जो मा नही चाहती थी
"अब कहा है तुम्हारी माँ?"
"अपने को बेचकर भी मैं मा को नही बचा पाई।"अपनी माँ को याद करके उसकी आवाज रुंध गयी।आंखे नम हो गयी
"इला ईश्वर जे आगे किसी की नही चलती।"इला को सांत्वना देने के लिए राजन ने अपना हाथ उसके कंधे पर रखा था।
और उनके बीच मौन छा गया।सिर्फ कार की आवाज आ रही थी।एक गेट बंद कॉलोनी के पार्किंग में जाकर कार रुकी थी।राजन कार से नीचे उतरकर बोला,"आओ
इला,राजन के कहने पर कार से नीचे उतरी थी।वह राजन के पीछे पीछे चलने लगी।लिफ्ट के रास्ते राजन इला को तीसरी मंजिल पर ले गया था।एक फ्लैट के सामने रुक कर उसने दरवाजा खोला और बोला,"अंदर आ जाओ
इला के अंदर आने के बाद राजन ने फ्लेट का दरवाजा बंद कर दिया था
"तुम इतने बड़े फ्लेट में अकेले रहते हो?"फ्लेट के अंदर आकर फ्लेट को निहारते हुए इला ने पूछा था।
"फिलहाल तो अकेला ही रहता हूँ।"राजन ,इला को अपने बेडरूम में ले आया।
"देखो वो मेरा वार्डरोब है।उसमें से जो अच्छा लगे निकाल कर पहन लो।और यहां सो जाओ।मैं ड्राइंग रूम में सो जाता हूँ।"
"ऐसा क्यो?"
"पलंग एक ही है।इस पर तुम सो जाओ।"
"लेकिन यह डबल बेड है।इस पर हम दोनों आराम से सो सकते है।"
"तुम्हे असुविधा होगी।"
"नही।"
और इला के प्रस्ताव को राजन ने स्वीकार कर लिया था।इला काफी देर तक जगती रही।राजन पहला आदमी नही था,जो उसे अपने साथ लाया था।अक्सर कोई न कोई उसे साथ चलने का ऑफर देता और वह चली जाती।साथ ले जाने वाला बड़ा उतावला और बेसब्र होता।वह उसे अपने घर ले जाते ही उस पर टूट पड़ता।जैसे भूखा भेड़िया अपने शिकार पर।लेकिन राजन ने ऐसा नही किया।काफी देर तक वह सोचती रही।राजन उसके शरीर को नोचने के लिए उसकी तरफ बढ़ेगा।लेकिन जब राजन सो गया।तब वह समझ गयी।राजन उसे अपने साथ अपने शरीर की प्यास बुझाने के लिए नही लाया है।और राजन के सोने के बाद वह भी सो गई।
सुबह जब उसकी आंख खुली तो उसने समय देखा।आठ बजे चुके थे।उसे चाय की तलब महसूस होने लगी।वह पहली बार राजन के फ्लैट में आई थी।वह किचन में जा पहुंची।उसने सब चीजें तलाश कर चाय बनाई और दो कपो में डाली।और दोनो कप लेकर बेडरूम में जा पहुंची