The Author Swati Follow Current Read रक्षाबंधन By Swati Hindi Short Stories Share Facebook Twitter Whatsapp Featured Books પ્રેમ થાય કે કરાય? ભાગ - 21 સગાઈ"મમ્મી હું મારા મિત્રો સાથે મોલમાં જાવ છું. તારે કંઈ લાવ... ખજાનો - 85 પોતાના ભાણેજ ઇબતિહાજના ખભે હાથ મૂકી તેને પ્રકૃતિ અને માનવ વચ... ભાગવત રહસ્ય - 118 ભાગવત રહસ્ય-૧૧૮ શિવજી સમાધિમાંથી જાગ્યા-પૂછે છે-દેવી,આજે બ... ગામડા નો શિયાળો કેમ છો મિત્રો મજા માં ને , હું લય ને આવી છું નવી વાર્તા કે ગ... પ્રેમતૃષ્ણા - ભાગ 9 અહી અરવિંદ ભાઈ અને પ્રિન્સિપાલ સર પોતાની વાતો કરી રહ્યા .અવન... Categories Short Stories Spiritual Stories Fiction Stories Motivational Stories Classic Stories Children Stories Comedy stories Magazine Poems Travel stories Women Focused Drama Love Stories Detective stories Moral Stories Adventure Stories Human Science Philosophy Health Biography Cooking Recipe Letter Horror Stories Film Reviews Mythological Stories Book Reviews Thriller Science-Fiction Business Sports Animals Astrology Science Anything Crime Stories Share रक्षाबंधन (2) 1.5k 3.3k 1 रक्षाबंधन ये ऐसे रिश्ते की डोरी का नाम है जो हर एक बहन अपने भाई की कलाई मे बांधती है । चाहे वो अमीर हो या गरीब , हर बहन भाई को इस दिन का इंतजार रहता है ।हर बार की तरह इस राखी पे भाई ने अपनी बहन के लिए पैसे , गिफ्ट्स का इंतजाम कर रखा था , हर साल की तरह इस साल भी वो सुबह उठकर नहा धोकर तैयार था , पर शायद उसको पता नही था की इस साल उसकी कलाई में रखी नही होगी ।मां उदास थी , भाई इंतजार में था की उसकी बहन आकर उसे राखी बंधेंगी । लेकिन वो कहते है , की बेटियां पराई होती है शायद किसी ने सच ही कहा था । सब कुछ बदल चुका था , वो राखी के लिए बैठे बैठे सुबह से शाम हो गई पर उसकी बहन नही आई । आती भी कैसे उसकी शादी जो हो गई थी ।क्या शादी हो जाने के बाद भाई और बहन के रिश्ते खत्म हो जाते है क्या मां ? उसने मां से पूछा , मां ने बोला नहीं बेटे शायद तेरी दीदी को कोई काम आ गया होगा इसकी वजह से वो घर न आ सकी । भाई उदास होकर चुप चाप घर से बाहर चला गया ।जब राखी का दिन खत्म हो गया तो वो अपनी कलाई देख बहुत उदास हो गया और रोने लगा उसने मां के गोद पे सर रख कर खूब रोया और बोला मां क्या दीदी मुझसे नाराज़ है या गुस्सा है जो इस बार राखी पे वो घर न आ सकी क्यू मां क्यू नही आ सकी दीदी । मां ने उसे चुप कराया और बोला देख बेटे जब तेरी दीदी की शादी नहीं हुई थी तब तक उसका सिर्फ एक परिवार था मैं तेरे पापा दीदी और तू , लेकिन अब तेरी दीदी की शादी हो गई है तो उसके दो परिवार हो गए है । अब वो इस परिवार को लिए उस परिवार को छोर कर आना थोड़ा कठिन हो जाता है बेटे । इस वजह से वो तुझे राखी बांधने न आ सकी मेरे बेटे ।बेटा उदास हो कर अपनी कलाई देखता और बोलता मां ऐसा क्यों होता है शादी के बाद अपना परिवार को क्यू नही मिलने आ सकते है क्या बचपन का रिश्ता इतना कमजोर होता है क्या मां ? मां ने बोला नहीं बेटा ऐसा नहीं है तो उसका बेटा पूछता है मां क्या तुम मामू को भी राखी बांधने नही जाती थी क्या मां शांत हो गई कुछ नही बोली वो , बेटे ने बोला बोल ना मां तूने भी शादी के बाद मामू को राखी नही बांधा। मां ने बोला नहीं बेटे ऐसा नही है मैं जाती थी तेरे मामू के पास राखी बांधने बहुत साल तक गई ।लेकिन शायद कुछ रिश्ते बस कुछ ही दिन तक टिकते है तेरे मामू की शादी हो गई तेरी मामी मुझे अपने घर के अंदर आने नही देती थी ,तो मैंने जाना छोर दिया और हर राखी में मैं एक राखी तेरे मामू के यहां डाक के द्वारा भेजवा दिया करती थी ।तभी उसने बोला तो मां दीदी भी तो मुझे राखी भेजवा सकती है क्यू नही भेजा मां दीदी ने ।मुझे उसकी राखी का इंतजार रहेगा मां मेरी सुनी कलाई मेरी दीदी की बहुत याद दिलाती है मां ।बहुत याद करता हु मै दीदी को वो कैसे भूल सकती है हमारा बचपन । रक्षाबंधन ही एक ऐसा त्योहार है जो भाई बहन के रिश्ते को जोर कर रखता है ।कोई भी बहन कैसे भुल सकती है अपने भाई को ऐसा किसी को भी नही करना चाइए ।।स्वाती Download Our App