Desire in Hindi Short Stories by Roshni Indorkar books and stories PDF | ख्वाहिश

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ख्वाहिश

 

 

 पीहू को बचपन से ही लड़कों की तरह रखा गया था जिसकी वजह से वह खुद को लड़का ही समझने लगी थी l हाव-भाव बोलचाल सभी लड़कों जैसा था अरे पीहू चल गुड़ीया के साथ खेलते हैंl नहीं बाबा मुझे नहीं पसंद गुड्डा गुड़िया तू ही खेल l अरे पर तू तो लड़की है लड़कियों को तो यही सब पसंद है ना l बोला ना परेशान मत कर मुझे क्रिकेट खेलने जाना है l गुस्से में वह निकल जाती है l यह सब देख रही मां को बहुत बुरा लगता है वह बाबा से इस बारे में बात करती हैl देख पीहू कि मां मुझे इस बारे में बात करना पसंद नहीं है तुझे पता है ना चार लड़कियों के बाद हमारी कितनी आश थी लड़के की पर पीहू हो गई पर वो लड़की नहीं हमेशा मेरा बेटा बनकर ही रहेगी l इस बारे में मुझे कुछ और नहीं सुनना l शांति दु:खी होकर अम्मा से इस बारे में बात करती है lअरे शांति तुझे क्या है मेरा लल्ला यदि इसमें खुश है तो रहने दे क्यों उसके पीछे पड़ी है l निराशा के साथ शांति बाई सब अंदर ही सह लेती हैl

  जैसे-जैसे पीहू बड़ी हो रही थी उसमें शारीरिक बदलाव आने लगे थे पर इन सबसे परे वह खुद को बाबा का बेटा ही मानती थी l गांव में बस पांचवी तक स्कूल था आगे की पढ़ाई के लिए उसे शहर में पढ़ना होगा काफ़ी कोशिसो के बाद l

  आखिरकार उसे शहर में नए स्कूल में डाल दिया गया पर उसके स्वभाव मैं कुछ बदलाव नहीं आया लड़कों जैसा आचरण उसका अभी भी था l स्कूल के सभी बच्चे उसका मजाक उड़ाते थे l उसे अच्छा नहीं लगता था जब बच्चे उसे चिढ़ाते थेl

 एक दिन यूं ही उदास सी वो छत पर जाकर बैठी थी कि तभी वहां नेहा आती है l क्या हुआ??? कुछ भी तो नहीं l झूठ मत बोलो तुम्हारे चेहरे पर साफ नजर आ रहा है l देखो पीहू मुझे भी सब छुटकी बोल कर चिढ़ाते हैं l पर मैं उनकी बात पर ध्यान नहीं देती हां मैं हूं छोटी.....पर मैं इस बात को स्वीकार करती हूं l इसलिए मैं दु:खी नहीं हूं तुम भी अपने अंदर झांको तुम्हें भी जवाब जरूर मिल जाएगा l ऐसा कह कर वो नीचे चली जाती है

 यह बातें उसके दिमाग में रात भर घूमती रही अंततः आज उसने खुद को स्वीकार लिया उसने खुद को लड़की की तरह तैयार किया l उससे मिलने जब उसका परिवार आया तो पीहू का ये नया अवतार देखकर उसकी मां खुद को रोक नहीं पा रही थी बाबा को भी धक्का लगा पर वह समझ गए प्रकृति ने जो भी हमें दिया है हम उसे अपने तरीके से नहीं बदल सकते l बाबा आज उसे गले लगा कर बहुत रोए शायद उन्हें अपनी गलती समझ आ गई थीl ओर शयद उनकी लड़के की चाहत अब ना रही हो क्योंकि वो सच्चाई जान चुके है वह बहुत खुश है उनकी बच्ची ने सही निर्णय लिया है l 

 

 स्वरचित

 रोशनी डोंगरे