चमकी को इसमें कोई भी परेशानी नहीं हुई। परेशानी क्या होनी थी। पुलिस थाना था भी पास में, और उसमें काम करने वाले विक्रम अंकल तो उसकी एक सहेली के पापा ही थे। सब काम फटाफट हो गया।
अब तक तो काम निपटाने की भाग - दौड़ में चमकी के मन में कोई खलबली नहीं आई थी पर अब घर में लौट आने के बाद एक डूबी उदासी उसके चारों ओर फैलने लगी।
उसने मां को कुछ नहीं बताया था। बापू अभी तक आए नहीं थे। वो जानती थी कि ये खबर ऐसी नहीं है कि जिसे छिपाया जा सके। और ऐसी भी नहीं है कि मां- बापू को बता दे और आसमान न टूटे।
चमकी इस ख्याल से ही दहल गई कि जब वो बिजली के गुम हो जाने की ख़बर मां को देगी तो क्या कयामत आएगी। लेकिन दिए बिना पार पड़नी भी तो नहीं थी। अभी थोड़ी ही देर में बापू भी आ जायेंगे और फिर ये ढूंढ तो मचेगी ही कि बिजली कहां है? क्या काम से अब तक नहीं लौटी? चमकी कैसे बताएगी कि बिजली आज काम पर नहीं गई थी बल्कि उसके साथ एक सहेली की सगाई में गई थी और वहीं से गायब हो गई। बिजली कोई बच्ची है कि ज़रा सी पारिवारिक चहल- पहल में इधर- उधर गुम हो जायेगी? चमकी साथ में थी। क्या उसे ज़रा भी भनक नहीं लगी कि जवान लड़की मन में इतना बड़ा मंसूबा पाल कर साथ चल रही है। सगाई की भीड़ - भाड़ भरे घर में इस बात की तो रत्ती भर भी संभावना नहीं थी कि किसी ने बिजली का अपहरण कर लिया होगा या कोई उसे जोर जबरदस्ती से अपने साथ ले गया होगा।
तब?
तब क्या बिजली अपनी मर्जी से घर से भाग गई? मगर कहां? क्यों? किसके साथ!!!
कोई कुछ नहीं जानता था। चमकी ने चारों ओर ढूंढ लेने के बाद बड़ी बहन का फ़र्ज़ इतना तो निभा दिया था कि पुलिस में रिपोर्ट लिखवा दी, मगर इससे क्या होता है। लड़की का कुछ अता- पता तो चले।
चमकी कितनी भी तेज़ और फांदेबाज़ सही पर लड़कों की तरह सारी रात तो उसे ढूंढती नहीं रह सकती थी। आख़िर लौट कर आना ही पड़ा। अपने एक दोस्त के साथ उसकी बाइक पर बैठ कर जहां- जहां उसे तलाश कर सकती थी वहां तो खोज ही आई थी।
नंदिनी के घर वाले भी सकते में आ गए थे कि उनके यहां शुभ कार्य के बीच में से ऐसा हादसा हो गया।
अब चमकी के सामने सबसे बड़ी चुनौती तो ये थी कि मां को कैसे बताए?
दुनिया की हर मां एक दिन अपनी बेटी को विदा करती है लेकिन वहां सजा- संवार कर अपने पसंद किए हुए आदमी के साथ मेल- मिलाप हुए परिवार में भेजा जाता है, और तब भी सारे घरवाले रो- रो कर बेहाल हुए रहते हैं... यहां? इस तरह?? क्या हाल होगा मां का? सोच कर ही चमकी कांप जाती थी। कैसे बताए, क्या करे!
काश, बापू के वापस लौट कर आने से पहले पुलिस उसका कुछ पता लगा लाए! क्यों कि तब तक तो मां भी काम में लगी रहेगी। बापू के आने के बाद उसे चेत होगा कि बिजली कहां है!
रह - रह कर चमकी अपने आप को ही कोसती थी कि उसने बिजली से अपने साथ चलने के लिए कहा ही क्यों? वो तो घर में आराम से बैठी थी। जाना भी नहीं चाहती थी। चमकी के ही ज़ोर देने पर चलने को तैयार हुई। लेकिन चमकी को ही कहां मालूम था कि ऐसा होगा। यदि मालूम होता तो बिजली को अपने से अलग होने ही क्यों देती।
चमकी की आंखों में आंसू आ गए जब दरवाज़े पर बापू के आने की आहट सुनाई दी।