Atit ke panne - 40 in Hindi Fiction Stories by RACHNA ROY books and stories PDF | अतीत के पन्ने - भाग 40

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अतीत के पन्ने - भाग 40

मुझे न,,मैं मैं करती हूं रो रही थी।

आलेख ने देखा मैं तुम्हारी मदद कर सकता हूं एक अच्छे डाक्टर कि सलाह लें सकती है।।
पिया ने कहा अरे बहुत सारे डाक्टर के पास गए हम पर कुछ नहीं हुआ तो एक रात मैंने देखा मेरे पिता समान,ससुर जी मैं पास आकर बैठ गए और फिर बोले कि देखो घर की बात घर में ही रहेगी।।
मैं तो यह सुनकर दंग रह गई और किसी तरह से खुद को बचा कर बाथरूम में जाकर बन्द कर के बैठ गई।
आलेख ने कहा बस करो मुझे यह सब नहीं सुनना है तुमने मुझे दुख देने के लिए वीर से शादी कि थी और आज भगवान ने तुमको मुसीबत में डाल दिया।
अब क्या चाहिए तुम्हें?
पिया ने कहा पता है दूसरे दिन वीर ने कहा कि जाओ जहां से भी हो बस मां बन कर आ जाओ।।
मैं रोती हुई घर से निकल गई।।
मैं क्या करूं तुम बताओ।। एक दिन मैंने ही तुम्हें ठुकराया था पर आज मैं खुद तुम्हारे पास आई हुं।।
मुझे एक रात दे दो बस!!
आलेख ये सुनते ही आगबबूला हो गए और पिया के गालों पर चांटा जड़ दिया।।चुप करो ! क्या बोले जा रही है तुम! ऐसा नहीं हो सकता है मैंने तो तुमसे सच्चा प्यार किया है पर तुम ये क्या मांग बैठीं।। चली जाओ मेरी नज़रों के सामने से!!
पिया ने अपने आंसु पोंछते हुए कहा हां ठीक कहा तुमने।।मैं तो ग़लत हुं पर क्या तुमको अच्छा लगेगा कि मैं किसी बाजार में जाकर अपना सौदा करूं।
अगर ऐसा हुआ तो मुझसे से ज्यादा तकलीफ़ तुम्हें होगी है ना।।
देखा आलेख मुझे ग़लत मत समझना मैं तुम्हारे पास इसलिए आई थी कि तुम्हारा और मेरा रिश्ता एक पवित्र रिश्ता है क्या हुआ अगर हम शादी न कर पाएं।।
प्यार तो हमेशा करते थे, करते हैं और करते रहेंगे।।

आलेख ने कहा ओह फिर तुमने किस लिए यह सब किया खुद को सजा सुनाई और मुझे भी।।
ओह ओह छोटी मां देखो ये सब क्या हो गया।इस हवेली में आप भी खुश नहीं थी और आज मैं भी वहीं खड़ा हु जहा पर आप खड़ी थी।।
नाकाम मुहब्बत है ये।।
रूसवाई है तो कहीं तन्हाई है।।
क्या करें तू दिल का बेदर्द इश्क है।।
तूं ने तो वेवफाई की पर मैंने तो तुमसे ही मुहब्बत किया।।
चारों तरफ शहनाई थी।।
पर अन्दर था मातम।।
ये दर्द भी दिया तुमने।।
अब दवा भी तू दे दे।।
नाकाम मुहब्बत है। मुहब्बत है। मुहब्बत है।।


पिया ने कहा मुझे जो कहना था कहा दिया मैंने अब देखना है कि तुम क्या करते हो?
आलेख ने कहा पागल हो गई हो तुम।।
मैंने कभी भी ऐसा सोचा नहीं था एक सपना देखा था कि हम दोनों शादी करेंगे और फिर हमारे बच्चे भी होंगे पर तुम ये पाप मुझसे करवाना चाहती हो।।
छि छि पिया मेरा प्यार तुम्हारे लिए सिर्फ एक रात है और कुछ भी नहीं।।
इससे अच्छा तो तुम मुझे जहर लाकर दे दो।
पिया ने कहा अच्छा अब मैं चलती हूं ज्यादा समय नहीं है मेरे पास।
दो दिन बाद मुझे बता देना क्या करना है।
आलेख ने कहा चली जाओ यहां से।।
पिया वहां से रोती हुई लौट गई।
और फिर आलेख ने खुद को एक कमरे में बंद कर दिया और फिर उसके मन में कई सारे सवाल उठता रहा और आलेख को कचोटता रहा।।
क्या सही है क्या ग़लत है।
आज पापा आपकी याद बहुत आ रहा है क्या करूं अपने प्यार की खातिर ये सब करूं।
छोटी मां देखो आज पिया भी खुद के बारे में सोच रही है मेरे लिए उसके दिल में तो कुछ भी नहीं है उसे सिर्फ एक बच्चा चाहिए मुझसे और कहती हैं कि प्यार करती है।।
आलेख हंसने लगा और फिर रोने लगा।
आज फिर उस अतीत के पन्ने ने मुझे एक भयानक पाप करने को विवश कर दिया।

मैं कितना बेबस हुं जिसे प्यार करता हूं वो कभी मेरी नहीं हो सकती पर मुझे एक रात के लिए उसका पति बनने को कह रही है हां, हां वो बहुत बेवफा निकली।।

दो दिन इस तरह से निकल गया।
पिया तो इस इन्तजार में थी कि आलेख जरूर उसकी तकलीफ़ को समझ पाएगा।

आलेख सोचता रहा कि क्या करें?
छोटी मां आप तो सब कुछ समझती है मुझे क्या करना चाहिए? उसे मना कर दूं या फिर सब्र का बांध तोड़ दूं।।
आलेख ने अपनी आंखें बंद कर दिया और उसे लगा जैसे कि छोटी मां उसे कुछ बता रही हैं उसके कानों में अपने दिल की सुनो क्या कहता है।।


आलेख ने जैसे ही अपनी आंखें खोली तो देखा कोई नहीं है और वो चिल्लाता रहा छोटी मां ओ छोटी मां।।

क्या अतीत में जो कुछ हुआ था इस हवेली में वो फिर से दोहराया जाएगा।।

कुछ देर बाद ही आलेख ने देखा कि उसके मोबाइल पर मैसेज आया है।
पिया ने लिखा था दोनों दिन हो गया पर तुमने तो कुछ।।।।।
मैं क्या करूं?
आलेख ने मैसेज पढ़ा और फिर लिखने लगा कि क्या कल आ सकती हो?

पिया ने कहा ओके।।


क्रमशः