रेत का महल बसाया था l
खूबसूरत आशियाना था ll
साथ साथ जीने के लिए l
अरमानो से सजाया था ll
देखने वाले भी रश्क करे l
बड़े चाव से सँवारा था ll
मुहब्बत की निशानी में l
संगेमरमर लगाया था ll
फरिश्तों ने आकर सखी l
पाकीज़गी से बनाया था ll
१६-८-२०२३
बचपन के दिन सुहाने थे l
वो सच्चे और रूहाने थे ll
चाहत चांद को पाने की l
हसी परियों के ज़माने थे ll
बारिस में काग़ज़ की नाव l
खिलोने को गले लगाते थे ll
हसीं ठिठोली सँग खेल कूद l
यार दोस्त बड़े मस्ताने थे ll
रोने की कोई वजह नहीं l
कहानियों में अफ़साने थे ll
१७-८-२०२३
आँखों के समन्दर में डूबना चाहते हैं l
प्यार का खजाना लूटना चाहते हैं ll
मेरे पास मेरे अलावा कुछ नहीं बचा l
आख़िर सब मेलों से छूटना चाहते हैं ll
ज्यादा ही तेज़ लम्बी दौड़ हो गई है l
लम्हा दो लम्हा अब रुकना चाहते हैं ll
तकदीर में तरसना क्यूँ लिख दिया?
खुदा मिल जाए तो पूछना चाहते हैं ll
इजाज़त हो तो इतनी शरारत कर ले l
महबूब के सजदे में झुकना चाहते हैं ll
१८-८-२०२३
बुढ़ापा में तजुर्बा होता है l
जवानी में अजूबा होता है ll
चहेरे पर सुर्खियों से क्यूँ?
परेशान दिलरुबा होता है l
निगाहें सोने नहीं देती है l
जाम ही हमजुबा होता है ll
चाहत की इन्तहा तो देखो l
सखी प्यार सूबा होता है ll
बचपन से बुढ़ापे तक l
जीस्त में मर्तबा होता है ll
१९-८-२०२३
फूल मुस्कुराना सिखाते हैं l
प्यार में अजूबा दिखाते हैं ll
चल एक साथ बेठकर कहीं l
मुहब्बत का जाम पिलाते है ll
अकेले में सब से छिपकर l
आँखों से अश्क मिटाते है ll
कुछ उलझने कुछ कोशिशे l
तारे गिनके रात बिताते हैं ll
जान लेके जिंदा छोड़ देके l
ख़ुद से ख़ुद को मिलाते हैं ll
२०-८-२०२३
मिट्टी की खुशबु दिल में बसा ले l
क़ायनात में प्यार का दीप जला ले ll
हर कोई शहर वीरान कर रहा है l
आज उजड़ ने से बस्तियाँ बचा ले ll
लोग फ़ूलों से मार डालते हैं सखी l
हो सके दिलों से नफरते मिटा ले ll
अपने आप में हौसला बढ़ाकर l
ग़लत को ग़लत बोलके दिखा दे ll
ये अलग बात है शराबी नहीं है l
हाथों से नहीं नजरों से पिला दे ll
२१-८-२०२३
सरहद पे सैनिक शौर्य दिखाते है l
घर में वीरांगना शौर्य दिखाती है ll
पाती हैं दो पल सुकूं आँख बंध करके l
ताउम्र याद में ज़िन्दगी बिताती है ll
खुशीयाँ जल्द ही दामन भर देगी l
अपनों को ये दिलासा दिलाती है ll
हौसलों से जीवन में आगे बढ़कर l
खुशियो का महासागर पिलाती है ll
परेशानीयों को मात देकर दिन रात l
जिंदादिली से परिवार को जिताती है ll
२२-८-२०२३
बच्चे के आँसूं से भीगता आँचल l
उसकी हसीं से खिलता आँगन ll
क्या कहें कुछ कहा भी नहीं जाता l
अल्फाज़ में छलकता अपनापन ll
असर देखो बेजुबान प्यार में l
माँ के साथ जुड़ा होता है मन ll
धरा से सदा जुड़े रहना चाहिए l
पंचभूत मिट्टी से बना है तन ll
जो मिल नहीं सकता उसे पाने की l
जिद बनता है आँसू का कारन ll
२३-८-२०२३
आओ आज हाथों से चांद छुने चले l
गले मिल दिल के अरमान पूरे करे ll
कई दिमाग वालो की कोशिशों रंग लाई l
सालोंसे सबके जिगरमें ख्वाहिश पले ll
दूर से देखते रहते थे मुरादों से रात में l
आ नजदीकी से बड़ी मुहब्बत से मिले ll
बाद मुद्दतों के तक़दीर ने साथ दिया l
जीभर देख ले, कोई न रह जाए गिले ll
चाहत मिलने की आज पूरी हो गई है l
चल चंदा की जमीन पर निशानी सिले ll
२४-८-२०२३
हरी भरी वसुंधरा देख मन पुलकित हो उठा l
मदभरी फ़िज़ाओं का लुफ्त उठाने मैं चला ll
हरियाली के साथ गुफ़्तगू करके आज सखी l
दिलों औ दिमाग को अजीब सा सुकूं मिला ll
जैसे कि धरती पर जन्नत की हूर उतर आई l
बेहतरीन नजारों ने रोमटे को दिया हिला ll
यादों में बसा लेगे कुदरत की कारीगरी को l
बेनमून व अफलातून क़ायनात की है लिला ll
चारौ ओर खुशियों की बारिस हो रहीं हैं देख l
फूलों की जाजम का रंग लीला पिला निला ll
२५-८-२०२३
हीना के खिलते रंग की सुर्खी गालों पर महके है l
नजर से नजर मिलते ही मन का मोर चहके है ll
तेरे काफ़िले के साथ चलने का जुनून सिर चढ़ा है l
जरा सा पास आए तो दिल का खिलौना बहके है ll
मुकम्मल दीदार के लिए खिड़की से झाकते रहते हैं l
चांद देखने के अरमान दिन रात सीने में दहके है ll
पांच मिनिट भी बात होती है तो जी बहल जाता है l
याद करते ही चहरे का नूर लज्जा से लहके है ll
लम्हों का इश्क़ नहीं सदियों की इबादत है सखी l
रोज ख्वाबों में आ जाते हैं जो ना आने का कहके है ll
२६-८-२०२३
रक्षाबंधन का त्योहार है आया l
संग प्रीत के धागों को है लाया ll
पवित्र सच्चा भाई बहन का प्यार l
स्नेह का सागर उमड़ के आया ll
राखी के अनूठे बंधन में बाँध के l
ताउम्र रक्षा का आशीर्वाद पाया ll
नकचढ़ी नखरारी प्यारी बहना पर l
भाई का साथ रहता जैसे साया ll
भाई बहना का रिसता है निराला l
अनमोल बेनमून तोहफ़ा भाया ll
सदा खुशियाँ से फूले फले वीरा l
बहन के रूप में माँ की छाया ll
२७-८-२०२३
ये जीवन है एसे भी फ़साने होगे l
अब अश्कों को भी छुपाने होगे ll
इस क़दर डूब है अपनेआप में l
बिना आवाज़ के ज़माने होगे ll
प्रेम को जिंदा रखने के लिए l
मुहब्बत के खजाने लुटाने होगे ll
सखी साज ए नगमा छेड़ दो कि l
दिल बहलाने को सुनाने होगे ll
पत्थर को नरम बनाना है तो l
रूठे हुए को खुद मनाने होगे ll
चुप रहके मुस्कराना पड़ता है l
रिसते सिद्दत से निभाने होगे ll
२८-८-२०२३
रक्षाबंधन का त्योहार है आया l
संग प्रीत के धागों को है लाया ll
पवित्र सच्चा भाई बहन का प्यार l
स्नेह का सागर उमड़ के आया ll
राखी के अनूठे बंधन में बाँध के l
ताउम्र रक्षा का आशीर्वाद पाया ll
नकचढ़ी नखरारी प्यारी बहना पर l
भाई का साथ रहता जैसे साया ll
भाई बहना का रिसता है निराला l
अनमोल बेनमून तोहफ़ा भाया ll
सदा खुशियाँ से फूले फले वीरा l
बहन के रूप में माँ की छाया ll
२७-८-२०२३
दुनिया रंगीन हो गई तेरे आने के बाद l
गंभीर संगीन हो गई तेरे आने के बाद ll
तेरी हर धड़कन मेरे दिल में धडकती है l
तुझ में लीन हो गई तेरे आने के बाद ll
सुनो तुम कहीं भी रहो, रहोगे मुझ में ही l
जल की मीन हो गई तेरे आने के बाद ll
दुआ आमीन हो गई तेरे आने के बाद ll
चंचल मन बावरा हो गया है l
खुली फिजाओं में उड़ रहा है ll
राहों में ख़ुद का इंतजार किया l
वहा है प्रियतम रहता जहां है ll
चाहो तो एक बार आजमा लेना l
सखी नहीं ढूँढ सकोगे वहां है ll
सारी उम्र आरज़ू में ही कट गई l
कब से ढूंढते है सुकूं कहां है ll
मुहब्बत लिबास नहीं के बदलें l
दर्द जुदाई का ताउम्र सहा है ll
३१-८-२०२३
मैं और मेरे कृष्णा
कृष्ण की दिवानी बांसुरी आज दिवाना बना रहीं हैं l
कृष्णा की आश में वन उपवन सुरों से सजा रहीं हैं ll
कुछ ज़ख्म सयाने हो गये हैं कि दर्द भी नहीं देते l
सोए हुए बैचेन और बैखोफ अरमान फ़िर जगा रहीं हैं ll
बेपन्हा बेइंतिहा प्यार में पागल और दिवानी होकर l
प्रिये को रिझाने वो होठों से लग के दिल लगा रहीं हैं ll
अनगिनत छेद ही छेद अंदर और बाहर होते हुए l
फासला कम करने खुद को खुद के भीतर समा रहीं हैं ll
फ़िज़ाओं में मदमस्त बहलाने वाली सुरावली छेड़ कर l
सखी को मुहब्बत की राग और रागिनी सुना रहीं हैं ll
३१-८-२०२३
सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह