Last Part -4 अपनी अपनी ज़िंदगी
इस से पहले आपने पढ़ा कि रेखा ने प्रोफेस्सर के कहने पर उसे अपनी बेटी को बोर्डिंग स्कूल में भेज दिया . इसके बाद प्रोफ़ेसर का रेखा के यहाँ आना जान बढ़ गया . एक दिन प्रोफ़ेसर अचानक पहुँचने पर रेखा पूछ बैठी - आप कब आये . अब आगे पढ़ें .....
“ मैं बस अभी अभी आया . “
“ आज रवि की पुण्यतिथि है .”
“ मैं समझ गया था . “
रेखा की आँखें फिर छलक आईं . प्रोफ़ेसर ने आगे बढ़ कर अपनी रूमाल से उसकी आँखें पोंछीं . रेखा ने उन्हें रोकने का उपक्रम भर किया . फिर कहा “ कभी कभी अतीत रोने को मजबूर कर देता है . “
“ तुम्हारा कहना सही है . अतीत को भूलना आसान भी नहीं है पर जिंदगी में आगे बढ़ना भी बहुत जरूरी है . तुम्हारे साथ यह दुर्घटना बहुत ही कम उम्र में हुई है . फिर भी तुम्हारे साहस की दाद देता हूँ , तुमने भरसक आगे बढ़ने का उत्तम प्रयास किया है .”
“ अच्छा , इन बातों को छोड़िये . आप बैठें मैं चाय लेकर आती हूँ . “
कुछ मिनट बाद चाय की एक घूँट पी कर प्रोफ़ेसर ने कहा “ मैंने तुम्हारी थीसिस का विषय चुना है . इस विषय पर कॉलेज की लाइब्रेरी में कुछ पुस्तकें उपलब्ध हैं और कुछ मेरी पर्सनल लाइब्रेरी में भी हैं . “ इतना बोल कर उन्होंने कुछ पेपर रेखा को दिए . इसके लिए यूनिवर्सिटी एक टेस्ट लेती है , बस एक औपचारिकता समझो . .उसके बाद तुम ऑनलाइन Phd के लिए एनरोल कर सकोगी . “
“ जी थैंक्स , पर क्या इतना सब मैं कर सकूंगी ? “
“ व्हाई नॉट , श्योर यू कैन डू . और मैं हूँ न .बस तुम्हें पहला कदम आगे बढ़ाना है , मंजिल ज्यादा दूर नहीं है . “
“ मैं प्रयास करूंगी . वैसे आप मेरे लिए इतना कुछ कर रहे हैं , मैं तो बदले में कुछ नहीं कर सकती हूँ . “
“ बस तुम आगे बढ़ो , मुझे बहुत अच्छा लगेगा . “ बोल कर प्रोफ़ेसर ने उसकी पीठ थपथपाई और कहा ‘ अच्छा अब चलता हूँ . “
दो महीने बाद गर्मी की छुट्टियां होने वाली थीं . इस बीच वीकेंड में रेखा और राखी प्रोफेसर के साथ गुवाहाटी के बोर्डिंग स्कूल जाते रहे . प्रोफ़ेसर हर बार रेखा को बेटी के दाखिले के लिए प्रोत्साहित करते . आखिर रेखा इसके लिए तैयार हो गयी और छुट्टियों के पहले उसने बेटी के दाखिले के लिए फॉर्म भर दिया . इधर साथ में रेखा ने टेस्ट दिया और क़्वालीफाई भी किया . प्रोफ़ेसर ने शाबासी देते हुए अपने हाथ से मिठाई खिलाई तो रेखा ने ‘ बस बस अब और नहीं ‘ कह कर हँसते हुए उनका हाथ थाम लिया ‘ . फिर संकोचवश जल्दी से उनका हाथ छोड़ दिया .
प्रोफ़ेसर ने कहा “ अब समय आ गया है , पी एच डी के लिए तुम ऑनलाइन एनरोल कर लो . “ बोल कर उन्होंने अपना लैपटॉप खोला और रेखा को अपने निकट बैठने को कहा . रेखा को लैपटॉप देते हुए कहा “ लो फॉर्म भरो . “
“ अब यह काम भी आप ही कर दीजिये . “
“ ठीक है , तुम डिटेल्स बोलती जाओ . मैं फॉर्म भरते जाऊँगा . “
थोड़ी देर में फॉर्म पूरा कर उन्होंने रेखा को सबमिट बटन क्लिक करने को कहा . रेखा ने सबमिट किया
गर्मी की छुट्टी में प्रोफ़ेसर रिया को अपने घर ले आये . रिया और राखी में अच्छी दोस्ती हो गयी थी . ज्यादातर प्रोफ़ेसर रिया को छोड़ने के बहाने रेखा के घर आते और घंटे दो घंटे वहीँ गुजारते . कभी रेखा भी प्रोफ़ेसर के यहाँ पुस्तक ढूढ़ने जाती तो राखी को साथ ले जाती . दोनों बच्चियां अलग कमरे में खेला करतीं या टी वी देखतीं और इस बीच रेखा और प्रोफ़ेसर दोनों साथ रहते . दोनों अपने अपने सुख दुःख शेयर करते .
गर्मी की छुट्टियाँ समाप्त हुईं तब रेखा प्रोफ़ेसर के साथ बेटी के दाखिले के लिए गुवाहाटी गयी , रिया भी साथ थी . लौटते समय रेखा की आँखें नम थी . प्रोफ़ेसर के पूछने पर वह बोली “ मैं पहली बार बेटी से अलग हो रही हूँ न , इसलिए . “
प्रोफ़ेसर ने उसके आँसू इस बार टिश्यू पेपर से पोंछे और कार को सरदार के ढाबे के सामने रोक कर कहा “ चलो कुछ ठंडा लेते हैं . “
दोनों एक केबिन में बैठे . प्रोफ़ेसर ने दो लस्सी आर्डर किया . लस्सी पीने के बाद रेखा उन्हें देख कर हंसने लगी . पूछने पर उसने कहा “ आपको सफ़ेद मूंछें निकल आयीं हैं . “
“ इसी बहाने तुम्हें हँसते देख अच्छा लगा . “ और उन्होंने अपनी रूमाल से होठों को साफ़ कर कहा “ अब मूंछें शेव कर ली न ? “
“ अभी नहीं “ और रेखा ने टेबल से नैपकिन लेकर बाकी सफाई कर कहा “ अब हो गया . “
रेखा का टेम्पररी टीचिंग समाप्त हो गया था और वह अपनी पढ़ाई में ज्यादा समय बिताती . प्रोफ़ेसर शर्मा उसे गाइड भी करते , दोनों का मिलना जुलना होता रहा . प्रोफ़ेसर उसे लेकर गुवाहाटी जाते जहाँ दोनों अपनी अपनी बेटी से मिलते . एक दिन उन्होंने रेखा से कहा “ अब हर वीकेंड जाने की जरूरत नहीं है . अपनी थीसिस पर ध्यान दो . “
ऐसे में रेखा अकेलेपन से उदास हो जाती .प्रोफ़ेसर आकर अपनी सहानुभूति जताते . इस बीच रेखा की महरी कुछ दिनों के लिए छुट्टी ले कर अपने गाँव गयी . धीरे धीरे यही हमदर्दी दोनों में एक दूसरे के प्रति आकर्षण का कारण बन गयी और वे काफी करीब होने लगे . अब दोनों साथ साथ घूमते , कभी कभी मूवी भी देखने जाते . कुछ दिनों के बाद महरी छुट्टी से वापस आ गयी . एक दिन सुबह सफाई करते समय रेखा के कमरे से सिगरेट का एक टुकड़ा मिला . उसके मन में कुछ संदेह हुआ पर वह चुप रही . महरी ने प्रोफ़ेसर को घर के अंदर कभी सिगरेट पीते नहीं देखा था . वैसे जब भी वे वापस कार में बैठते सिगरेट जलाना नहीं भूलते .
समय का पंछी इस डाल से उस डाल उड़ता रहा . प्रोफ़ेसर की बेटी ट्वेल्व कर कॉलेज में चली गयी थी . रेखा की बेटी भी इलेवेंथ में थी . वह अब बड़ी हो चुकी थी औरत मर्द के रिश्तों के विषय में पूरी तरह अनभिज्ञ नहीं थी . मम्मी कभी उसे सिखाती थी कि लड़कों से दूरी बना कर रहना और ध्यान रहे भूले से भी उनसे शारीरिक स्पर्श न हो . हालांकि कभी उसने कुछ ऐसा वैसा देखा नहीं था फिर भी उसने महसूस किया कि मम्मी और प्रोफ़ेसर अब पहले की तरह नहीं रह गए हैं . उसे याद आया एक बार जब Phd की डिग्री मिली तब रेखा ने प्रोफ़ेसर के पाँव छुए थे तब प्रोफ़ेसर ने उसे गले से लगा कर कहा था “ अब तुम असिस्टेंट प्रोफ़ेसर के पद के योग्य गयी हो . देखती रहना जैसे ही कहीं वेकन्सी निकले अप्लाई कर देना . वैसे मैं भी देखता रहूंगा . “
राखी को यह कुछ अजीब लगा , उसके मन में प्रश्न उठता कि क्या यह सब सिर्फ गुरु शिष्या के रिश्ते के चलते है . पर उसने किसी से कुछ नहीं कहा और वह चुप रही .
मास और साल बीतते गए . प्रोफ़ेसर की बेटी अब दिली में जॉब कर रही थी . राखी को भी इंजीनियरिंग कॉलेज में ही कैंपस ऑफर मिल गया था . छह महीने की ट्रेनिंग के बाद अमेरिका में करने के लिए कंपनी ने राखी से ऑप्शन मांगी . राखी मम्मी को छोड़ कर अमेरिका नहीं जाना चाहती थी . उसे कोलकाता की पोस्टिंग अच्छी लगी क्योंकि कोलकाता गुवाहाटी से फ्लाइट से एक घंटे के अंदर पहुंचा जा सकता था . उसने रेखा से सलाह ले कर ऐसा फैसला लिया था . रेखा ने भी कहा था - अगर मेरे साथ नहीं रह कर भी कहीं आस पास के शहर में भी तू नौकरी करे तो मेरे लिए अच्छा रहेगा , मुझे लगेगा कि मेरा संबल मेरे निकट है .
राखी की कुछ ट्रेनिंग कोलकाता में होनी थी और बाकी एक महीने की ट्रेनिंग बेंगलुरु में होनी थी . कोलकाता ट्रेनिंग के दौरान वह अक्सर वीकेंड में माँ के पास आ जाया करती . एक दिन सुबह अचानक राखी अपने घर आयी . ताला बंद देख कर उसने पर्स से डुप्लीकेट चाभी से दरवाजा खोला और माँ से फोन कर पूछा “ मम्मी तुम कहाँ हो ? . “
“ तुम अचानक कैसे आ गयी ? तुम्हारे आने का कोई प्रोग्राम नहीं था ? “ रेखा ने कहा
“ अपने घर आने के लिए मैं कभी भी फ्री हूँ न मम्मी ! “
“ हाँ बेटे , मैं ग्रोसरी के लिए निकल गयी थी . आधा घंटा में आ जाऊंगी . महरी भी किसी समय आ सकती है . अच्छा ही है तुम घर पर हो . “
उसी समय प्रोफेसर की कार आ कर घर के सामने रुकी . कार कॉलेज का ड्राइवर चला कर आया था . उसने कहा “ शर्माजी का चश्मा कल रात यहाँ छूट गया था . उन्होंने मंगवाया है . “
एक पल के लिए राखी विचलित हुई फिर कहा “ रुको , मैं देखती हूँ . “
राखी ने देखा कि प्रोफ़ेसर का चश्मा बेड की बगल में साइड टेबल पर पड़ा था और पास रखे ऐश ट्रे में सिगरेट का टुकड़ा भी था . उसे मन में कुछ घिन सा आया . खैर वह चश्मा लेकर ड्राइवर को देने जैसे निकली वैसे ही महरी ने प्रवेश किया . उसने पूछा “ बेबी , आप अचानक . दीदी ने तो बताया था आज आपके आने का प्रोग्राम नहीं था वरना मैं आपकी पसंद का खाना बनाने की तैयारी पहले से कर के रखती . “
“ खाना कुछ भी खा लूँगी . “ बोल कर वह ड्राइवर को चश्मा देने गयी और लौटते समय बोली “ प्रोफ़ेसर अंकल का चश्मा छूट गया था . “
राखी ने महसूस किया कि महरी के चेहरे पर एक व्यंग्यात्मक मुस्कान पसर गयी थी . वह अंदर अंदर घुट कर रह गयी .
कुछ देर में रेखा लौट कर आयी तब उसने महरी से बेटी की पसंद का खाना बनाने के लिए कहा . राखी ने जवाब दिया “ नहीं , उसकी कोई जरूरत नहीं है . जल्दी से जो भी बन जाए खा लूंगी . “
“ क्यों , किस बात की जल्दी है ? अभी अभी तो आयी हो . “ माँ ने कहा
“ नो मम्मी . मुझे गुवाहाटी से पांच बजे शाम की फ्लाइट पकड़नी है . “
“ क्यों ? “
कम्पनी ने कहा है कि बेंगलुरु से सीधे मुझे अमेरिका जाना होगा . मेरे पास कोई ऑप्शन नहीं है . “
“ छोड़ दे ऐसी नौकरी , नौकरी दूसरी मिल जाएगी . “
“ पर शायद मुझे अमेरिका जाने का चांस इतनी जल्दी नहीं मिले . मुझे भी अपने तरीके से जीने का हक़ है . “
लंच के बाद राखी टैक्सी से गुवाहाटी के लिए रवाना हो गयी . रेखा टैक्सी से निकलते हुए धुएं की लकीर को देखती रह गयी .
समाप्त
नोट - कहानी पूर्णतः काल्पनिक है