Wo Maya he - 33 in Hindi Adventure Stories by Ashish Kumar Trivedi books and stories PDF | वो माया है.... - 33

Featured Books
  • अपराध ही अपराध - भाग 24

    अध्याय 24   धना के ‘अपार्टमेंट’ के अंदर ड्र...

  • स्वयंवधू - 31

    विनाशकारी जन्मदिन भाग 4दाहिने हाथ ज़ंजीर ने वो काली तरल महाश...

  • प्रेम और युद्ध - 5

    अध्याय 5: आर्या और अर्जुन की यात्रा में एक नए मोड़ की शुरुआत...

  • Krick और Nakchadi - 2

    " कहानी मे अब क्रिक और नकचडी की दोस्ती प्रेम मे बदल गई थी। क...

  • Devil I Hate You - 21

    जिसे सून मिहींर,,,,,,,,रूही को ऊपर से नीचे देखते हुए,,,,,अपन...

Categories
Share

वो माया है.... - 33



(33)

शांतनु दिशा को समझा रहे थे कि ज़िंदगी में सुख दुख आते जाते रहते हैं। ना ही सुख को पकड़ कर रखने की कोशिश करनी चाहिए और ना ही किसी दुख के कारण जीना छोड़ना चाहिए। जीवन हर हाल में आगे बढ़ते रहना चाहिए। उन्होंने मनीषा का उदाहरण देते हुए कहा,
"अपनी मम्मी को ही देख लो। वह भी तो अकेली रह गई थी। लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी। संघर्ष किया और अपनी ज़िंदगी को पटरी पर ले आई।"
दिशा ने मुस्कुरा कर कहा,
"मैं भी ले आऊँगी काकू। जो प्यारा दोस्त मम्मी के पास था वह मेरे पास भी है। अब इतने अच्छे दोस्त के रहते कोई हार कैसे मान सकता है।"
उसकी बात सुनकर शांतनु के चेहरे पर भी मुस्कान आ गई। उन्होंने कहा,
"आज तुमने पहले की तरह बात की है। दिल खुश हो गया। चलो इसी बात पर तुमको अपनी स्पेशल चाय बनाकर पिलाता हूँ।"
"अच्छी बात है काकू.... बहुत दिन हुए आपकी वाली चाय पिए।"
शांतनु उठकर किचन में चले गए। दिशा भी उनके साथ किचन में चली गईं। शांतनु चाय बनाने लगे। दिशा उनकी छोटी मोटी मदद करने लगी। उसके मन में अभी भी पुष्कर की मौत से जुड़े प्रश्न घूम रहे थे। शांतनु चाय बनाते हुए बात कर रहे थे। उन्होंने दिशा से कहा,
"मनीषा तुम्हें लेकर परेशान हो गई है। वह तुम्हारा दुख समझती है। इसलिए चाहती है कि तुम उसके साथ रहो।"
उन्होंने दिशा की तरफ देखकर कहा,
"सच कहूँ तो पुष्कर का अचानक चला जाना एक बहुत बड़ा धक्का है। मैं भी उससे उबर नहीं पाया हूँ। ना जाने कौन था जिसने इतनी बुरी तरह से उस पर हमला किया।"
दिशा खुद इसी सवाल को लेकर परेशान थी। शांतनु की बात सुनकर उसने कहा,
"काकू.... आपको पुष्कर की पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बारे में कुछ पता है।"
"इंस्पेक्टर हरीश यादव से बात हुई थी। उन्होंने बताया था कि किसी धारदार हथियार से पुष्कर की छाती पर वार किया गया था।‌ उनका कहना था कि हथियार पंजे की तरह रहा होगा।"
यह बात सुनकर दिशा को आश्चर्य हुआ। उसने कहा,
"पंजे की तरह का हथियार ?"
"रिपोर्ट के अनुसार पुष्कर की छाती पर जैसे निशान थे उन्हें देखकर ऐसा ही लग रहा था।"
शांतनु ने जवाब देते हुए चूल्हा बंद कर दिया। दिशा ने दो कपों में चाय डाली। दोनों अपना अपना कप लेकर सोफे पर जाकर बैठ गए। शांतनु ने दिशा से कहा,
"पीकर बताओ कैसी है ?"
दिशा ने एक सिप लेकर कहा,
"हमेशा की तरह लाजवाब....."
उसके मन में एक सवाल उठ रहा था। उसने कहा,
"काकू इतने धारदार हथियार से दिन के समय हमला हुआ। बहुत लोग थे वहाँ। किसी ने भी पुष्कर को चिल्लाते नहीं सुना।"
"मेरे मन में भी यही सवाल आया था। इंस्पेक्टर हरीश यादव ने बताया कि पुष्कर की गर्दन पर वार करने का निशान था। उनका कहना था कि उस जगह वार करके पहले उसे बेहोश कर दिया गया था। इसलिए वह चीखा चिल्लाया नहीं।"
दिशा सोचने लगी कि जिसने भी पुष्कर को मारा वह हत्या करने के इरादे से ही आया था। उसे फिर उस आदमी की याद आई जो ढाबे पर उसे और पुष्कर को घूर रहा था। उसने वह बात शांतनु को बताई। शांतनु ने कहा,
"यह तो महत्वपूर्ण बात है। तुमने पुलिस को बताया था ?"
"काकू....उस समय मेरी क्या हालत थी आप समझ सकते हैं। उस दिन पुलिस ने कुछ सवाल पूछे थे और मैंने उनके जवाब दिए थे। पुलिस ने ऐसा कुछ पूछा भी नहीं ना ही मैंने बताया। आपके आने से कुछ देर पहले ही मुझे यह बात याद आई।"
"तुम उस आदमी के बारे में विस्तार से बता पाओगी ?"
"पूरी कोशिश करूँगी कि जो याद है बताऊँ।"
शांतनु ने कुछ सोचकर कहा,
"मेरी स्केचबुक और सामान घर पर है। मेरे साथ चलो। उसका स्केच बनवा देना। फिर मैं इंस्पेक्टर हरीश यादव से बात करता हूँ।"
दिशा के चेहरे पर चमक‌ आ गई। उसने कहा,
"अरे हाँ काकू.....आप तो उसका स्केच बना सकते हैं। आप बना दीजिए तो पुलिस को मदद मिलेगी।"
"मैं कोई प्रोफेशनल नहीं हूँ। पर पूरी कोशिश करूँगा कि इस तरह ही पुलिस की मदद कर सकूँ।"
दिशा यह सोचकर खुश हो रही थी कि पुष्कर के हत्यारे को खोजने में स्केच से पुलिस को बड़ी मदद मिल जाएगी। शांतनु भी चाय पीते हुए सोच रहे थे कि पुष्कर की हत्या का कारण क्या हो सकता है। उन्होंने दिशा से कहा,
"डिम्पी....पुष्कर की हत्या के बारे में उसके घरवालों की क्या राय है ? उन्होंने कभी किसी पर शक जताया।"
दिशा ने कहा,
"उन लोगों को शक नहीं बल्कि पूरा यकीन है।"
शांतनु चाय का कप मेज़ पर रखकर सीधे बैठ गए। उन्होंने कहा,
"कौन है वह जिसे वो लोग पुष्कर का कातिल मानते हैं ? उसके खिलाफ कोई शिकायत क्यों नहीं की ?"
दिशा के चेहरे पर एक व्यंग भरी मुस्कान आ गई। उसने कहा,
"क्योंकी उसके खिलाफ पुलिस कोई कार्यवाही नहीं कर सकती है।"
दिशा की ऐसी बातें सुनकर शांतनु परेशान हो रहे थे। उन्होंने कहा,
"डिम्पी साफ साफ बताओ क्या बात है ?"
"काकू....मेरे ससुराल वाले जिसे दोषी मानते हैं उसे मरे हुए बहुत समय हो गया है।"
शांतनु आश्चर्य से उसकी तरफ देखने लगे। दिशा ने उन्हें माया वाली बात बताई। उसने कहा,
"उन लोगों का मानना है कि माया ने ही विशाल भइया की पत्नी और बच्चे को मारा। अब उसके श्राप के कारण ही पुष्कर की जान गई है। अस्पताल में आपने मेरे गले में ताबीज़ देखकर सवाल किया था। तब मैंने ससुराल की परंपरा बताकर टाल दिया था। वह ताबीज़ माया से हिफाज़त के लिए था।"
"तुमने उनकी बात पर यकीन कर लिया था ?"
"नहीं काकू.... मैंने और पुष्कर ने ताबीज़ पहनने से मना कर दिया था। बहुत हंगामा हुआ था।"
दिशा ने ताबीज़ वाली बात पर जो कुछ हुआ था सब बता दिया। शांतनु ने कहा,
"तभी तुम दोनों समय से पहले वापस आ रहे थे।"
"हाँ काकू.....वहाँ का माहौल तनाव भरा था। रहना मुश्किल हो रहा था। इसलिए हमने ताबीज़ पहनना स्वीकार कर लिया और वहाँ से निकल गए। रास्ते में पुष्कर का ताबीज़ खो गया। उसके साथ वह हादसा हो गया।"
"डिम्पी... तुम्हें यह तो नहीं लगता है कि पुष्कर के साथ हुए हादसे का कारण ताबीज़ का खोना था।"
"बिल्कुल नहीं काकू..... भवानीगंज से यहाँ आने के बाद तो मैंने खुद अपना ताबीज़ निकाल कर फेंक दिया।"
"अच्छा किया बेटा..... पता नहीं तुम्हारी ससुराल वाले ऐसी बातों पर यकीन कैसे करते हैं। अपनी एक बहू और पोते की मौत को इन बातों के पीछे छुपा दिया। अब पुष्कर की मौत पर भी वही कर रहे हैं। मैं पुष्कर की मौत का मामला ऐसे ही बंद नहीं होने दूँगा।"
"काकू मैं भी यही चाहती हूँ कि सच सामने आए। आप मेरी मदद कीजिएगा प्लीज़।"
"चलो फिर अभी से काम शुरू करते हैं। मेरे घर चलो। स्केच बनवा दो।"
दिशा शांतनु के साथ उनके घर चली गई।‌ शांतनु ने अपनी स्केच बुक ली और उसके बताए हुलिए के आधार पर एक स्केच तैयार किया। स्केच पूरा हो जाने के बाद दिशा ने उस पर एक नज़र डाली।‌ उसने कहा,
"काकू आप तो किसी प्रोफेशनल से कम नहीं हैं। पुलिस का स्केच आर्टिस्ट भी शायद इतना सटीक ना बना पाता। यह स्केच बहुत कुछ उसकी तरह ही लग रहा है।"
"ठीक है..... मैं अभी इंस्पेक्टर हरीश यादव से तुम्हारी बात करवाता हूँ। तुम उन्हें सारी बात बताना। मैं उन्हें यह स्केच भेज दूँगा।"
शांतनु ने इंस्पेक्टर हरीश को फोन किया। उनकी दिशा से बात कराई। दिशा ने सारी बात विस्तार से बता दी। इंस्पेक्टर हरीश ने उससे पूछा कि क्या उस आदमी के पास मोटरसाइकिल थी। दिशा ने कहा कि वह कह नहीं सकती है। इंस्पेक्टर हरीश ने शांतनु से कहा कि वह स्केच को स्कैन करके ईमेल कर दें। इंस्पेक्टर हरीश ने उन्हें एक ईमेल आईडी दी। शांतनु ने स्केच को स्कैन करके ईमेल से भेज दिया।

इंस्पेक्टर हरीश ने उस स्केच का प्रिंटआउट निकलवाया। उस स्केच को ध्यान से देखा। लेकिन उसे ऐसा नहीं लगा कि उस आदमी का किसी पुराने केस से कोई संबंध हो। पुष्कर के केस को लेकर वह उलझा हुआ था। हत्या में पंजेनुमा हथियार का इस्तेमाल होना बहुत अजीब सा था। लाश मिलने की जगह मोटरसाइकिल के पहिए के निशान से यही अंदाज़ा लगा था कि कातिल मोटरसाइकिल से आया था। लेकिन अब तक की जांच में कुछ भी ऐसा ठोस सामने नहीं आया था जिससे कातिल के बारे में कुछ भी पता चल सके।
दिशा ने जो जानकारी दी थी उसके आधार पर आगे बढ़ा जा सकता था। उसने तय किया कि उस दिन ढाबे पर लगे एकमात्र सीसीटीवी कैमरे की फुटेज को अच्छी तरह देखेगा। उस दिन की सीसीटीवी फुटेज थाने में थी। उसने कांस्टेबल शिवचरन को बुलाया। उससे कहा कि वह लैपटॉप लेकर आए जिसमें ढाबे की सीसीटीवी फुटेज है।
इंस्पेक्टर हरीश सीसीटीवी फुटेज को ध्यान से देख रहा था। सीसीटीवी कैमरा ढाबे के बाहर लगा हुआ था। फुटेज में ढाबे के बाहर खड़ी गाड़ियों और ढाबे में आने वाले लोगों की रिकॉर्डिंग थी। इंस्पेक्टर हरीश ने दिशा और पुष्कर के ढाबे पर पहुँचने के समय से आधे घंटे पहले से रिकॉर्ड हुई फुटेज देखना शुरू किया। वह ध्यान से देख रहा था कि कोई ऐसा आदमी आया था जिसका हुलिया दिशा के बताए हुए हुलिए से मिलता जुलता हो।
स्क्रीन पर वह टैक्सी ढाबे के सामने रुकती हुई दिखाई पड़ी। दिशा और पुष्कर उतर कर अंदर चले गए। ड्राइवर ने गाड़ी ऐसी जगह खड़ी की जहाँ वह कैमरे में दिखाई पड़ रही थी।
दिशा और पुष्कर के पहुँचने के पाँच मिनट बाद एक आदमी ढाबे के अंदर जाता दिखा। वह वैसा ही दिख रहा था जैसा स्केच में था।