और अभी दोनों बहने चांदनी की बेटी की तरफ पालने में लगी गयी थी लेकिन तब फिर से सानव ने देदेखा की हमरे घर में चंदन् फिर आने जाने लगा है तो सानवी को अपने माता-पिता के लछन कुछ ठीक दिखाई नही दे रहे थे तो सानवी ने पूछा क्या तुम ही हमारे नये खरीददार हो क्या
चंदन ने सानवी के जाने के बाद शादी कर ली थी क्योंकि इतने दिनों बाद सानवी चंदन को देख कर हैरान हुई थी तुम यहां सानवी ने चंदन से कहा तो चंदन ने बडी़ बेशर्म सेसे कहा मै यहां तेरे लिए नही बल्कि चांदनी की बेटी के लिए आया हूँ सानव केके गुस्से की सीमा ही नही रही और सानवी ने चंदन को कुछ नहीं कहा और सिधा अपने भाई की गर्दन पकड़ कर कहा क्या तुम कैसा मामा हैं रे तुम्ह जरा लाज शरम बची है कीनही चिनी सात साल छोट सी बबच्ची हैं तुम हैवान कहलाने के लायक भी बचा रे अपनी ही दूध पीती भानजी का सौदा करने से पहले तुम डूब कर मर क्यों नहीं गया और सानवी के भाई की हिम्मत नहीं हो रही थी कि वो अपनी बहनों से नजरें मिला सके लेकिन फिर बेशरमों की तरह खडा़ रहा सानवी ने कहा देखा चांदनी दीदी आपने क्या करने जा रहा है हमारा भाई और चांदनी भी सीर झुका कर खडी हुई थी तो सानवी ने कहा दीदी आज भी हमारे समाज की महिला चुपी साधे बैठी रहती ये सब इस लिए हो रहा क्योंकि हम चुपचाप अपनो कहे अनुसार चल रही है और माता पिता और या फिर कोई बाहरी मर्द हमारे घर में दखलंदाजी करते क्योंकि हम औरते इस को ये करने के लिए बढ़वा दे रही और ये मर्द लोगों हमारी कमजोरी का नाजायज फायदा उठा रहे हैं क्योंकि हम लडकीयों जन्म से बडो़ का कहना मानने की घुट्टी पालाते है ताकी हम लडकीयां किसी गलत रास्त पर नाना जाये लेकिन जब हमार जन्मदाता ही हमे बेचने के तैयार रहते हैं तो हम किसी जा कर अपनी फरियाद सुनाए और लडकीयां तो इसी उम्मीद पर पूरी जिंदगी बीता देती है की शायद कोई हमारे लिए भी कोई आयेगा जो हमें इस गन्दी दलदल से बाहर निकालेगा लेकिन हम तो इंतजार में रह जाती है क्योंकि नही आता हमारे लिए और सानवी के माता-पिता ने और भाई ने मिल कर चांदनी की बेटी की शादी चंदन के बेटे से जो की जन्म से ही मंदबुद्धि का था और अभी वो सिर्फ नौ साल हुआ था और चांदनी की बेटी सिर्फ सात साल की थी और एक किसी पंडित थे चंदन को कहा कि आप का बेटा एक नाबालिग लड़की से शादी करने पर वो ठीक हो जायेगा और इस बजह से सावनी के माता-पिता ने बीना किसी से पूछे चिनी की शादी चंदन के बेटे से तय करदी सानवी और चांदनी ने बहुत बिरोध किया मगर सानव केके माता-पिता ने सानवी और चांदनी की कोई बात नहीं सुनी और विवाह पक्का कर दिया और शादी का मुहूर्त तीन महिने के बाद का निकला था तो और साथ ही साथ सानव और चांदनी के बेचने की तैयारी भी अंदर ही अंदर चल रही थी
क्रमशः ✍️