The Author Swati Follow Current Read नाकामी By Swati Hindi Short Stories Share Facebook Twitter Whatsapp Featured Books सनातन - 2 (2)घर उसका एक 1 बीएचके फ्लैट था। उसमें एक हॉल और एक ही बेडरू... गोमती, तुम बहती रहना - 7 जिन दिनों मैं लखनऊ आया यहाँ की प्राण गोमती माँ लगभग... मंजिले - भाग 3 (हलात ) ... राजा और दो पुत्रियाँ 1. बाल कहानी - अनोखा सिक्काएक राजा के दो पुत्रियाँ थीं । दोन... डेविल सीईओ की स्वीटहार्ट भाग - 76 अब आगे,राजवीर ने अपनी बात कही ही थी कि अब राजवीर के पी ए दीप... Categories Short Stories Spiritual Stories Fiction Stories Motivational Stories Classic Stories Children Stories Comedy stories Magazine Poems Travel stories Women Focused Drama Love Stories Detective stories Moral Stories Adventure Stories Human Science Philosophy Health Biography Cooking Recipe Letter Horror Stories Film Reviews Mythological Stories Book Reviews Thriller Science-Fiction Business Sports Animals Astrology Science Anything Crime Stories Share नाकामी (6) 1.4k 3.8k बहुत दिनों बाद मां ने आज फोन किया ,और उनका सबसे पहला शब्द था खाना खा लिया तूने ।मेरी रूह तक कांप गई उनकी आवाज सुनकर , उनकी आवाज में जैसे कितना दर्द था अपने बेटे की नाकामी पे फिर भी उसने भनक तक लगने ना दी।मेरी सांसे जैसी थम सी गई थी , मेरी आवाज भी निकलने के लायक न थी , तभी मां ने फिर पूछा बेटा तूने खाना खाया.?मैने हिचकिचाते हुए बोला , हां मां मैने खा लिया तूने खाया क्या ?मैं ने बोला नहीं बेटे तेरे पापा अभी तक घर नहीं आएं । मैने पूछा पापा कहां गए है मां , मां ने इसका जवाब नही दिया मैने फिर से पूछा मां पापा कहां गए है ..? मां ने जवाब दिया तू छोर न वो आ जाएंगे और ये बोलकर मां ने मेरा हालचाल पूछना शुरू किया बाते हो ही रही थी की पीछे से पापा की आवाज आई , दीपक की मां दरवाजा खोल मां ने फोन रख कर दरवाजा खोलने चली गई । पापा जैसे ही अंदर आएं उन्होंने सबसे पहले मां को बोला आज कुछ ज्यादा की आमदनी नही हुई ।मां ने बोला अजी अभी आप हाथ मुंह धो लो फिर बात करेंगे ।ये बोल कर मां मुझसे बात करने लगी ।मैने मां से फिर पूछा बता ना मां पापा किस आमदनी के बारे में बोल रहे हैं , मां जैसे मुझसे कुछ छुपा रही हो आखिर है भी तो मां का दिल । हमलोग बात ही कर रहे थे तब पापा ने पीछे से बोला किससे बात हो रही दीपक है क्या .?मां ने बोला हां जी वही हैं तो उन्होंने पूछा और बता बेटा तेरी पढ़ाई कैसी चल रही है मैने बोला ठीक चल रही है पापा तो उन्होंने फिर बोला तेरी पढ़ाई कब तक चलेगी । इस उमर में तो हम लोग ने काम करना और घर गृहस्थी चलाना सीख गए थे पता नही तुमलोग अभी तक कौन सी पढ़ाई पढ़ रहे हो ।वो और कुछ बोलते उससे पहले ही मां ने उनसे फोन ले लियाऔर मुझे बोला सुन बेटा तू मन लगा कर पढ़ और बड़ा आदमी बन ।हम लोग की चिंता मत कर अगर तुझे पैसों की जरूरत हो तो फोन कर बेटा चिंता मत कर तु बस पढ़ाई कर दिल लगा कर । अब मैं मां से क्या बोलूं की मां आज की पढ़ाई बहुत महंगी हो गई है , मां मैने पढ़ाई छोर दी है , तू इतनी मेहनत मेरे लिए मत कर मां तू रात रात भर जाग कर सिलाई मत कर मां मैं क्या बोलूं। मैं किस मुंह से बोलूं अपने गांव में जितने पैसों से महीने भर का राशन आ जाता , यहां उतने पैसों से एक क्लास की फ़ीस भी नही हो पाती मैं किस मुंह से सुनाऊं उनको अपनी कहानी मैने मां का आशिर्वाद लेके फ़ोन रख दिया ।मैं मन ही मन सोच रहा था मैं क्या करू ,मैं कैसे पैसे कमाऊ एक तरफ मुझे मेरा दिमाग मुझे मां और पिताजी के बारे में सोचने में मजबूर कर रहा तो दूसरी तरफ मेरा दिल बोल रहा की मैं अपनी जान दे दु । लेकिन मैं जान भी नही दे सकता क्योंकि मेरे अलावा मेरी मां और मैने पापा का और कोई नही हैं ।मुझे बस पैसे कमाने थे और अपने मां पापा को खुशी देनी थी वो भी मुझसे नही हो पा रहा था मैं क्या करता।मैं कितना नाकामी हूं । एक मेरी मां है जो इस उम्र तक काम कर रही और एक मैं हूं अपनी नाकामी पे बैठ कर रो रहा हूं।लेकिन मैने अब ठान लिया है मुझे कुछ भी करना है मां को खुशी देना है अपने पापा के कंधे पे सर रख कर सुकून से जिंदगी जीना है मुझे कुछ करना है और उसके लिए मुझे भाग पड़ेगा ।और मै भागूंगा क्योंकि , मां पापा का त्याग मैं सहन नहीं कर पा रहा हूं मैं घुट घुट कर मर जाऊंगा लेकिन अपने मां पापा को अब और परेशानी में नही डालूंगा । मां मैं जल्दी आऊंगा तुम्हारे पास ।। Swati Download Our App