EK JINN in Marathi Short Stories by Amol Patil books and stories PDF | EK JINN

Featured Books
Categories
Share

EK JINN

नमस्कार,


मेरे साथ घटी १ अविश्वसनीय घटना जो मैं आपके सामने रख रहा ही ।


मैं १२वी क्लास मैं था । परीक्षा सिर पे थी और पढ़ाई जोरोसे चलरही थी । मैं क्लास ज़ाया करता था जो १ घरगुती क्लास था । मेरे सर अपने घर मे ही क्लास लिया करते थे । उनका घर मेरे घर से कीमन २०मिनिट कि अंतराल पे था । एक दाया टर्न बस आ जाता उनका घर मेरे घर से सीधे ३०मिनट कि अंतराल पे नदी भी है।


जैसे कि मैंने बताया परीक्षा सर पे थी और पढ़ाई सिर पे थी तो हमारे सर ने नाईट क्लास लेने का प्रबंध किया । मैं और मेरे साथी राज़ी हो गये फिर क्या था हमारीं नाईट क्लास ज़ोरो मे चालू हो गई। क्लास का वक्त रात को ९:०० से लेके सुबह ४:०० बजे तक का रहता था । एक हफ्ता सब सही रहा । मैं क्लास अपनी बाइक पे जाया करता था । एक रात की बात थी हमारी उस रात की पढ़ाई जल्दी ख़त्म कर की थी । सर ने कहा “ आज हमने अपना टारगेट अचीव कर लिया है तो आज हम आज जल्दी खतम करते है थोडा विश्राम करेंगे और गप्पे मारेंगे किसी को घर जाना हो तो जा सकते है लेकिन वही जाएगा जो नज़दीक रहता है।” हम सब ने भी हामी भारी मैं भी थोड़ी देर रुका और तक़रीबन रात को २:३० बजे निकला। मन प्रसन्न था कि पढ़ाई अच्छेसे हुई है तो मैं भी निश्चिंत होकर फ़ोन मैं हेडफ़ोन लगाके गाना बजाते हुए बाइक से निकल ।

बाइक से क्लास कि एरिया से निकला लेकिन यही गड़बड़ होना चालू हुआ


मैं सर कि घर से अपने घर जाने के लिये निकला हमेशा घर जाने के लिए मैं बाया मोड़ लेता था पर उस रात अनजाने मे मैंने दाया मोड़ ले लिया और वो रास्ता नदी कि तरफ़ जाता था । ठंडी का मौसम था तो हल्का सा ओस गिर रही थी । मेरे ध्यान मैं नहीं आया कि मैंने ग़लत मोड़ ले लिया है मैं अपनी धुन मैं गाना सुनते हुए चले जा रहा था। हमारे यहाँ नदी पे दो पुल बने है एक छोटा पुल पदचारी ऐव शांति महसूस करने कि लिए लोगो कि लिए बनाया था और एक बड़ा पुल जो गाड़ी आने जाने के लिए था । उसे सुनसान रात मे मैं उसे बड़े पुल पे चले गया और पुल पार करते ही पता नहीं अचानक ध्यान मे आया के मैं यहाँ कैसे आ गया शायद ग़लत से मोड़ ग़लत के लिया होगा मैंने उस चीज को ज़्यादा ध्यान नहीं दिया और बाइक घुमा कि वापिस जाने लगा। गाना अब भी चल रहा था और ठंडी हवा मैं बाइक चलानेका मज़ा भी आ रहा था । तभी पुल से उतरते समय मुझे पुल कि उतार पे कोई खड़ा है ऐसा दिखा , मुझे लगा कोई वहाँ रहने वाला लघुशंका कि लिये आया होगा । उसका शरीर कुछ गोलमेटोल सा था उचाई तक़रीबन चार फुट रहेगी मैंने उस पे ज़्यादा ध्यान नहीं दिया और अपने धुन मे मस्त चले जा रहा था । मेरे बाइक की गति तक़रीबन १५ से २० की होगी थोड़ा आगे आया फिरसे मुझे वही आकृति नज़र आयी वही शरीर वही गोलमटोल आकृति मैं थोड़ा सकते मे आया और ठान लिया ईस आकृति से नज़र नहीं हटावूँगा कुयकीं ये आकृति मुझे अभी दिखी थी । मैंने बाइक की गति थोड़ी कम की नजरे अभी भी उस पर ही थी उस आकृति पर । तभी मेरे पीछे से एक कार आयी उसके हेडलाइट की रोशनी मेरे बाइक कि साइड मिरर पे पड़ी जिसकी वजह से मेरे समझे आधे से भी कम सेकंड कि लिए बंद हुई और सामने देखा तो ….