Sabaa - 6 in Hindi Philosophy by Prabodh Kumar Govil books and stories PDF | सबा - 6

Featured Books
Categories
Share

सबा - 6

क्या इसीलिए ऐसा कहा जाता है कि इश्क सबसे पहले इंसान की नींद उड़ाता है। रात इतनी गहरी हो गई पर बिजली को नींद ही नहीं आ रही थी। इधर से उधर करवटें बदलती। थोड़ी- थोड़ी देर बाद पानी पीने के लिए उठती। कहते हैं कि आदमी मेहनत करे तो चैन की नींद सोता है। पर बिजली को देखो, तीन- तीन घरों का काम ले लिया, मन लगा कर मेहनत से काम करती है फिर भी नींद का कहीं नामोनिशान नहीं।
और तीन ही क्यों, उसके अपने घर का काम कौन करेगा? वो कोई रानी - महारानी थोड़े ही है कि अपने घर में कोई कामकाज नहीं करेगी। यहां भी तो उसे सब करना ही पड़ता है। रोटी चमकी बनाएगी तो झाड़ू बर्तन बिजली करेगी। कपड़े - लत्ते चमकी धोएगी तो बाज़ार से सौदा- सुलफ बिजली लाएगी। बिल्कुल बराबर का काम। फिर उसके बाद तीनों घरों का काम। और उस पर भी हाल ये कि बिस्तर पर लेटी है तो नींद गायब। बीस बरस की छोकरी को कोई रोग - व्याधि तो होती नहीं, ज़रूर ये प्रेम रोग ही है। जब से वो राजा से मिली है रोज- रोज थोड़ा- थोड़ा बढ़ता ही जाता है ये रोग। और ऊपर से चमकी कहती है कि राजा से मत मिला कर। कोई बात हुई?
देखो, खुद तो कितने आराम से पड़ी सो रही है और इधर बेचारी बिजली की आंखों से नींद गायब। अब बिजली भी कोई छोटी बच्ची नहीं है, सब समझती है। उसने सब पता लगा लिया है कि चमकी राजा को कैसे जानी?
न राजा कभी चमकी से मिला है और न चमकी ही कभी राजा से मिली है। हुआ यूं कि राजा ने बिजली को फ़ोन किया। फ़ोन तो चमकी का था, बिजली तो कभी- कभी उससे मांग कर ही ले जाती है न। तो जब राजा ने फ़ोन किया तब फ़ोन चमकी के पास ही था। बिजली घर में थी नहीं। चमकी ने फ़ोन उठा कर पूछा - कौन? उधर से जवाब मिला, हम राजा बोल रहे हैं...! किससे बात करनी है, ऐसा पूछने पर राजा चुप! उसे नाम कहां मालूम था बिजली का। बस, घबरा गया और फ़ोन काट दिया। इतनी सी बात थी। और ये चमकी बिजली से बोल पड़ी, तू राजा से मत मिला कर!
लो, खोदा पहाड़ निकली चुहिया। इसीलिए तो बिजली फांदेबाज़ कहती है चमकी को।
पतंग उड़ा रहे बिजली और राजा, ये बीच में फंदा डाल कर पतंग लूटने आ गई चमकी। फांदेबाज़!!
लेकिन बिजली क्या करे, उसे नींद जो नहीं आ रही।
पर अब बिजली ने राजा से उसका नाम- गांव पूछ भी लिया और उसे अपना नाम- पता बता भी दिया। और तो और बिजली ने तो अपने मन को भी खूब ठोक बजा कर देख लिया, इस लड़के राजा पर जुड़ता है। वो इससे प्रेम- पींगें बढ़ाएगी और अपना जीवन भर का नसीब जोड़ेगी।
बस, अब बाधा है तो केवल एक!
ये जो लड़का राजा है, ये बिजली ने कहीं से ढूंढ- तलाश कर तो पाया नहीं है, ये तो अकस्मात एक दिन संयोग से उसे मिल गया। उस समय तो बिजली ने कुछ ध्यान दिया नहीं, पर अब साथ घूमते - फिरते, बातें करते हुए ही उसे लड़के का ये ऐब मालूम पड़ा।
- कौन सा ऐब? क्या दूसरे धर्म - जाति का है? क्या किसी ऐसे पंथ गुट का है कि बिजली के घर वाले उसे नहीं झेल पाएंगे?
नहीं, ऐसा कुछ नहीं है। ओबीसी का लड़का और इसी अदर बैकवर्ड क्लास की बिजली। कोई ऐतराज की बात नहीं। और वैसे तो गरीब की जात धर्म देखने का टाइम किसके पास है। लड़की जात है, जाए घर से, इतना ही बहुत! किसके संग जाए, कैसे जाए,से ज़्यादा ये देखने की बात है कि लड़का रोटी खा और खिला सके लड़की को, बस, ले जाए।
फिर? बाधा क्या?