[ बल्लू - सुनिल, वैसे जो हुआ वो ठीक की हुआ, में तुम्हें कई दिन से बंदुक वाली बात बताने वाली थी कि मैं हमेशा अपने साथ बंदुक लेकर घर से आती हुं । ]
[ सुनिल - पर तुम क्यो बंदूक लाती हो अपने साथ । क्या तुम्हे मुझपर इतना भी भरोसा नहीं कि मैं तुम्हारी रक्षा कर सकता हूं। तुम्हे मुझपर इतना अविश्वास है। ]
[ बल्लू - देखो यार सुनिल । हमारे सपनो की दुनिया असल दुनिया मे हमेशा विद्यमान होता है। सपनों की दुनिया मे तुम मेरे लिए सबकुछ हो, शायद उस दुनिया मे तुम इतने शक्तिशाली हो कि किसी से भी मेरी रक्षा कर सकते हो परंतु असल दुनिया का यही सच है कि तुम इतने कमजोर हो कि मेरी रक्षा नही करे सकते। अतः मुझे अपनी सुरक्षा के उपाय करने पड़ने है। ]
[ सुनिल - मतलब तुम्हारी सपनों की दुनिया में मैं तुम्हारा हुं ? असल में नहीं ।]
[ बल्लू - छोड़ो सब बातें ये बताओ कि मेरे बर्थडे पर क्या गिफ्ट दोगे मुझे ? ]
[ सुनील - जो तुम्हें चाहिए। बोलो क्या चाहिए। तुम्हें तुम जो चाहेगी वही ।
[बल्लू - हम अपने प्यार का इजहार पूरी दुनिया को करदे, मैं यह चाहती हूं ]
[ सुनील - नहीं बल्लू, ऐसी बात नहीं । मुझे लगता है कि जब तक प्रेमी-प्रेमिका में रिश्ता स्थापित न हो तब तक जग जहीर न कर करें तो बेहतर होता है, हैना । ]
[ बल्लू - अच्छा अब समझी । हवास की पुजारी जन्मजात सिंगल तुझे मैं क्या मिली तू संभोग के सपने देखने लगा अगर तुम्हें कभी मेरी pics लिक कर दी तो । ]
[ सुनील - यही, यही। एकदम सही बात बोल रहा था ना मैं की विश्वास रिश्ता स्थापित होता है जो तुम्हें मुझ पर नहीं तभी तुम सेक्स के लिए तैयार नहीं । ]
[ बल्लू - नहीं ऐसी बात नहीं, मैं बिलीव करती हूं तुझ पर पर सेक्स यार जरूरी थोड़ी है रिश्ते के लिए, हमें एक - दूसरे पर विश्वास है, फिर सेक्स से साबित क्यों करें । ]
[ सुनील - तुम्हें पता भी है कि सेक्स की इच्छा मेरी अपनी इच्छा नहीं है मुझे तुम पर अगाध विश्वास भी है, परंतु तुम्हारी satisfaction के लिए मैं कह रहा था । ]
[ बल्लू - अच्छा नहीं ,नहीं । मैं भरोसा करती हूं तुझ पर तुम्हें test देने की जरूरत नहीं । ]
[ सुनील- ठीक है फिर जैसी तुम्हारी मर्जी पर युवावस्था में एकांत बहुत हानिकारक होता है एकांत यानी दैनिक एकांत दैनिक एकांत से पुरुष गलत हरकतों से संतुष्ट चाहता है जिससे नुकसान नहीं होता है। और मैं तुम्हें डरा नहीं रहा हूं कि मैं ऐसा करूंगा कि गलत तरीके से अपनी संतुष्टि करूंगा। ]
[ बल्लू ( मन में ) - सेक्स तो इस उम्र में सबकी चेतना होती है और मन तो मेरा भी करता रहता है कहीं यह सेक्स के चक्कर में इधर-उधर मुंह मारने लग गया तो भी समस्या है। इतना भरोसेमंद है कि इस पर भरोसा करके कम से कम मैं इसके साथ सेक्स कर सकती हूं। ठीक रहेगा । ]
[ बल्लू - सुनिल , वो कल मेरे पापा बाहर जा रहे है कम से। पूरे दिन नहीं है वो। ]
[ सुनिल - तो क्या हुआ , तुम कल पूरा दिन फिर TV देखोगी , गाने सुनोगी ना, ]
[ बल्लू - ज्यादा बनो मत अब । कल तुम मेरे घर आ जाना। हम कल पक्का सेक्स Try करेगे और हां कल तैयार होकर आना, बाल वगैरा कटवाकर । ]
[ सुनिल - ये बात । वीक है। ]
[ बल्लू - सुनिल ये कुत्ता कितना प्यारा है ना, बेचारा भुखा है, इसको रोटी खिला दो। कुछ पुण्य मिलेगा हमे। ]
[ सुनिल - Biscuit खरीद कर खिलता हुँ मै इसे। तुम चिंता मत करो । ]