अभिमन्यु बिन्दु के सवाल का जवाब देते हुए कहता है – "अरे बिन्दु ये अपना युग है अपना बचपन का दोस्त, भूल गयी बचपन में यही तुम्हारी दो चोटी पकड़ के खींच देता था और इसी ने तो तुम्हारा नामकरण किया था बिन्दीया से बिन्दु।"
बिन्दु खुश होते हुए कहती है – "अच्छो युग, तुमी काखा ऐ छील?"
युग अभिमन्यु की तरफ देखने लग जाता है क्योंकि उसे बिन्दु की बंगाली समझ में नहीं आई थी।
अभिमन्यु बिन्दु को समझाते हुए कहता है – "यार बिन्दु तेरी ना बचपन की आदत अभी तक गयी नहीं है, कभी बंगाली में बात करती है तो कभी हिन्दी में, तुझे पता है ना युग को नेपाली तक नहीं आती तो बंगाली कहाँ से आएगी, तु इससे हिन्दी में बात कर समझी।"
बिन्दु अपनी गलती महसूस करते हुए कहती है – "अरे सॉरी हाँ मैं भूल गयी थी, तुम कब आये युग?"
"बस कल ही आया मैं बिन्दु।"
कछुआ बिन्दू के हाथ की चाय की ट्रे देखते हुए कहता है – "अब बिन्दू सिर्फ कायर को........"
कछुआ अपनी बात पूरी कर पाता उससे पहले ही कायर उसे उंगली दिखाते हुए गुस्से से कहता है – "क्या बोला कछुए तू कायर नहीं कैरव जॉर्ज नाम है मेरा समझा, कछुऐ कहीं के।"
"अरे वो तो औरो के लिए हमारे लिए तो तु वही रहेगा ना हमारा कायर हमारा शायर, तू डिर्स्टब मत कर मैं अभी बिन्दू से बात कर रहा हूँ ना, तो हाँ बिन्दु मैं बोल रहा था कि तू सिर्फ अपने ये बचपन के दिल जले आशिक कायर को ही चाय देगी या हमें भी पिलाएगी।"
बिन्दू गुस्सा हुए बोलती है – "तुमी की बोलबे कछुए, जरा एक और बार बोलना।"
"कुछ नहीं कुछ नहीं, वो मैं कह रहा था कि तीन कप चाय ला देना और कायर के खाते में लिख देना।"
"हाँ हाँ पता है तेरी जेब से कभी एक कौड़ी भी निकली है कंजूस।"
बिन्दु कुछ और बोलती उससे पहले ही दुकान के अंदर से उसकी माँ की आवाज सुनाई देती है – "ऐखाने ऐसो बिन्दीया"
"आमी ऐ छील माँ।"
इतना कहकर बिन्दू अपनी माँ के पास जाने लग जाती है।
बिन्दू के अपनी माँ के पास जाते वक्त युग की निगाहें बिन्दु पर ही टीकि हुई थी। बिन्दु को देखकर युग उदास हो गया था। युग की यह उदासी अभिमन्यु नोटिस कर लेता है और उससे पूछता है – "क्या हुआ तू बिन्दु को देखकर इतना सैड क्यों हो गया?"
"यार कुछ नहीं बस यही सोच रहा हूँ कि बिन्दु तो पढ़ने लिखने में हम सब लोगों से भी होशियार थी ना तो फिर ये चाय की दुकान कैसे, ऐसा क्या हो गया कि उसे चाय की दुकान चलानी पड़ रही है?"
कछुआ धीरे से कहता है – "ये सब यक्षिणी की वजह से हुआ है युग।"
युग चौंकते हुए कहता है – "क्या कहा यक्षिणी की वजह से!"
कछुआ अपनी बात को आगे जारी रखते हुए कहता है – "हाँ युग तुझे नहीं पता जब तेरी मम्मी भाग........"
कछुए ने इतना ही कहा था कि तभी अभिमन्यु जोर से कछुए की पीठ थप-थपाने लगता है जैसे ये कोई इशारा हो कि रूक जाए।
कछुआ बात को घुमाते हुए कहता है – "मेरा मतलब यह है कि जब तेरी मम्मी चले गयी थी और तू हॉस्टल में था तो उसी वक्त यक्षिणी ने बिन्दु के पिता को भी अपना शिकार बना लिया था, अब तुझे तो पता ही है कि बिेन्दु के घर उसके पिता ही चलाते थे, उनके गुजर जाने के बाद वो और उसकी माँ अकेली हो गयी तो बिन्दु ने अपनी माँ का हाथ बटाना शुरू कर दिया और ये दुकान ओपन कर ली, बिन्दु पढ़ाई भी करती है साथ में ये चाय और खाने पीने की दुकान भी चलाती है।"
युग मुँह लटकाते हुए कहता है – "अच्छा।"
अभिमन्यु बात को बदलते हुए कहता है – "छोड़ ना यार ये सब इतने दिनों बाद आया तो तु उदास मत हो समझा ये सब तो चलता ही रहता है, ऐसा कौन सा शख्स है जिसकी जिन्दगी में गम नहीं है एक ना एक दिन तो सबको मरना ही है ना इसका मतलब यह तो नहीं कि हम जीना छोड़ देंगे।"
युग अभिमन्यु की बात समझ जाता है और कहता है – "तेरा कहना भी ठीक है अभिमन्यु, अपनों के गुजर जाने के बाद भी इंसान को जीना पड़ता है, अपने लिए न सही पर अपने कर्म के लिए। वैसे कायर तु बता कैसा है और क्या चल रहा है आज कल?"
कायर इस सवाल का जवाब देता उससे पहले ही कछुआ फटाक से बोल पड़ता है – "क्या कर रहा है ये वही कर रहा है जो बचपन में करता था, बिन्दु पर लाईन मार रहा है और बिन्दु अभी तक इसे भाव नहीं देती, बचपन की तरह प्रेम पत्र लिखता है पर बिन्दु के लिए नहीं स्कूल में पढ़ने वाले बच्चो के लिए उसी के पैसे मिलते है इसे और उसी के बदौलत गुजारा चल रहा है।"
कायर कछुऐ को मजाक में कनपटी पर मारते हुए कहता है – "कुछ भी मत बोल समझा कछुऐ तु, बहुत जल्द बहुत बड़ा शायर बनने वाला हूँ मैं, बस एक बार मेरी किताब पब्लिश हो जाए फिर देखना हर जगह मेरा ही नाम होगा, वो तो अभी किस्मत खराब चल रही है इसलिए कोई पब्लिशर मिलता नहीं।"
"मिलेगा भी कैसे तेरी शायरी ही ऐसी है कि ज़हर का काम करती है समझा तु।"
कायर को पता था कि कछुऐ से बहस करना बेकार है इसलिए वो युग से कहता है – "यार युग तु ना इस कछुए की बातों में मत आ तुझे तो पता है इसकी बचपन की मजाक करने की आदत है, तु बता कैसे आना हुआ वो भी तेरह साल बाद।"
युग कायर को भी उसकी जॉब और स्टार्टअप के बारे में सब कुछ बता देता है। सारी बात सुनने के बाद कायर हैरानी के साथ कहता है – "युग तु पागल तो नहीं हो गया, तू शहर में ड्रग्स लेता था क्या?"
"नहीं तो, क्यों, क्या हुआ, प्लेन पसंद नहीं आया क्या?"
"यार ये तेरा प्लैन है या लोगों को मारने का तरीका, तुझे पता है ना वो ग्रेव्यार्ड कोठी कब्रिस्तान के ऊपर बनी है और तू कब्रिस्तान के ऊपर खेती करने का सोच रहा है। मान ले हमने खेती कर भी ली और फसल भी उग गयी तो खरीदेगा कौन लोग वहाँ की सब्जियाँ खाने से पहले डरेंगे ये सोचकर कि कहीं भूत ना आ जाए खाकर।"
युग चिढ़ते हुए कहता है – "यार मैं ना एक-एक को समझाकर परेशान हो गया हूँ अब मैं किसी को नहीं समझाने वाला यदि तुम तीनों को मेरा साथ देना है तो दो वरना मैं अकेले भी कर सकता हूँ, मुझे मेरा काम शुरू करने के लिए किसी के साथ की जरूरत नहीं, मुझे अब कोई नहीं रोक सकता कोई यक्षिणी भी नहीं समझे तुम।"
कोई कुछ कहता उससे पहले ही वहां पर अहमद जो बिन्दु की ही दुकान पर काम करता था चाय की ट्रे लाकर रख देता है। अहमद की उम्र करीब सोलह-सत्रह साल होगी। अहमद चाय देकर वहाँ से चले जाता है।
युग अभिमन्यु कछुआ और कायर चाय पीने लग जाते है। चारों के बीच खामोशी छायी हुई थी। युग के चेहरे से ही दिख रहा था कि वो नाराज़ है और उसे कुछ भी समझाऐगें तो वो समझने वाला नहीं ह।
कायर चाय पीते हुए कहता है – "ठीक है मैं तैयार हूँ पर मेरी एक शर्त है।"
युग हैरानी के साथ कहता है – "अब तेरी क्या शर्त है, पहले ये कछुऐ की शर्त और अब तेरी शर्त, बता क्या शर्त है?"
"यार देख तेरे पापा भी एक लेखक थे ना।"
"हाँ, तो?"
"तो यार तेरी कोई पब्लिशर से बात चीत हो तो मेरी भी किताब पब्लिश करवा देना, तेरे पापा तो बहुत बड़े लेखक थे।"
युग कायर को समझाते हुए कहता है – "यार कायर मेरे पापा लेखक थे मैं नहीं समझा, तुझे पता है ना अब मेरे पापा इस दुनिया में नहीं है फिर भी ऐसे सवाल कर रहा है।"
कायर उदास हो जाता है।
युग कायर का चेहरा देखते हुए कहता है – "मेरे पास एक दो पब्लिशर के नम्बर है मैं उनसे बात करके देखूँगा तेरे लिए।"
यह बात सुनकर कायर खुश हो जाता है और युग को गले लगाते हुए कहता है – "शुक्रिया, शुक्रिया मेरे भाई।"
युग, अभिमन्यु, कछुआ और कायर ग्रेव्यार्ड कोठी के अंदर थे। और पिछले चार घंटे से वो लोग ग्रेव्यार्ड कोठी की सफाई कर रहे थे। युग के हाथ में सफाई वाला कपड़ा था तो अभिमन्यु और कायर के हाथ में झाडू और कछुऐ के हाथ में पोंछा जिससे वो पूरी ग्रव्यार्ड कोठी को चमका रहा था। जैसे-जैसे ग्रेव्यार्ड कोठी की धूल साफ होते जा रही थी ग्रेव्यार्ड कोठी की रौनक बढ़ती जा रही थी। चारों हॉल की सफाई कर ही रहे थे कि तभी कायर का मोबाईल बजने लग जाता है।
"आमी जे तोमार शुधु जे तोमार।"
यही रिंगटोन कायर के मोबाईल में बज रही थी जिसे सुनकर कछुआ डर जाता है।
कछुआ कायर पर चिल्लाते हुए कहता है – "यार कायर तुझे कोई और रिंगटोन नहीं मिली थी क्या, माना तु बंगाली लड़की को पसंद करता है इसका मतलब यह तो नहीं ना कि तू रिंगटोन भी बंगाली रखेगा।"
कायर जेब में से मोबाईल निकालते हुए कहता है – "यार और कोई सा बंगाली में गाना ही नहीं मिला।"
"क्या कहा बंगाली में गाना नहीं मिला इतने सारे तो गाने है तुझे अमिताभ बच्चन का ऐकला चौलबो रे गाना नहीं मिला, इतना अच्छा।"
कायर कछुऐ की बात का कुछ जवाब नहीं देता है और फोन उठाते हुए कहता है – "हाँ बिन्दु क्या हुआ।"
"कायर कोथो होय?"
"ग्रेव्यार्ड कोठी में बिन्दु।"
"की शेखाने तुमी की करोछो?"
"तुम्हें मैसेज में बताया था ना कि युग अब यहीं रहेगा तो ग्रेव्यार्ड कोठी की सफाई करने जा रहा हूँ।"
"वो मैंने मैसेज नहीं देखा, वैसे जल्दी से यहाँ पर आ जाओ वो राशन खत्म हो गया है दुकान का, तो उसे लेने मेंदीपथार जाना पड़ेगा अभी।"
"हाँ बिन्दु बस अभी आया दो मिनट रूकना।"
इतना कहकर कायर फोन रख देता है। जैसे ही कायर फोन रखता है कछुआ कायर को घूरते हुए कहता है – "लो आ गया कायर साहब को बुलावा, वैसे तो बिन्दू लाईन नहीं देती पर जब काम पड़ता है तो फटाक से कॉल कर देती है, ये लड़कियाँ ना बड़ी चालाक होती है जब काम पड़ता है तभी इन्हें हमारी याद आती है वरना वो अपने रास्ते और हम अपने।"
कायर कछुए पर चिढ़ते हुए कहता है – "और हम लड़के लोग कम चालाक होते है क्या, हमें भी तो सिर्फ लड़कियों से सिर्फ एक चीज चाहिए होती है और वो है उनका तन है ना।"
कछुआ समझ गया था कि कायर उससे नाराज़ हो गया इसलिए वो अपनी गलती महसूस करते हुए कहता है – "सॉरी यार मैं मजाक कर रहा था, मुझे नहीं पता था तुझे बुरा लग जाएगा।"
"यार कछुए तुझे कितनी बार बोला, तुझे मुझसे मजाक करना है कर, मेरी शायरी के साथ करना है कर, पर मेरी बिन्दु से मत कर और ना ही उसके बारे में कुछ बोल, तुझे पता है ना उससे कितना प्यार करता हूँ मैं।"
"सॉरी यार।"
"ये सारी-वोरी छोड़ और मेरा एक काम कर"
कछुआ हैरानी के साथ पूछता है – "कैसा काम?"
कायर झाडू कछुऐ के हाथ में देते हुए कहता है – "मेरे हिस्से की भी सफाई तू ही कर देना, जब मैं लौटू तो ये कोठी साफ होनी चाहिए समझा।"
कछुआ मुँह बनाते हुए कहता है – "हाँ समझ गया।"
कायर युग की तरफ देखते हुए उससे कहता है – "युग मैं निकलता हूँ सॉरी यार पर क्या करू बिन्दु ने बुलाया है मना नहीं कर सकता पर तु फिक्र मत कर जैसे ही काम खत्म होगा मैं यहाँ वापस आ जाऊँगा।"
युग कायर के कंधों पर हाथ रखते हुए कहता है – "हाँ मैं समझ सकता हूँ, बिन्दु अच्छी लड़की है, उसका कभी साथ मत छोड़ना, आई नो उसने हाँ नहीं बोला पर जल्द बोल देगी, उसकी आँखों में तेरे लिए प्यार साफ दिखता है मुझे।"
कायर वहाँ से चले जाता है।
कायर के जाने के बाद कछुआ युग से कहता है – "युग यहाँ नीचे तो पोछा लगा दिया है मैंने एक काम करता हूँ मैं ऊपर वाले कमरों में झाडू मार कर आता हूँ, तुम दोनों जब तक यहाँ हॉल की सफाई कर लो।"
"हाँ ठीक है पर संभल कर जाना गिरना मत।"
"मुझे क्या गिरा हुआ इंसान समझा है जो मैं गिर जाऊँगा।"
इतना कहकर कछुआ सीढ़ियाँ चढ़ते हुए ऊपर वाले कमरे की तरफ जाने लग जाता है।
अभिमन्यु पूछता है – "युग एक बात पूछू?"
"हाँ पूछना अभिमन्यु।"
"यार जब तु कायर को समझा रहा था ना प्यार के बारे में उस वक्त तेरी आँखों में एक अलग सी चमक थी और ऐसी चमक किसी की आँखों में तभी दिख सकती है जब उसने भी किसी से प्यार किया हो।"
युग बीच में ही अभिमन्यु को टोकते हुए कहता है – "यार तु पूछना क्या चाहता है सीधे-सीधे पूछ ना, यूँ घुमा फिरा कर क्यों बाते कर रहा है।"
"यार मैं ये पूछना चाहता था कि बैंगलौर में तुझे हमारी भाभी मिली या नहीं?"
अभिमन्यु की बात सुनकर युग शर्मा जाता है।
"तेरे चेहरे की ये मुस्कान देखकर मैं कन्फॉर्म हो गया कि तुझे हमारी भाभी मिल चुकी है; तो बता ना क्या नाम है भाभी का?"
युग शर्माते हुए कहता है – "शालिनी मेहरा।"
"वाह यार नाम तो बहुत खूबसूरत है, दिखने में तो उससे भी खूबसूरत होगी, मोबाईल में फोटो तो जरूर होगी तो दिखाना जरा मैं भी तो देखूँ कि भाभी कैसे दिखती है।"
युग अपना पर्स निकालता है और उसमें से एक पासपोर्ट साईज की फोटो अभिमन्यु को दिखाते हुए कहता है – "ये है शालिनी।"
पासपोर्ट फोटो के अंदर एक बहुत ही खूबसूरत लड़की थी। जिसका लम्बा सा चेहरा था काले-काले लम्बे-लम्बे बाल, सुनहरी आँखें और गुलाबी होंठ। शालिनी इतनी खूबसूरत थी कि कोई भी उसे देखते से ही उसका दीवाना हो जाए।
अभिमन्यु फोटो तो देखते हुए कहता है – "यार भाभी तो बहुत सुंदर है पर तुझे भी मानना पड़ेगा ट्रेंव्टीफस्ट सेंचूरी के जमाने में नाईंटी का प्यार लेकर चल रहा है।"
"वो बात नहीं है यार मोबाईल कि सारी फोटो डिलीट कर दी है मैंने शालिनी की।"
"क्या कहा भाभी की सारी फोटो डिलीट कर दी पर क्यों?"
"यार जो लोग हमारी जिंदगी में नहीं रहते हमें उन्हें अपने मोबाईल से भी निकाल देना चाहिए क्योंकि मोबाईल भी आपकी दूसरी जिन्दगी ही होता है जिसके साथ आप हमेशा रहते हो।"
"यार तेरी बाते मेरे समझ में नहीं आ रही है और तु ये बता तुने भाभी की फोटो मोबाईल से डिलीट क्यों कर दी, क्या तेरा और भाभी का ब्रेकअप हो गया?"
"यार अनुराग पहले तो तु ना शालिनी को भाभी बोलना बंद कर समझा तु और हमारा ब्रेकअप नहीं हुआ हम अलग हो गये।"
"अलग हो गये पर क्यों यार, अभी-अभी तो तुने मुझे खुशी दी थी और एक पल में वो खुशी मुझसे छीन ली, आखिर तेरे और भाभी सॉरी शालिनी के बीच में हुआ क्या था कि तुम अलग हो गये और अगर कोई छोटा-मोटा झगड़ा है तो यार वो हर रिलेसनशिप में होते है आजकल इसी से तो प्यार बढ़ता है।"
युग कुछ जवाब नहीं देता वो सफाई करने का नाटक करने लग जाता है।
"यार युग तु ना मुँह मत फेर, बताना आखिर तु शालिनी से कैसे मिला और तुम अलग क्यों हो गये, मैं जानना चाहता हूँ, बता।"
"यार तु क्या करेगा जानकर छोड़ ये सब बुरी यादों को भूल जाओ उसी में भलाई है।"
"अरे ऐसे कैसे छोड़ दू यार, तुझे नहीं पता दर्द बाँटने से कम होता है, आई नो मैं तेरा दर्द कम नहीं कर सकता पर उस दर्द से गुजरने में तेरा साथ जरूर दे सकता हूँ।"
अभिमन्यु के फोर्स करने पर युग उसे शालिनी के बारे में बताने के लिए राज़ी हो जाता है।
"यार मैं और शालिनी ना..."
अभी युग ने इतना ही कहा था कि तभी कछुऐ की जोर से चीखने की आवाज सुनाई देती है "अअअअअअअअअ।"
अभिमन्यु हैरानी के साथ कहता है – "यार ये चीख तो कछुए की है।"
"हाँ यार उसी की है, पता नहीं क्या हो गया इसे, चल चलकर देखते है।"
क्रमश.....................