कुछ देर बाद आधी रात को रेवा की नींद खुली । उसने पानी पीने के लिए जग उठाया तब उसने देखा की जग का पानी खत्म हो चुका था ।उसने वो खाली जग उठाया और अपने कमरे से बाहर चली आई। वो नीचे किचन में गई। किचन में पूरा अंधेरा था। सबसे पहले वो लाइट के स्विच को ढूंढने लगी । तभी एक तेज हवा का ठंडा झोका आया और उसे छूकर गुजर गया , उसकी नजर किचन की खिड़की पर गई जो आधी खुली हुई थी । बारिश का मौसम होने की वजह से बाहर तेज हवा चल रही थी । रेवा ने अपने कदम खिड़की की ओर बढ़ाए लेकिन उसे ऐसा लगा जैसे उसके पीछे कोई है और जैसे ही वो पीछे मुड़ी वो जोर से चिल्लाई ।
चिल्ला क्यूं रही हो ..चुप रहो अर्जुन ने गुस्से से कहा ।
अर्जुन ने उसके मुंह पर अपना हाथ रखकर उसे चुप करा दिया। अर्जुन रेवा के बेहद करीब था । रेवा अर्जुन की गर्म सांसे अपने चहरे पर महसूस कर रही थी ।
तुम यहा क्या कर रही हो ? मेरे घर में चोरी करने का इरादा है तुम्हारा ? अर्जुन के इस सवाल से रेवा अपने ख्वाबों से बाहर आई ।
आपके यहां क्या पैसे किचन में रखते है ? हमारे यहां लॉकर में रखते है। रेवा ने भी बत्तमीज़ी से जवाब दे दिया और वहा से जाने लगी । लेकिन अर्जुन ने रेवा की बाजू को पकड़ा और उसे दीवार से लगा दिया। उसने अपने दोनो हाथ दीवार पर टिका दिए और रेवा को घेरते हुए कहा – तुम मुझ से बत्तमीज़ी मत करो , सॉरी कहो मुझे ।
"नही कहूंगी", रेवा ने भी कहे दिया ।
देखो आखरी बार कहे रहा हूं मुझे सॉरी कहो ।।
"नही नही नही क्या करेंगे आप ! हटिए यहां से और मेरे करीब मत आना ",रेवा ने अर्जुन को अपने से दूर धक्का देते हुए कहा लेकिन अर्जुन वहा से एक इंच भी नही हिला ।
"देखिए मैं आखिरी बार बोल रही हूं मुझे जाने दीजिए", रेवा ने कहा।
"पहले सॉरी बोलो उसके बाद तुम्हे जाने दूंगा", अर्जुन भी अपने जिद पर अड़ा हुआ था ।
"कभी नही ", रेवा ने कहा।
"ठीक है फिर तुम्हे अगर मेरे पास रहने मैं सुकून मिलता है तो मुझे कोई प्राब्लम नही है ।"
दोनो की नोकजोक शुरू ही थी तभी आधी खुली खिड़की से एक तेज गोली चलने की आवाज आई और वो गोली जहां रेवा खड़ी थी उसी दीवार पर जा लगी । रेवा ने अपना सिर अर्जुन की सीने में छुपा लिया और अर्जुन ने अपनी गन से खिड़की के बाहर शूट किया । जैसे ही अर्जुन ने शूट किया उसने देखा की एक आदमी वहा से भाग रहा था जिसके हाथ में गोली लगी थी ।
गोली चलने की आवाज से तुषार भी नीचे आ गया । जब उसने रेवा को इतना डरा हुआ देखा तब उसने पूछा "क्या हुआ यहां? किसीने अटैक किया ? "
"मुझे.. मुझे यहां नहीं रहना मुझे यहां से बाहर जाना है प्लीज मुझे जाने दो। मुझे इस सबकी आदत नही है ",रेवा ने रोते रोते ही कहा ।
"तुम पागल हो क्या ? इतना सब होने के बाद भी तुम्हे यहां से बाहर जाना है ? अगर आज मैं नही होता तो तुम अभी हॉस्पिटल में होती , और अगर आदत नही है डाल दो ",अर्जुन ने कहा ही था लेकिन तभी रेवा बेहोश हो गई ।
"तू जब देखो इस पर चिल्लाते क्यों रेहेता है !", तुषार की इस बात को इग्नोर करके अर्जुन ने रेवा को अपनी बाहों में उठा लिया और उसके रूम की ओर चला गया।
उसने रेवा को बेड पर लिटाया और उसके ऊपर पानी की कुछ बूंदे चिड़कने लगा । कुछ पलों बाद रेवा ने अपनी आंखे खोली ।
"तुम अब...",अर्जुन इसके आगे कुछ बोल पाता उससे पहले ही तुषार ने रूम मैं आते हुए कहा – "ये देख मुझे क्या मिला ! "
"ये चिट्ठी मुझे नीचे किचन में मिली", तुषार ने कहा ।
"She is only mine ! Stay away from her ",जैसे ही अर्जुन ने ये पढ़ा रेवा फिर से पैनिक होने लगी । उसने अर्जुन का हाथ पकड़ते हुए कहा – ये पक्का उस अजीत का काम है ! प्लीज मुझे बचा लेना वो मुझे चाहता है । आज उसने गोली भी चलाई। वो मेरे साथ कुछ भी कर सकता है । आप मुझे छोड़ तो नही दोगे न ! मुझे आपकी बहुत जरूरत है । इस वक्त आपके अलावा मेरा ओर कोई नही है । आप कुछ तो बोलो ना मुझे....रेवा नॉन स्टॉप बस बोले जा रही थी । उसे खुद नही पता था की वो क्या बोले जा रही थी ।
"तुम जाओ मैं देखता हूं इसे ",अर्जुन की बात सुनकर तुषार ने अपना सिर हा मैं हिला दिया और वहा से चला गया ।
अर्जुन ने रेवा को देखा जो अभी भी रोए जा रही थी।
"कुछ तो बोलो ना मैं कुछ पूछ रही हूं आपसे ...अगर मैं यहां रही तो आपके जान को भी खतरा होगा i know !! लेकिन अब मैं क्या करू मुझे कुछ समझ नही आ रहा । में यहां से कही दूर चली जाऊंगी । "
अर्जुन को पता था की रेवा इस वक्त बहुत ज्यादा पैनिक हुई थी। उसने बिना कुछ कहे बस रेवा को अपने सीने से लगाया । अर्जुन ने अपना सिर पीछे टिका दिया और रेवा की बाते सुनने लगा जिन मैं उसे दूर दूर तक कोई सेंस नजर नही आ रहा था।शायद ये पहली बार हुआ था की कोई लड़की अर्जुन के इतने करीब थी । कुछ देर बाद दोनो की भी वही आंख लग गई। अगले दिन खिड़की से आती हुई रोशनी से रेवा की आंख खुल गई। उसे अर्जुन की दिल की धड़कने साफ सुनाई दे रही थी । रेवा झट से अर्जुन से दूर हुई और उसे अपने से दूर धक्का दे दिया जिस वजह से अर्जुन सीधा बेड से नीचे गिर गया।
"क्या कर रही हो तुम ? पागल लड़की", अर्जुन ने चिड़ते हुए कहा ।
"आप मुझे चिपककर क्यों सो रहे थे !", रेवा ने पूछा ।
"तुम पैनिक हो रही थी कल रात . इसलिए मै तुम्हे शांत करने के लिए...",रेवा ने अर्जुन की बात को बीच में ही काटते हुए कहा –"तो आप मुझे दूर से भी तो शांत कर सकते थे न ! मेरे पास आने की क्या जरूरत थी?? अच्छी तरह जानती हूं आपके इरादों को, मेरे नींद में होने का फायदा उठा रहे थे न आप !", रेवा ने अर्जुन पर इल्जाम लगाते हुए कहा।
"तुम क्या खुद को स्वर्ग से उतरी अप्सरा समझती हो क्या की में तुम्हारी ओर खींचा चला आऊंगा ? दूसरी बात अगर मुझे तुम्हारा फायदा उठाना ही होता तो मुझे इस तरह की मौके की कोई जरूरत नही है ...में तुम्हारे साथ जो चाहु वो कर सकता हूं उसके लिए मुझे मौके की और बहाने बनाने कि जरूरत नही है।", अर्जुन ने सपाट लहजे में कहा और कमरे का दरवाजा खोल दिया। जैसे ही उसने दरवाजा खोला उसकी आंखे खुली की खुली रहे गई ।