आधुनिक समय में लोग आदिवासी जीवनशैली के बारे भूलते जा रहे हैं। आज लोग जितना आगे जा रहे हैं उतना उनकी भाषा, संस्कृति , रीति रिवाज , उनका खानपान सब कुछ भूलते जा रहे हैं ।
कुछ लोग आदिवासी हो के भी कही जगह पे आदिवासी है वो नही कहते हैं , वो अपनी पहचान छूपाते है , आदिवासी होना यही आदिवासी समाज के लोगो का गर्व हैं । उनको यही गर्व होना चाहिए की हा मैं आदिवासी हूं, हा में देश का मूलनिवासी हूं , जिसको अधिकार है की वे अपनी संस्कृति , जल, जंगल, जमीन के रक्षक है और मूल निवासी भी हैं । पर आज के समय में समाज के लोग इतने बदल गए हैं की क्या बात की करू ?? पर आज भी कुछ लोग हैं जो समाज के लिए काम कर रहे है आदिवासी समाज में जागरूकता लाने के लिए कर रहे हैं।
आदिवासी समाज की जागरूकता लाने मैं लोग कही जगह पे सेमिनार का आयोजित करते है , या फिर आज सोशल मीडिया की वजह से जानकारी देते हैं। जहा पे आदिवासी समाज की संस्कृति के बारे में , उनके देव देवी की पूजा की रीत , आदिवासी समाज का खान पान के बारे में , उनकी भाषा , उनके वंजित्रो के बारे है , यहां तक की आदिवासी समाज में शादी की रीत भी अगल है , उनके बारे में जानकारी भी देते हैं । जिसके बारे में समाज के लोगो को पता चलता है ।
" धीरे धीरे आदिवासी समाज आगे बढ़ रहा है , उसमें एकता भी आ रही हैं । पर इसका कारण आप जानते हैं ?? " आदिवासी समाज का सबसे बड़ा त्यौहार या नी की "९ अगस्त " के दिन " विश्व आदिवासी दिवस "
मनाया जाता है।
क्या आप 9 अगस्त के बारे में जानते हैं ?? क्या आप संयुक्त राष्ट्रीय संघ ने जो विश्व आदिवासी दिवस का निर्देश दिया उसके इतिहास के बारे में जानते हो ???
21वीं सदी में संयुक्त राष्ट्रीय संघ ने 9 अगस्त 1982 को आदिवासियों के हित में एक विशेष बैठक आयोजित की थी। जिसमें आदिवासी समुदाय के हित में किया गया था 1993 में UNWGIP के 11 वे अधिवेशन में संयुक्त राष्ट्रीय संघ आदिवासी समुदाय के संघर्ष की कहानी और संयुक्त राष्ट्रीय संघ ने समस्या के बारे में महसूस किया। और 23 दिसंबर 1994 के साल में संयुक्त राष्ट्रीय संघ ने निर्णय लिया कि विश्व के स्वदेशी लोगों का अंतर्राष्ट्रीय दिवस यानी कि विश्व आदिवासी दिवस हर साल 9 अगस्त विश्व आदिवासी दिवस मनाने का निर्देश दिया।
9 अगस्त के दिन आदिवासी समुदाय इस दिन को मनाते हैं और उनकी सभ्यता और रीति-रिवाजों के साथ उत्सव के रूप में सामूहिक रूप में खुशियों का इजहार करते हैं । यहां तक की आदिवासी समुदाय प्रकृति पूजक है वे जल जंगल और जमीन के मूल मालिक है ।इसलिए 9 अगस्त को वे जल जमीन के भीतर रहने वाले जंतु खेत और यहां तक की उनके देव देवियों की पूजा करते हैं ।
हर साल विश्व आदिवासी दिवस बड़े धाम धूम से मानते हैं। जिसे आदिवासी समाज में एकता बढ़ती है ।
"एक तीर , एक कमान सभी आदिवासी एक समान" जय जोहार जय आदिवासी ।