लड़की रात भर न सो सकी। रह रह कर यही सोचती रही कि दीदी ने उन्हें कब और कहां देख लिया। लड़के का नाम उन्होंने कैसे जान लिया जबकि खुद उसने अब तक कभी लड़के से पूछा नहीं। और अब सब कुछ जान लेने के बाद ऐसा क्या हुआ कि दीदी उसे लड़के से मिलने के लिए मना कर रही है।
वह दीदी से कुछ पूछ भी न सकी।
अगले दिन शाम को जैसे ही लड़का आकर लड़की से मिला, लड़की ने पहला काम यही किया कि उससे उसका नाम पूछा और उसे अपना नाम बताया।
लड़के का नाम राजेश था। सबसे बड़ी हैरानी की बात तो ये थी कि राजेश को बिजली का नाम पता था।
पर कैसे? उसने पूछा तो नहीं, और न ही बिजली ने उसे कभी बताया।
बिजली को ये भी पता चला कि राजेश को घर में और दोस्तों में सब राजा कहते हैं। ये उसका बचपन का, घर का नाम है।
अब बिजली को एक रहस्य के बारे में तो पता चल गया था पर दूसरा रहस्य अभी भी बना हुआ था कि चमकी राजेश को कैसे जानती है? चमकी माने दीदी। बिजली की बड़ी बहन। जिसके बारे में बिजली ने एक दिन खुद राजा से कहा था कि वो फांदेबाज़ है। लेकिन क्या राजा भी चमकी को जानता है? ये सवाल अब भी था।
यदि हां, तो कैसे? कहां मिला वो उसे? बिजली का माथा घूमने लगा।
क्या करे? क्या सीधे- सीधे उससे पूछ ले? हां, यही ठीक रहेगा। सीधे पूछने से आदमी अक्सर सीधा सही उत्तर दे देता है। घुमा- फिरा कर पूछने से तो हो सकता है वो भी बात को घुमा फिरा दे।
पहले ये तो पता चले कि वो दोनों एक दूसरे को कैसे जानते हैं। फिर बाद में ये भी तो पता लगाना था कि चमकी उसे राजा से मिलने के लिए मना क्यों कर रही है।
लेकिन तभी सारा प्लान चौपट हो गया। पार्क के गेट पर अक्सर खड़ा रहने वाला गोलगप्पे वाला अपना खोंमचा उठा कर पार्क के भीतर चला आया और बिजली सब कुछ भूल कर राजा को खींचती हुई उसके पास ले गई।
गोलगप्पे वाले ने लकड़ी से जब खट्टे पानी को हिला कर मसले हुए आलुओं में मिर्च और चाट मसाला मिलाया तो बिजली के मुंह में पानी आ गया और तमाम सवाल उछल कर इधर- उधर वैसे ही बिला गए जैसे खेत में किसान और बैल को आते हुए देख कर वहां विचरते चूहे दौड़ कर अपने बिलों में घुस जाते हैं।
जब राजा गोलगप्पे वाले को पैसे दे रहा था तब बिजली एक डकार लेकर ये सोच रही थी कि चमकी होती कौन है उसे राजा से मिलने से रोकने वाली। बड़ी बहन है तो क्या? साल भर का अंतर कोई इतना बड़ा नहीं होता कि वो बिना कोई कारण बताए उसके किसी से मिलने- जुलने पर पाबंदी लगाने वाली बड़ी - बूढ़ी बन जाए।
माना कि बहन उसका भला ही सोचेगी पर बहन को पहले इस बात का प्रमाण देना होगा। अर्थात उसे बताना तो चाहिए कि बिजली राजा से क्यों न मिले? क्या बुराई है राजा में?
लेकिन एक बात है, खुद बिजली भी तो पहले अपने आप से ये पूछे कि वो राजा यानी राजेश से क्यों मिले? वो उससे चाहती क्या है?
बिजली अपनी इस सोच पर शरमा गई।
हां रे, ठीक तो है। वो राजा के बारे में अभी जानती ही कितना है? जुम्मा - जुम्मा आठ दिन की पहचान ही तो है। ये कौन है, इसके घर वाले क्या करते हैं? इसकी आदतें कैसी हैं, ये खुद किस स्वभाव का है... एक दिन थोड़ी सी मदद क्या कर दी कि बस। इतनी सी मदद तो कोई भी रस्ता चलता लड़का किसी लड़की की कर ही देता है!