The Author Swati Follow Current Read मेरी मां By Swati Hindi Short Stories Share Facebook Twitter Whatsapp Featured Books నిరుపమ - 7 నిరుపమ (కొన్నిరహస్యాలు ఎప్పటికీ రహస్యాలుగానే ఉండిపోతే మంచిది... అరె ఏమైందీ? - 20 అరె ఏమైందీ? హాట్ హాట్ రొమాంటిక్ థ్రిల్లర్ కొట్ర శివ రామ కృష్... మనసిచ్చి చూడు - 6 మనసిచ్చి చూడు -06అప్పుడే సడన్గా కరెంట్... నిరుపమ - 6 నిరుపమ (కొన్నిరహస్యాలు ఎప్పటికీ రహస్యాలుగానే ఉండిపోతే మంచిది... అరె ఏమైందీ? - 19 అరె ఏమైందీ? హాట్ హాట్ రొమాంటిక్ థ్రిల్లర్ కొట్ర శివ రామ కృష్... Categories Short Stories Spiritual Stories Fiction Stories Motivational Stories Classic Stories Children Stories Comedy stories Magazine Poems Travel stories Women Focused Drama Love Stories Detective stories Moral Stories Adventure Stories Human Science Philosophy Health Biography Cooking Recipe Letter Horror Stories Film Reviews Mythological Stories Book Reviews Thriller Science-Fiction Business Sports Animals Astrology Science Anything Crime Stories Share मेरी मां (7) 1.7k 4.7k तो ये कहानी है ऐसी मां की जो अपने बच्चो की खुशी के लिऐ अपनी खुशी दाव पे लगा देती है ।जी हां, मैं हर उस मां के लिए के रही हूं जो अपनी पूरी जीवन को त्याग कर अपने परिवार के लिए समर्पण कर देती है चाहे वो कितना भी बड़ा और कितना भी छोटा त्याग हि क्यों न हों।वो मां ही होती है जो अपना पेट काट कर अपने हिस्से का खाना अपने बच्चो को खिलाती है ,वो मां ही होती है जो बच्चे को चोट लगने पे मां रोती है ,वो मां ही है साहब जो अपना सब कुछ समर्पण कर सकती है ।वो मां ही है जो लक्ष्मी से दुर्गा भी बन सकती है ।मैने उस मां को रोते हुए देखा तो मुझसे रहा नही गाया,मैने मां से पूछा मां तू क्यों रो रही है ,उसने मुझे देख कर अपने आंसु पोंछ लिए और अपना मुंह छुपाने लगी ।मैने फिर से पुछा मां क्या है है तुम क्यों रो रही हो उसने बहुत ही धीमी आवाज में बोला कुछ नहीं बेटा मैं बस कल की चिंता कर रही हूं की कल तुझे कैसे खाना खिलाऊंगी अपने बच्चो का पेट कैसे भरूंगी ।मैने बोला मां तू चिंता मत कर मां भगवान सब ठीक कर देगा ।मां ने मेरा हाथ अपने हाथों के बीच पकड़कर बोला हां बेटा भगवान सब ठीक कर देगा ।मां ने घर घर जाके बर्तन धोने का काम शुरू किया ,वो जाना भी जाती थी वो मुझे भी अपने साथ रखती थी , मैं ये सब देख देख कर मुझे भी ये सब करने आ गया ,फिर मैंने भी धीरे धीरे मां के काम में हाथ बटाना शुरू कर दिया । मां ने अच्छे पैसे कमा लिए थे ,तो मैने मां से बोला मां तुम अब बरतन धोने का काम छोड़ दो वो अब मैं कर लुंगी।उसने मुस्कुराया और बोला क्यों बेटी क्या तू इतनी बड़ी हो गई है ,मैं भी मुस्कुराई और उनसे बोली हां मां तूने बहुत काम कर लिया अब तू आराम कर ,अब जो भि काम करना होगा वो मैं करूंगी ।मां ने माना कर दिया था पर मैने अपनी जिद से उसने ये बात मनवा लिया ।लेकिन मुझे पता नहीं था इस दुनिया में अच्छे लोगो से ज्यादा बुरे लोग भरे हुए हैं,मां ने मुझे बोला था की मैं अपना ख्याल रखूं लेकिन मुझे ये नही पता था इस लोग मुझे नोच कर खाना चाहेंगे।लेकिन ये बात मैं अपने मां से नही बोल सकती थी, क्योंकि अगर उन्हें ये पता चल चाहा तो वो टूट जाती,इसके लिए मैने सोचा की ये लड़ाई मेरी है तो इसे मैं ही खत्म करूंगी ।उस दिन मैने ठान लिया था की मैं ईट का ज़वाब पत्थर से दू। मैने मां को बिना बताए कराटे सीखना शुरू किया ।मैं जल्दी से अपना काम खत्म करके एक घंटे रोज़ कराटे प्रैक्टिस करती। मुझे 3 महीने लगे कराटे सीखने में जब मैं अपना बचाव करना सीख गई,तब मेने मां को बताया मां मुझे कराटे भिबाती हैं, अब मुझे कोई भी परेशान नहीं कर सकता।सायद मेरे बोलने से पहले ही मां को किसी ने बता दिया था ।मुझे लगा था उस दिन मां मुझे मरेंगी या डाटेंगी ,लेकिन उस दिन वो खुशी ही लगा थी ।मां को इतना खुश मेने पहले कभी नहीं देखा था।एक दिन मैने मां को सिलाई की मशीन लाकर दिया और ,फिर वो बाहर का काम छोड़ कर सिलाई करना शुरू किया ,और गरीब औरतों को भी सिखाने लगी। जिससे गांव मोहल्ला की औरते और लड़कियां भी सिलाई सीखने आने लगी, जिससे उन सभी औरतों को दूसरो के यहां काम करने जाने की जरूरत नहीं रही।वो कपड़े सिल कर अपना घर चलाती और अपने परिवार का पेट भरती ।मैने भी काम छोड़ कर छोटी छोटी छोटी लड़कियों को कराटे सिखाना शुरू कर दिया ।जिससे हमारी तरफ अगर कोई गंदी आंख उठाए तो उसकी आंखे नोचने की हिम्मत हो बिना किसी से डरे।इतनी साल की मेहनत से हमे एक बात तो समझ आई । हिम्मत हमारे अंदर की होती हैं,बस हम उन्हे पहचान नहीं पाते है।अगर हम ईट का जवाब पत्थर से देना शुरू कर दे तो कोई भी हमारी तरफ आंख उठा कर देखने से पहले 100 बार सोचेगा । " तुझे खुद की डर ने घेरे है , रख हिम्मत तू शेर हैं"।। Swati gupta Download Our App