grandmother's stories in Hindi Children Stories by Rakesh Rakesh books and stories PDF | नानी की कहानियां

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नानी की कहानियां

रक्षा जब पांच बरस की थी, तब वह अपने नाना नानी के घर गई थी इसलिए आठ बरस की रक्षा को अब नाना नानी के बारे में कुछ भी याद नहीं था।

इसलिए विद्यालय की गर्मियों की छुट्टी में नाना नानी से मिलने कि उसे हद से ज्यादा खुशी थी।
नाना नानी के घर जाने से एक दिन पहले वह अपनी सबसे अच्छी सहेली रागिनी के घर उससे मिलने जाती है।
रागिनी की मम्मी रक्षा रागिनी की आपस में नाना नानी के घर जाने की बात सुनकर रक्षा से कहती है कि "रक्षा नानी के घर जा रही हो, तो नानी से अच्छी अच्छी कहानियां सुनकर जब वापस तुम अपने घर आओगी तो रागिनी और मुझे भी नानी की वह अच्छी-अच्छी कहानियां सुनाना।"

रक्षा कुछ सोचने के बाद रागिनी की मम्मी से पूछती है? "आंटी आपको कैसे पता मेरी नानी बहुत अच्छी अच्छी कहानियां सुनाती है।"

तुम्हारी नानी ही नहीं सब बच्चों की नानी दादी अपने नाती पोते को बढ़िया बढ़िया कहानियां सुनाती है, मेरी नानी दादी भी बहुत अच्छी अच्छी कहानियां सुनाती थी। जब तुम अपनी नानी से कहानियां सुनकर अपने घर वापस आओगी और मुझे नानी की कहानियां सुनाओगी तो अपनी नानी से बचपन में कहानियां सुनने की मेरी भी सारी यादें ताजा हो जाएंगी।" रागिनी की मम्मी कहती है

रक्षा अपने घर आकर सबसे पहले अपने माता-पिता से यह पूछती है? "क्या आपकी नानी दादी भी आपको अच्छी अच्छी कहानियां सुनाती थी"

"हमें तो बचपन में नानी दादी से कहानियां सुने बिना नींद भी नहीं आती थी।" रक्षा के माता-पिता कहते हैं।

माता-पिता की यह बात सुनने के बाद रक्षा की अपनी नानी से मिलने की खुशी दुगनी हो जाती है।

रक्षा अपने नाना नानी के घर पहुंच कर एक-दो दिन माता-पिता और मामा जी के साथ शहर की खूबसूरत जगहों पर घूमने में व्यस्त रहती है और जब उसके माता-पिता रक्षा को गर्मी की छुट्टी में नानी के घर छोड़कर वापस अपने घर आ जाते हैं, तो रक्षा उसी रात नानी से उसी रात सोने से पहले कहानी सुनने की कहती है।

तो रक्षा की नानी रक्षा से कहती है कि "रक्षा बेटा मुझे तो इस समय कोई भी कहानी याद नहीं है और मैंने आज तक किसी भी बच्चे को कहानी नहीं सुनाई है।"

नानी की यह बात सुनने के बाद रक्षा नानी से कहती है कि "फिर तुम नानी कैसे बन गई हो क्योंकि दुनिया की सारी नानी दादी तो बहुत अच्छी अच्छी कहानियां सुनाती हैं।"

रक्षा की यह बात सुनकर रक्षा की नानी के चेहरे पर मुस्कुराहट आ जाती है, रक्षा को नानी कल कहानी सुनाने का वायदा करके किसी तरह उस रात उसे सुला देती है, लेकिन जब रक्षा की नानी रक्षा को कहानी सुनाने से रोज टालती रहती है, तो एक रात रक्षा उसी समय अपने घर जाने की जिद पर अड़ जाती है।

और रोते-रोते चिल्ला चिल्ला कर कहती है कि "यह मेरी असली नानी नहीं है नकली नानी है।"

उस रात रक्षा की नानी को एहसास होता है कि मैं शादी से पहले रात दिन अपने भविष्य के लिए चिंतित रहती थी और शादी के बाद गृहस्ती में उलझी रहती हूं मैंने कभी यह नहीं सोचा कि कहानियों से मनोरंजन के साथ-साथ जीवन की समस्याओं को समझने की भी शिक्षा मिलती है।

इसलिए रक्षा की नानी उसी समय मोबाइल पर एक अच्छी सी कहानी पढ़कर रक्षा को सुनाती है और जब तक रक्षा अपने घर नहीं जाती है, तब तक रक्षा कि नानी प्रतिदिन रक्षा को नई नई कहानियां मोबाइल से पढ़कर सुनाती है।

नई नई कहानियां पढ़ने से मनोरंजन के साथ-साथ नानी की दुनियादारी की समझ भी बहुत बढ़ने लगती है और उसके जीवन में नई ताजगी उमंग आ जाती है।